प्रस्तावना:
17वीं शताब्दी में दक्कन क्षेत्र की राजनीतिक परिस्थितियों ने मराठों के उदय का मार्ग प्रशस्त किया। इस समय मुग़ल साम्राज्य और दक्कन के सुल्तान अपनी-अपनी सत्ता को मजबूत करने के प्रयास में लगे थे। इन्हीं परिस्थितियों में छत्रपति शिवाजी (1627–1680 ई.) का उदय हुआ, जिन्होंने मराठों को संगठित कर स्वतंत्र राज्य की नींव रखी। शिवाजी की राजनीति, प्रशासनिक क्षमता और युद्धनीति ने न केवल मुग़लों के विस्तारवादी सपनों को चुनौती दी, बल्कि आगे चलकर मराठों को भारत की एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित किया।
शिवाजी द्वारा स्वतंत्र राज्य की स्थापना
- शिवाजी ने 1674 ई. में रायगढ़ को राजधानी बनाकर औपचारिक रूप से स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।
- उनका राज्य दक्कन के पहाड़ी क्षेत्रों से शुरू होकर धीरे-धीरे विस्तारित हुआ।
- शिवाजी ने मराठों में स्वतंत्रता की भावना जगाई और उन्हें राजनीतिक शक्ति में परिवर्तित किया।
सुदृढ़ सेना और नौसेना का गठन
- शिवाजी ने एक संगठित और अनुशासित सेना बनाई, जिसमें घुड़सवारों की विशेष भूमिका थी।
- उन्होंने समुद्री तटों की सुरक्षा के लिए एक सशक्त नौसेना का गठन किया।
- इसके माध्यम से उन्होंने पुर्तगालियों और सिद्दियों के समुद्री प्रभुत्व को चुनौती दी।
मुग़लों और सुल्तानों के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध
- शिवाजी की युद्ध नीति की सबसे बड़ी विशेषता गुरिल्ला युद्ध (छापामार शैली) थी।
- पहाड़ी इलाकों और किलों का लाभ उठाकर उन्होंने मुग़ल और बीजापुर के सुल्तान की बड़ी सेनाओं को पराजित किया।
- इस नीति ने उन्हें अपेक्षाकृत छोटी सेना के बावजूद शक्तिशाली विरोधियों के विरुद्ध सफल बनाया।
अष्टप्रधान मंडल और प्रशासनिक कुशलता
- शिवाजी ने प्रभावी शासन के लिए अष्टप्रधान परिषद की स्थापना की, जिसमें आठ प्रमुख मंत्रियों को उत्तरदायित्व सौंपा गया।
- राजस्व प्रणाली को व्यवस्थित किया गया और चाउथ तथा सरदेशमुखी कर वसूले गए।
- इसका परिणाम यह हुआ कि शिवाजी का प्रशासन न केवल मजबूत बल्कि जनहितैषी भी था।
औरंगज़ेब की विस्तारवादी नीति को चुनौती
- शिवाजी ने सीधे तौर पर मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब की दक्कन-विस्तार नीति का प्रतिरोध किया।
- औरंगज़ेब की विशाल सेना के सामने शिवाजी ने अपनी युद्धकुशलता और रणनीति से कई सफलता प्राप्त की।
- उनका साहस मुग़लों की “अजेय” छवि को तोड़ गया।
मराठों का प्रमुख शक्ति के रूप में उभार
- शिवाजी की मृत्यु के बाद भी मराठों ने मुग़लों के विरुद्ध संघर्ष को जारी रखा।
- वे धीरे-धीरे उत्तर भारत तक पहुँचे और 18वीं शताब्दी में मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद भारत की सबसे प्रमुख शक्ति के रूप में उभरे।
- मराठों ने केंद्रीय सत्ता की शून्यता को भरने में निर्णायक भूमिका निभाई।
निष्कर्ष:
शिवाजी का उदय भारतीय इतिहास का एक बड़ा मोड़ था। उन्होंने मराठों को संगठित कर स्वतंत्र राज्य की नींव रखी और मुग़लों जैसी शक्तिशाली सत्ता को चुनौती दी। उनकी गुरिल्ला युद्धनीति, अष्टप्रधान परिषद और प्रशासनिक दक्षता ने मराठों को दीर्घकालिक शक्ति प्रदान की। इस प्रकार, शिवाजी न केवल मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे, बल्कि मुग़ल साम्राज्य के दुर्बलन और भारतीय राजनीति में नई शक्ति संतुलन के निर्माताओं में से एक भी थे।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQS) और उत्तर
प्रश्न 1. शिवाजी ने औपचारिक रूप से स्वतंत्र मराठा राज्य की स्थापना कब और कहाँ की थी?
