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भारतीय समाज के निर्माण में अंग्रेजी शिक्षा की भूमिका

प्रस्तावना:

भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित शिक्षा नीति का भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा। 1835 ई. में मैकाले की प्रसिद्ध “मिनट्स” और बाद में बने शिक्षा संबंधी निर्णयों ने अंग्रेजी भाषा और पाश्चात्य शिक्षा को प्रमुख स्थान दिलाया। इससे भारतीय समाज में एक नए शिक्षित वर्ग का उदय हुआ, जिसने न केवल आधुनिक विचारधारा को अपनाया बल्कि समाज सुधार और राष्ट्रवाद के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत

  • मैकाले का “मिनट्स” (1835) – इसमें अंग्रेजी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने और पाश्चात्य ज्ञान एवं साहित्य को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।
  • डाउनवार्ड फ़िल्ट्रेशन थ्योरी – अंग्रेजों का मानना था कि एक छोटे शिक्षित वर्ग को तैयार किया जाए, जो आगे जाकर समाज के अन्य वर्गों तक ज्ञान पहुँचाएगा।

भारतीय समाज पर प्रभाव

  • नए शिक्षित वर्ग का निर्माण – अंग्रेजी शिक्षा से वकील, शिक्षक, पत्रकार और प्रशासक जैसी भूमिकाएँ निभाने वाले नए मध्यम वर्ग का जन्म हुआ।
  • आधुनिक विचारों का प्रसार – स्वतंत्रता, समानता, राष्ट्रवाद और लोकतंत्र जैसे पाश्चात्य विचार भारतीयों तक पहुँचे। इससे पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती मिली।
  • सामाजिक सुधारों को प्रोत्साहन – राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, महात्मा ज्योतिबा फुले जैसे सुधारकों ने शिक्षा के माध्यम से जाति प्रथा, सती प्रथा और बाल विवाह जैसी बुराइयों के खिलाफ आंदोलन चलाए।
  • राष्ट्रवादी चेतना का उदय – अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त युवा ब्रिटिश नीतियों की आलोचना करने लगे। कांग्रेस का उदय, प्रेस की भूमिका और स्वतंत्रता आंदोलन का प्रारम्भ इसी शिक्षा प्रणाली से जुड़ी थी।
  • साहित्य और पत्रकारिता का विकास – शिक्षा ने भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी साहित्य को विकसित किया, जिससे जनचेतना का प्रसार हुआ। समाचार पत्र और पत्रिकाएँ राष्ट्रवादी विचारों के संवाहक बने।
  • ब्रिटिश शासन की आलोचना और प्रतिरोध – शिक्षित भारतीयों ने ब्रिटिश आर्थिक और राजनीतिक शोषण के खिलाफ आवाज उठाई। दादाभाई नौरोजी, बाल गंगाधर तिलक जैसे नेताओं की वैचारिक नींव इसी शिक्षा की देन थी।

सीमाएँ

  • अभिजात्य वर्ग का निर्माण – अंग्रेजी शिक्षा का लाभ सीमित वर्ग को मिला। ग्रामीण और सामान्य जनता इससे वंचित रही।
  • जनमानस से दूरी – शिक्षित वर्ग आम जनता की भाषाई और सांस्कृतिक परंपराओं से कट गया, जिससे ग्रामीण समाज और अभिजात्य के बीच दूरी बढ़ी।
  • औपनिवेशिक उद्देश्य – अंग्रेजी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ऐसे “क्लर्क” और प्रशासनिक सहयोगी तैयार करना था, जो अंग्रेजों के शासन को सुचारु बनाए रख सकें।

निष्कर्ष:

अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीय समाज को आधुनिकता, वैचारिक स्वतंत्रता और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण प्रदान किया। इसने नए नेतृत्व, सामाजिक सुधार आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम की वैचारिक पृष्ठभूमि तैयार की। यद्यपि इससे अभिजात्य वर्ग और सामान्य जनता के बीच दूरी बढ़ी, फिर भी भारतीय समाज के आधुनिकीकरण और राष्ट्रीय नवजागरण में अंग्रेजी शिक्षा की भूमिका ऐतिहासिक और निर्णायक रही।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQS) और उत्तर

प्रश्न 1. भारत में अंग्रेजी शिक्षा को आधिकारिक रूप से शिक्षा का माध्यम बनाने का निर्णय कब और किसके द्वारा हुआ?

