Rankers Domain

पल्लव और चालुक्य राजवंशों का भारतीय कला और स्थापत्य में योगदान

प्रस्तावना:

भारत की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करने में दक्षिण भारत के पल्लव और चालुक्य राजवंशों का विशेष स्थान है। चौथी से आठवीं शताब्दी ईस्वी के बीच पल्लव और चालुक्य शासकों ने कला, स्थापत्य, मूर्तिकला और चित्रकला को संरक्षण दिया। उनका योगदान विशेषकर शैलकृत (rock-cut) मंदिरों और भव्य स्थापत्य शैलियों के विकास में दिखाई देता है। इन दोनों राजवंशों के संरक्षण के कारण द्रविड़ शैली की नींव पड़ी, जिसने आगे चलकर मंदिर वास्तुकला को अपनी पराकाष्ठा तक पहुँचाया।

पल्लवों द्वारा शैलकृत मंदिरों का विकास

  • पल्लव शासकों ने महाबलीपुरम (ममल्लपुरम) में अद्भुत शैलकृत मंदिरों और रथ मंदिरों का निर्माण करवाया।
  • ये स्मारक एक ही पत्थर को तराशकर बनाए गए थे।
  • ‘पंच रथ’, ‘गंगाावतरण का शिल्प’ और ‘वराहमंडप’ पल्लवकालीन कला के अद्वितीय उदाहरण हैं।
  • इससे भारतीय शैलकृत वास्तुकला को नई दिशा मिली।

कांचीपुरम का कैलासनाथ मंदिर

  • पल्लव साम्राज्य की राजधानी कांचीपुरम में स्थित कैलासनाथ मंदिर पल्लव स्थापत्य का उत्कृष्ट नमूना है।
  • यह मंदिर पक्की ईंट और पत्थर से निर्मित है तथा इसमें द्रविड़ शैली झलकती है।
  • मंदिर की भित्तियों पर देवताओं और मिथकीय कथाओं से संबंधित मूर्तियाँ पल्लव कला की निपुणता दर्शाती हैं।

चालुक्यों के बादामी गुफा मंदिर

  • चालुक्य शासकों ने बादामी (कर्नाटक) में शैलकृत गुफा मंदिरों का निर्माण करवाया।
  • ये मंदिर विष्णु, शिव और जैन धर्म से संबंधित हैं।
  • इनमें नृत्यरत नटराज, त्रिमूर्ति और विष्णु के वराह अवतार जैसी मूर्तियाँ भारतीय मूर्तिकला के उत्कर्ष का प्रतीक हैं।

ऐहोले और पट्टदकल का महत्त्व

  • चालुक्यों ने ऐहोले और पट्टदकल में मंदिरों का समूह निर्मित करवाया।
  • ऐहोले को “भारतीय मंदिर वास्तुकला की पाठशाला” कहा जाता है क्योंकि यहाँ 100 से अधिक मंदिर मिलते हैं।
  • पट्टदकल को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है। यहाँ के मंदिरों में द्रविड़ और नागर शैली का अद्भुत संगम दिखाई देता है।

मूर्तिकला और भित्तिचित्रों का विकास

  • पल्लव और चालुक्य दोनों ही राजवंशों ने मूर्तिकला और भित्तिचित्र कला को संरक्षण दिया।
  • धार्मिक आख्यानों, नृत्य-मुद्राओं और देव-प्रतिमाओं को मंदिरों की दीवारों और स्तंभों पर उकेरा गया।
  • गुफाओं में बने चित्र भारतीय भित्तिचित्र परंपरा के सशक्त उदाहरण हैं।

द्रविड़ शैली का विकास और सांस्कृतिक योगदान

  • पल्लवों और चालुक्यों द्वारा विकसित स्थापत्य दक्षिण भारत में द्रविड़ शैली की आधारशिला बनी।
  • इनकी कला ने न केवल धार्मिक महत्व को बढ़ाया बल्कि दक्षिण भारतीय सांस्कृतिक पहचान भी स्थापित की।
  • इनके संरक्षण से भारतीय कला का वैश्विक गौरव बढ़ा।

निष्कर्ष:

पल्लव और चालुक्य राजवंशों ने भारतीय कला और स्थापत्य को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। महाबलीपुरम के शैलकृत मंदिर, कांचीपुरम का कैलासनाथ मंदिर, बादामी की गुफाएँ, ऐहोले और पट्टदकल के मंदिर इनकी अमूल्य धरोहर हैं। मूर्तिकला, चित्रकला और द्रविड़ शैली के विकास ने दक्षिण भारतीय संस्कृति को स्थायी पहचान दिलाई। इस प्रकार पल्लव और चालुक्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा के स्वर्णिम स्तंभ हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQS) और उत्तर

प्रश्न 1. पल्लव शासकों द्वारा निर्मित महाबलीपुरम के शैलकृत मंदिर किस विशेषता के लिए प्रसिद्ध हैं?