(a) 1666 ई., पुणे
(b) 1674 ई., रायगढ़
(c) 1680 ई., सतारा
(d) 1659 ई., सिंहगढ़
उत्तर: (b) 1674 ई., रायगढ़
व्याख्या: 1674 ईस्वी में शिवाजी ने रायगढ़ को राजधानी बनाकर और छत्रपति की उपाधि धारण कर स्वतंत्र मराठा राज्य की औपचारिक स्थापना की। इससे पहले वे धीरे-धीरे दक्कन के पहाड़ी क्षेत्रों को मुग़लों और बीजापुर सुल्तानों से जीतकर अपनी सत्ता का विस्तार कर रहे थे। रायगढ़ से शासन की घोषणा मराठा शक्ति के लिए एक निर्णायक मोड़ सिद्ध हुई।
प्रश्न 2. शिवाजी की युद्ध नीति की मुख्य विशेषता क्या थी?
(a) भारी पैदल सेना
(b) घुड़सवारी और हाथी युद्ध
(c) गुरिल्ला युद्ध (छापामार शैली)
(d) नौसैनिक तोपखाना
उत्तर: (c) गुरिल्ला युद्ध (छापामार शैली)
व्याख्या: शिवाजी की सेना संख्या में अपेक्षाकृत छोटी थी, इसलिए उन्होंने पहाड़ी किलों और भौगोलिक परिस्थितियों का लाभ उठाकर गुरिल्ला युद्ध की नीति अपनाई। वे तेज गति से आक्रमण कर विरोधी की बड़ी सेना को थका देकर कमज़ोर करते थे। इस रणनीति ने उन्हें मुग़लों और बीजापुर जैसे शक्तिशाली विरोधियों के सामने भी विजय दिलाई और यह उनकी मुख्य सैन्य पहचान बनी।
प्रश्न 3. शिवाजी ने प्रभावी शासन के लिए किस प्रशासनिक संस्था की स्थापना की थी?
(a) दीवान-ए-रियासत
(b) अष्टप्रधान परिषद
(c) मनसबदारी प्रणाली
(d) नवाब-ए-सुभा
उत्तर: (b) अष्टप्रधान परिषद
व्याख्या: शिवाजी ने शासन को संगठित करने के लिए “अष्टप्रधान परिषद” बनाई। इसमें आठ प्रमुख मंत्री होते थे जैसे – पेशवा (प्रधान मंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), मंत्री (धर्म/समारोहों के प्रभारी), सुमंत (विदेश नीति), सेनापति, सचिव, पंडितराव और न्यायाधीश। इस संरचना ने प्रशासन को कुशल, उत्तरदायी और जनहितैषी बनाया। शिवाजी का राज्य इसी संगठित तंत्र पर टिक सका।
प्रश्न 4. शिवाजी ने समुद्री तटों की सुरक्षा और पुर्तगालियों-सिद्दियों की शक्ति को चुनौती देने हेतु क्या किया?
(a) यूरोपीय सैनिक भर्ती किए
(b) सुदृढ़ नौसेना का गठन किया
(c) मुग़लों से संधि की
(d) तटीय व्यापार बंद कर दिया
उत्तर: (b) सुदृढ़ नौसेना का गठन किया
व्याख्या: शिवाजी ने नौसैनिक शक्ति को महत्व दिया। उन्होंने समुद्र तट की रक्षा के लिए जहाज और सुदृढ़ नौसेना तैयार की, जिससे अरब सागर में पुर्तगालियों और सिद्दियों के प्रभुत्व को चुनौती दी जा सके। नौसैनिक शक्ति ने न केवल समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित की बल्कि व्यापारिक मार्गों पर मराठों की पकड़ भी मजबूत की। यह उनकी दीर्घदृष्टि का परिचायक था।
प्रश्न 5. 18वीं शताब्दी में मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद किस क्षेत्रीय शक्ति ने प्रमुख बल के रूप में उभार लिया?
(a) जाट
(b) सिख
(c) बंगाल
(d) मराठे
उत्तर: (d) मराठे
व्याख्या: शिवाजी की मृत्यु (1680 ई.) के बाद भी मराठों ने संघर्ष जारी रखा और धीरे-धीरे उत्तर भारत तक पहुँचे। 18वीं शताब्दी में मुग़ल साम्राज्य के पतन के साथ मराठे भारत की सबसे प्रमुख शक्ति बनकर उभरे। उन्होंने दिल्ली की राजनीति को प्रभावित किया और केंद्रीय सत्ता की कमी को आंशिक रूप से पूरा किया। मराठों ने भारतीय राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाई।