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गुप्तकालीन उपलब्धियाँ

प्रस्तावना:

भारतीय इतिहास में गुप्तकाल (चौथी से छठी शताब्दी ईस्वी) को स्वर्ण युग कहा जाता है। यह काल राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध था। गुप्त शासकों ने कला, विज्ञान, साहित्य, शिक्षा और स्थापत्य को संरक्षण दिया, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय सभ्यता ने उच्च विकास स्तर प्राप्त किया। इस युग की उपलब्धियाँ आज भी भारतीय संस्कृति की गौरवमयी धरोहर हैं।

संस्कृत साहित्य का उत्कर्ष

  • गुप्तकाल में संस्कृत साहित्य अपने चरम पर पहुँचा।
  • इस काल के महान कवि कालिदास ने अभिज्ञान शाकुंतलम, रघुवंश और मेघदूत जैसे अमर ग्रंथों की रचना की।
  • संस्कृत भाषा में नाट्य, काव्य और महाकाव्य की परंपरा ने गुप्त काल में शास्त्रीय स्वरूप प्राप्त किया।
  • साथ ही, विष्णु शर्मा द्वारा पंचतंत्र और अन्य ग्रंथों की रचना भी इस युग में हुई।

गणित और खगोलशास्त्र में उपलब्धियाँ

  • गुप्तकालीन वैज्ञानिक आर्यभट महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे।
  • उनकी कृति आर्यभटीय में शून्य (0) की अवधारणा, दशमलव प्रणाली, तथा π (पाई) का मान दिया गया।
  • उन्होंने यह भी प्रतिपादित किया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है और ग्रहण का कारण चंद्रमा और पृथ्वी की छाया है।
  • इस प्रकार गुप्तकालीन विज्ञान विश्व की गणितीय और खगोलीय परंपरा का आधार बना।

गुप्त कला और मूर्तिकला

  • गुप्त कला ने भारतीय मूर्तिकला को परिष्कृत और शास्त्रीय स्वरूप दिया।
  • इस काल की मूर्तियों में कोमलता, गरिमा और आध्यात्मिकता का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है।
  • सारनाथ से प्राप्त बुद्ध की मूर्तियाँ गुप्त कला की सर्वोत्तम कृतियों में मानी जाती हैं।

गुप्त स्थापत्य और गुफा कला

  • गुप्तकाल में मंदिर स्थापत्य कला का विकास हुआ। ईंट और पत्थर से बने मंदिरों में गर्भगृह और शिखर की परंपरा का आरंभ हुआ।
  • अजंता और एलोरा की गुफाओं में बनी भित्तिचित्र और मूर्तियाँ गुप्तकालीन कला की श्रेष्ठ मिसाल हैं।
  • इन चित्रों में बुद्ध के जीवन प्रसंगों और जातक कथाओं का अद्भुत चित्रण मिलता है।

शिक्षा और विश्वविद्यालयों का विकास

  • इस काल में भारत शिक्षा का केंद्र बन गया।
  • नालंदा विश्वविद्यालय विश्व का सबसे प्रमुख शिक्षण केंद्र था, जहाँ दूर-दूर से विद्वान अध्ययन करने आते थे।
  • यहाँ व्याकरण, गणित, दर्शन, चिकित्सा और बौद्ध धर्म की गहन शिक्षा दी जाती थी।

सांस्कृतिक और बौद्धिक योगदान

  • गुप्तकालीन उपलब्धियों ने भारतीय संस्कृति को स्वर्णिम अध्याय प्रदान किया।
  • विज्ञान और गणित के सिद्धांत, साहित्य की शास्त्रीय परंपरा और कला का अद्वितीय विकास आज भी भारतीय सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा हैं।
  • इस युग ने भारतीय दर्शन और समाज को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई।

निष्कर्ष:

गुप्तकाल कला, साहित्य और विज्ञान का स्वर्ण युग था। कालिदास की अमर कृतियाँ, आर्यभट का गणित और खगोल विज्ञान में योगदान, गुप्त स्थापत्य और अजंता-एलोरा की कलाकृतियाँ इसकी unmatched उपलब्धियाँ थीं। गुप्त युग ने भारतीय सभ्यता की मजबूत नींव रखी और आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का शाश्वत स्रोत बन गया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQS) और उत्तर

प्रश्न 1. गुप्तकाल को भारतीय इतिहास में किस नाम से जाना जाता है?

(a) लौह युग
(b) पाषाण युग
(c) स्वर्ण युग
(d) वीर युग

उत्तर: (c) स्वर्ण युग

व्याख्या: गुप्तकाल (चौथी–छठी शताब्दी) को स्वर्ण युग कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में राजनीति, साहित्य, कला, स्थापत्य, गणित और खगोल विज्ञान में असाधारण प्रगति हुई। कालिदास, आर्यभट, अजंता–एलोरा की कला तथा नालंदा विश्वविद्यालय जैसी उपलब्धियों ने इसे सांस्कृतिक उत्कर्ष का युग बना दिया।

प्रश्न 2. गुप्तकालीन महान कवि कालिदास की प्रमुख कृति कौन-सी है?

(a) पंचतंत्र
(b) अभिज्ञान शाकुंतलम
(c) अर्जुनविवाह
(d) गीता गोविन्द

उत्तर: (b) अभिज्ञान शाकुंतलम

व्याख्या: गुप्तकाल में संस्कृत साहित्य अपने शिखर पर पहुँचा। कालिदास इस युग के महान कवि और नाटककार थे। उनकी कृतियाँ अभिज्ञान शाकुंतलम, रघुवंश और मेघदूत अद्वितीय मानी जाती हैं। विशेषकर अभिज्ञान शाकुंतलम विश्व साहित्य की कालजयी रचनाओं में शामिल है, जिसने गुप्तकालीन सांस्कृतिक उपलब्धि को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई।

प्रश्न 3. गुप्तकालीन गणितज्ञ आर्यभट ने किस विषय में महत्वपूर्ण योगदान दिया?

(a) शून्य और दशमलव प्रणाली
(b) संस्कृत साहित्य
(c) आयुर्वेद चिकित्सा
(d) मूर्तिकला

उत्तर: (a) शून्य और दशमलव प्रणाली

व्याख्या: गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट की कृति आर्यभटीय गुप्तकाल की वैज्ञानिक उपलब्धि थी। उन्होंने शून्य, दशमलव पद्धति और π (पाई) का मान प्रस्तुत किया। साथ ही पृथ्वी के घूमने और ग्रहण के वैज्ञानिक कारणों को भी स्पष्ट किया। इससे गुप्त युग वैश्विक गणित और खगोल विज्ञान का आधार बन गया।

प्रश्न 4. गुप्तकालीन मूर्तिकला की श्रेष्ठतम कृतियाँ कहाँ पाई जाती हैं?

(a) मथुरा
(b) सारनाथ
(c) साँची
(d) पाटलिपुत्र

उत्तर: (b) सारनाथ

व्याख्या: गुप्त काल की मूर्तिकला में गरिमा, कोमलता और आध्यात्मिकता का अद्भुत समन्वय था। सारनाथ से प्राप्त बुद्ध की मूर्तियाँ गुप्त कला का सर्वोत्तम उदाहरण हैं। इनमें शांति, ध्यान एवं आध्यात्मिक गहराई स्पष्ट होती है, जिसने भारतीय मूर्तिकला को नया शास्त्रीय स्वरूप प्रदान किया।

प्रश्न 5. गुप्तकाल में शिक्षा का प्रमुख केंद्र कौन-सा विश्वविद्यालय था?

(a) तक्षशिला
(b) वल्लभी
(c) नालंदा
(d) विक्रमशिला

उत्तर: (c) नालंदा

व्याख्या: गुप्तकाल में भारत शिक्षा का वैश्विक केंद्र बना। नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना इसी काल में हुई। यहाँ व्याकरण, दर्शन, गणित, चिकित्सा और बौद्ध धर्म की पढ़ाई होती थी। चीन एवं एशिया से विद्वान अध्ययन हेतु यहाँ आते थे। यह विश्वविद्यालय गुप्तकालीन ज्ञान की उत्कृष्ट धरोहर था।

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