(a) स्वर्णिम शिखर
(b) पत्थरों को तराशकर बनाए गए रथ मंदिर
(c) धातु से बने स्मारक
(d) मूर्तियों पर चित्रांकन

उत्तर: (b) पत्थरों को तराशकर बनाए गए रथ मंदिर

व्याख्या: पल्लव राजाओं ने महाबलीपुरम में शैलकृत मंदिरों और ‘पंच रथ’ जैसे रथ मंदिरों का निर्माण करवाया। ये मंदिर एक ही विशाल पत्थर को काटकर बनाए गए थे, जिनमें ‘गंगावतरण का शिल्प’ और ‘वराहमंडप’ पल्लवकालीन कला की उत्कृष्टता दर्शाते हैं। इससे शैलकृत (rock-cut) स्थापत्य को एक नई दिशा मिली और दक्षिण भारतीय मंदिर वास्तुकला की नींव मजबूत हुई।

प्रश्न 2. कांचीपुरम का कैलासनाथ मंदिर किस राजवंश के स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण है?

(a) पल्लव
(b) चालुक्य
(c) चोल
(d) राष्ट्रकूट

उत्तर: (a) पल्लव

व्याख्या: कैलासनाथ मंदिर पल्लव साम्राज्य की राजधानी कांचीपुरम में स्थित है। यह पक्की ईंट और पत्थर से निर्मित है और द्रविड़ शैली की झलक देता है। इसकी दीवारों पर की गई खुदाई और देव-प्रतिमाओं से संबंधित मूर्तियाँ पल्लवों की कलात्मक दक्षता को प्रदर्शित करती हैं। यह मंदिर पल्लव स्थापत्य का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है और आगे चलकर द्रविड़ शैली का आधार बना।

प्रश्न 3. चालुक्य शासकों द्वारा निर्मित बादामी गुफा मंदिर किस विशेषता के लिए प्रसिद्ध हैं?

(a) जैन साहित्य अभिलेख
(b) विष्णु, शिव और जैन धर्म से संबद्ध मूर्तियाँ
(c) धातु शिल्पकला
(d) पौराणिक चित्रकथाएँ

उत्तर: (b) विष्णु, शिव और जैन धर्म से संबद्ध मूर्तियाँ

व्याख्या: चालुक्य शासकों ने कर्नाटक के बादामी में शैलकृत गुफा मंदिरों का निर्माण करवाया। ये गुफाएँ शिव, विष्णु और जैन धर्म से संबंधित मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध हैं। नृत्यरत नटराज, विष्णु का वराह अवतार और त्रिमूर्ति जैसी प्रतिमाएँ यहाँ के कला-वैभव को प्रदर्शित करती हैं। ये मंदिर भारतीय मूर्तिकला की प्राचीन परंपरा और धार्मिक विविधता को उजागर करते हैं।

प्रश्न 4. ऐहोले को “भारतीय मंदिर वास्तुकला की पाठशाला” क्यों कहा जाता है?

(a) यहाँ चोल शासन की शुरुआत हुई
(b) यहाँ 100 से अधिक प्राचीन मंदिर स्थित हैं
(c) पहले द्रविड़ मंदिर का निर्माण यहीं हुआ
(d) यह मौर्य स्थापत्य का केंद्र था

उत्तर: (b) यहाँ 100 से अधिक प्राचीन मंदिर स्थित हैं

व्याख्या: चालुक्य शासकों के समय ऐहोले मंदिर निर्माण की प्रयोगशाला बना। यहाँ 100 से अधिक मंदिर बने, जो विभिन्न स्थापत्य शैलियों और प्रयोगों के उदाहरण हैं। इसी वजह से ऐहोले को “भारतीय मंदिर वास्तुकला की पाठशाला” कहा जाता है। यहाँ की विविधता ने आगे मंदिर स्थापत्य को रूप और दिशा दी और द्रविड़ व नागर शैलियों का समन्वय स्पष्ट हुआ।

प्रश्न 5. पट्टदकल के मंदिर किस विशेषता के लिए प्रसिद्ध हैं?

(a) मौर्य स्तंभ स्थापत्य
(b) गुप्तकालीन गुंबद शैली
(c) द्रविड़ और नागर शैली का संगम
(d) बौद्ध विहार

उत्तर: (c) द्रविड़ और नागर शैली का संगम

व्याख्या: पट्टदकल, जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया है, चालुक्यकालीन स्थापत्य का महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ के मंदिरों में द्रविड़ और नागर दोनों शैलियों का अद्भुत संगम देखा जाता है। इस संगम ने दक्षिण भारत की द्रविड़ शैली को और निखार दिया। पट्टदकल के मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि स्थापत्य प्रयोगों के दृष्टिकोण से भी असाधारण स्थान रखते हैं।

Recent Posts