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औरंगज़ेब की दक्कन नीति और उसके परिणाम

प्रस्तावना:

मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब (1658–1707) का शासनकाल साम्राज्य की चरम शक्ति और उसके पतन दोनों का साक्षी रहा। उसका सबसे लंबा और महत्त्वाकांक्षी प्रयास दक्कन क्षेत्र (दक्षिण भारत) को मुग़ल सत्ता के अधीन लाना था। हालाँकि उसने बीजापुर और गोलकुंडा जैसे महत्वपूर्ण राज्यों को जीतने में सफलता पाई, लेकिन अंततः दक्कन नीति उसकी सबसे बड़ी कमजोरी साबित हुई। लंबे युद्धों ने मुग़ल साम्राज्य की आर्थिक और राजनीतिक शक्ति को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया और इसके पतन की गति को तेज कर दिया।

दक्कन को अधीन करने की महत्वाकांक्षा

  • औरंगज़ेब का लक्ष्य था कि दक्षिण भारत के सभी राज्यों को मुग़ल साम्राज्य के अधीन कर लिया जाए।
  • उसकी नीति मुग़ल सत्ता को संपूर्ण उपमहाद्वीप में फैलाने की महत्वाकांक्षा से प्रेरित थी।
  • इसके लिए उसने बीजापुर, गोलकुंडा और मराठों के विरुद्ध अभियान छेड़े।

बीजापुर और गोलकुंडा का विजय अभियान

  • 1686 में औरंगज़ेब ने बीजापुर को युद्ध कर अपने साम्राज्य में मिला लिया।
  • 1687 में गोलकुंडा को भी विजित कर दक्षिण के दो बड़े राज्यों को समाप्त कर दिया।
  • इससे मुग़ल साम्राज्य का नक्शा तो व्यापक हुआ, किंतु उसे दक्षिण में स्थायी शांति नहीं मिल सकी।

मराठों का संघर्ष और शिवाजी का उत्तराधिकार

  • मराठों ने औरंगज़ेब की सबसे बड़ी चुनौती पेश की।
  • शिवाजी ने स्वराज्य की नींव डाली और उनकी मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी भी मुग़लों के सामने डटे रहे।
  • गुरिल्ला युद्ध की उनकी शैली ने मुग़ल सेनाओं को थकाकर रख दिया।
  • औरंगज़ेब मराठों को पूर्णतः अधीन नहीं कर पाया।

दीर्घकालीन युद्ध और संसाधनों की बर्बादी

  • औरंगज़ेब ने लगभग 25 वर्ष दक्कन में युद्ध करते हुए बिताए।
  • इन युद्धों में मुग़ल साम्राज्य का धन, संसाधन और जनशक्ति लगातार खर्च होते रहे।
  • उत्तर भारत की प्रशासनिक व्यवस्था उपेक्षित हो गई और प्रांतों में अव्यवस्था फैलने लगी।

मुग़ल कोष और सेना पर प्रभाव

  • निरंतर युद्ध ने साम्राज्य के खजाने को खाली कर दिया।
  • सेना थककर कमजोर हो गई और उसमें अनुशासन तथा उत्साह घटने लगा।
  • कर वसूली घटने लगी, जिससे आर्थिक संकट और गहरा गया।

साम्राज्य पर परिणाम और पतन की गति

  • दक्कन नीति ने मुग़ल साम्राज्य की शक्ति को तोड़ दिया।
  • लंबे युद्धों ने केंद्र की सत्ता को कमजोर किया और प्रांतीय गवर्नरों ने स्वतंत्रता प्राप्त करनी शुरू कर दी।
  • मराठों के संघर्ष से साम्राज्य की एकजुटता टिक नहीं पाई और इससे साम्राज्य का पतन तेज हो गया।

निष्कर्ष:

औरंगज़ेब की दक्कन नीति ने मुग़ल साम्राज्य को विस्तार तो दिया, लेकिन यह विस्तार अस्थिर और अव्यवहारिक सिद्ध हुआ। बीजापुर और गोलकुंडा की विजयों के बावजूद मराठों के आधीनता न मानने से उसका सपना अधूरा रह गया। लंबे युद्धों से खजाना खाली हुआ, सेना थकी और प्रशासनिक ढाँचा कमजोर हुआ। इस प्रकार दक्कन नीति ने मुग़ल साम्राज्य के पतन की राह को और तेज कर दिया और औरंगज़ेब की महत्वाकांक्षी नीतियाँ अंततः साम्राज्य विघटन का कारण बनीं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQS) और उत्तर

प्रश्न 1. औरंगज़ेब की दक्कन नीति का मुख्य उद्देश्य क्या था?