(a) 1813 का चार्टर एक्ट
(b) 1835 में मैकाले का मिनट्स
(c) वुड्स डिस्पैच, 1854
(d) हंटर आयोग, 1882

उत्तर: (b) 1835 में मैकाले का मिनट्स

व्याख्या: 1835 में थॉमस बैबिंगटन मैकाले ने अपने प्रसिद्ध “मिनट्स” में अंग्रेजी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने और यूरोपीय साहित्य तथा ज्ञान के प्रसार का सुझाव दिया। इसके बाद गवर्नर-जनरल विलियम बेंटिंक ने अंग्रेजी शिक्षा को आधिकारिक रूप से अपनाया। इस निर्णय ने भारत में आधुनिक शिक्षा और नए शिक्षित वर्ग के निर्माण की प्रक्रिया को निर्णायक दिशा दी।

प्रश्न 2. डाउनवार्ड फ़िल्ट्रेशन थ्योरी का मुख्य उद्देश्य क्या था?

(a) सभी किसानों को शिक्षा देना
(b) केवल ब्रिटिश अधिकारियों को प्रशिक्षित करना
(c) एक छोटे शिक्षित वर्ग का निर्माण करना
(d) ग्रामीण भाषा को बढ़ावा देना

उत्तर: (c) एक छोटे शिक्षित वर्ग का निर्माण करना

व्याख्या: डाउनवार्ड फ़िल्ट्रेशन थ्योरी के अंतर्गत अंग्रेजों का मानना था कि समाज के उच्च वर्ग को शिक्षा देकर ज्ञान का प्रसार धीरे-धीरे नीचे के वर्गों तक पहुँच जाएगा। इस नीति के अनुसार सभी वर्गों को शिक्षित करने का लक्ष्य नहीं था। उद्देश्य केवल ऐसा मध्यवर्ग तैयार करना था जो ब्रिटिश शासन का सहयोगी बने और प्रशासनिक कार्यों को सरल बनाए।

प्रश्न 3. अंग्रेजी शिक्षा के कारण भारतीय समाज में सबसे बड़ा परिवर्तन क्या हुआ?

(a) नए शिक्षित वर्ग का निर्माण
(b) किसानों की आय में वृद्धि
(c) परंपरागत समाज का संरक्षण
(d) विदेशी व्यापार का विकास

उत्तर: (a) नए शिक्षित वर्ग का निर्माण

व्याख्या: अंग्रेजी शिक्षा ने भारत में वकील, शिक्षक, पत्रकार, प्रशासक और लेखक जैसे पेशेवर वर्ग को जन्म दिया। यह नया शिक्षित वर्ग सामाजिक सुधार आंदोलनों का वाहक बना और आधुनिक विचारधारा जैसे स्वतंत्रता, समानता और लोकतंत्र को भारतीय समाज में फैलाया। यही वर्ग आगे चलकर राष्ट्रवादी आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम का बौद्धिक तथा संगठनात्मक आधार बना।

प्रश्न 4. अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीय समाज सुधार आंदोलनों को किस प्रकार प्रभावित किया?

(a) उन्होंने सुधारकों को अंग्रेजों का समर्थक बनाया
(b) उन्होंने किसानों को करमुक्त किया
(c) उन्होंने सती प्रथा व बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन में बल दिया
(d) उन्होंने भारतीय भाषाओं को समाप्त कर दिया

उत्तर: (c) उन्होंने सती प्रथा व बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन में बल दिया

व्याख्या: अंग्रेजी शिक्षा से प्रेरित होकर राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर और ज्योतिबा फुले जैसे समाज सुधारकों ने सती प्रथा, बाल विवाह और जातिप्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आंदोलन चलाए। पश्चिमी उदारवादी विचारों से प्रभावित होकर भारतीय समाज में सुधारवाद और प्रगतिशीलता का विकास हुआ। शिक्षा ने सामाजिक पुनर्जागरण की दिशा में निर्णायक योगदान दिया।

प्रश्न 5. अंग्रेजी शिक्षा का ब्रिटिश शासन का वास्तविक उद्देश्य क्या था?

(a) भारतीय समाज को आधुनिक बनाना
(b) ग्रामीण जनता को आर्थिक सहायता प्रदान करना
(c) प्रशासन में सहयोग के लिए “क्लर्क” तैयार करना
(d) सभी भारतीयों को नि:शुल्क शिक्षा देना

उत्तर: (c) प्रशासन में सहयोग के लिए “क्लर्क” तैयार करना

व्याख्या: अंग्रेजी शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य भारतीयों को आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाना नहीं था, बल्कि ऐसे सहयोगी वर्ग का निर्माण करना था जो ब्रिटिश शासन के प्रशासनिक कार्यों में सहायक हो। अंग्रेजों को “क्लर्क”, दुभाषिए और प्रशासनिक सहायकों की आवश्यकता थी। यद्यपि परिणामस्वरूप भारतीय समाज में जागृति और राष्ट्रवाद का विकास हुआ, पर अंग्रेजों का घोषित उद्देश्य शुद्ध रूप से औपनिवेशिक था।

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