(a) केवल उत्तर भारत को मजबूत करना
(b) दक्षिण भारत को मुग़ल सत्ता के अधीन करना
(c) यूरोपीय व्यापारियों को हराना
(d) सिखों को नियंत्रित करना

उत्तर: (b) दक्षिण भारत को मुग़ल सत्ता के अधीन करना

व्याख्या: औरंगज़ेब की महत्वाकांक्षा थी कि बीजापुर, गोलकुंडा और मराठा शक्ति को परास्त कर संपूर्ण दक्कन क्षेत्र को मुग़ल साम्राज्य के अधीन कर लिया जाए। यह नीति साम्राज्य को उपमहाद्वीप में विस्तृत करने की उसकी दृष्टि का हिस्सा थी। हालांकि प्रारंभिक विजय मिली, परंतु यह लक्ष्य स्थायी रूप से सफल नहीं हो सका और लंबे संघर्षों ने साम्राज्य को कमजोर कर दिया।

प्रश्न 2. औरंगज़ेब ने बीजापुर और गोलकुंडा को मुग़ल साम्राज्य में कब मिलाया?

(a) 1680 और 1683 में
(b) 1686 और 1687 में
(c) 1675 और 1679 में
(d) 1690 और 1692 में

उत्तर: (b) 1686 और 1687 में

व्याख्या: दक्कन नीति के अंतर्गत औरंगज़ेब ने 1686 में बीजापुर और 1687 में गोलकुंडा को जीत लिया। इससे मुग़ल साम्राज्य भौगोलिक रूप से और विस्तृत हो गया। लेकिन इन विजयों के बावजूद दक्षिण क्षेत्र में पूर्ण शांति नहीं आई क्योंकि मराठों का संघर्ष जारी रहा। यह युद्ध मुग़लों के लिए अधिक संसाधन-व्यय का कारण बने और साम्राज्य की शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर कर दिया।

प्रश्न 3. मराठों की कौन-सी युद्ध पद्धति ने औरंगज़ेब के लिए सबसे बड़ी चुनौती उत्पन्न की?

(a) सामूहिक युद्ध
(b) नौसैनिक युद्ध
(c) गुरिल्ला युद्ध
(d) धार्मिक युद्ध

उत्तर: (c) गुरिल्ला युद्ध

व्याख्या: शिवाजी और उनके उत्तराधिकारियों द्वारा अपनाई गई गुरिल्ला युद्ध शैली मुग़ल सेना के लिए सबसे कठिन साबित हुई। मराठा योद्धा तेज गति से छापामार हमले करते और पहाड़ी क्षेत्रों में छिप जाते। इससे विशाल और संगठित मुग़ल सेना थककर चूर हो जाती। औरंगज़ेब अनेक वर्षों तक संघर्ष करने के बावजूद मराठों को पूर्णतः अधीन नहीं कर सका। यही उसकी नीति की असफलता सिद्ध हुई।

प्रश्न 4. लगभग कितने वर्षों तक औरंगज़ेब ने दक्कन में युद्ध किए?

(a) 10 वर्ष
(b) 15 वर्ष
(c) 20 वर्ष
(d) 25 वर्ष

उत्तर: (d) 25 वर्ष

व्याख्या: औरंगज़ेब ने अपने जीवन के लगभग 25 वर्ष दक्कन अभियानों में व्यतीत किए। इतने लंबे युद्धों में मुग़ल साम्राज्य की अपार धन-सम्पत्ति, जनशक्ति और संसाधन खर्च हो गए। न केवल खजाना खाली हुआ, बल्कि सेना से उत्साह और अनुशासन भी घटने लगा। इन दीर्घकालिक संघर्षों ने प्रशासन को कमजोर बनाया और साम्राज्य पतन की दिशा में अग्रसर हो गया।

प्रश्न 5. औरंगज़ेब की दक्कन नीति का दीर्घकालीन परिणाम क्या हुआ?

(a) मुग़ल सत्ता स्थायी रूप से दक्षिण में स्थापित हुई
(b) साम्राज्य की आर्थिक और राजनीतिक शक्ति कमजोर हुई
(c) मराठों का पूर्ण रूप से अंत हो गया
(d) साम्राज्य और समृद्ध हो गया

उत्तर: (b) साम्राज्य की आर्थिक और राजनीतिक शक्ति कमजोर हुई

व्याख्या: दक्कन नीति ने मुग़ल साम्राज्य को विस्तार तो दिया, परंतु वह टिकाऊ नहीं रहा। लंबे युद्धों से खजाना खाली, सेना कमजोर और प्रशासन शिथिल हो गया। प्रांतों में विद्रोह और असंतोष फैल गया। मराठों की चुनौती भी बनी रही। इस प्रकार दक्कन नीति साम्राज्य के पतन को तेज करने वाली साबित हुई और औरंगज़ेब की सबसे बड़ी विफल नीतियों में मानी जाती है।

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