प्रस्तावना:
भारत के प्राचीन इतिहास में सिंधु घाटी सभ्यता (indus valley civilization) को अपनी उत्कृष्ट नगरीय योजना और नगर संरचना के लिए विश्वभर में प्रसिद्धि प्राप्त है। यह सभ्यता लगभग 2500 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व के बीच विकसित हुई। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, कालीबंगन जैसे नगर इस बात के साक्ष्य हैं कि उस समय नगर वास्तुकला और शहरी जीवन अत्यंत उन्नत थे। इस सभ्यता ने नगर नियोजन, सार्वजनिक निर्माण और स्वच्छता व्यवस्था के क्षेत्र में अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किए।
प्रमुख विशेषताएँ
सुसंगठित नगर नियोजन (well-planned cities)
- हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे नगर सुव्यवस्थित और योजनाबद्ध रूप से बनाए गए थे।
- नगरों को आयताकार ढंग से बसाया गया, जिससे उनकी संरचना संतुलित और सुव्यवस्थित थी।
- नगर नियोजन से स्पष्ट होता है कि उस समय प्रबंध और शहरी विकास की उच्च क्षमता थी।
जाल-जैसा मार्ग-पैटर्न (grid pattern of streets)
- नगरों की सड़कों को उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम दिशा में सीधी रेखा में बनाया गया।
- सड़कें एक-दूसरे को समकोण (right angle) पर काटती थीं, जिससे पूरा नगर जाल-जैसा प्रतीत होता था।
- मुख्य सड़कें चौड़ी और लंबी थीं, जबकि गलियाँ उनसे जुड़ी हुई संकरी शाखाएँ थीं।
उन्नत जल निकासी प्रणाली (drainage system)
- सिंधु सभ्यता की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि उनकी जल निकासी व्यवस्था थी।
- हर मकान से निकासी नालियाँ जुड़ी रहती थीं, जो बड़े मुख्य नालों से मिलती थी।
- नालियाँ पक्की ईंटों से बनी होतीं और ऊपर से ढकी रहतीं, जिससे नगर स्वच्छ एवं व्यवस्थित रहता।
निर्माण सामग्री और तकनीक
- मकानों, नालों और सार्वजनिक इमारतों में एक मानकीकृत ईंट (standardized bricks) का उपयोग होता था, जो ज्यादातर पकी हुई (burnt bricks) होती थीं।
- इस समानता से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि नगर-निर्माण में एकसमान मानक और तकनीक का पालन किया जाता था।
सार्वजनिक और प्रशासनिक भवन
- नगरों में अन्नागार (granaries), दुर्ग या गढ़ी (citadels) और स्नानगृह (great bath) जैसी विशाल सार्वजनिक इमारतें थीं।
- मोहनजोदड़ो का महास्नानगृह (great bath) धार्मिक-सामाजिक जीवन का केंद्र माना जाता है।
- अन्नागार बड़े पैमाने पर खाद्यान्न भंडारण की उन्नत व्यवस्था को दर्शाते हैं।
आवासीय और प्रशासनिक क्षेत्र का विभाजन
- नगर को ऊँचे भाग (गढ़ी) और निचले भाग (निवासी क्षेत्र) में बाँटा गया था।
- गढ़ी में शासक वर्ग, प्रशासनिक भवन और सार्वजनिक संरचनाएँ थीं।
- निचले भाग में आम जनता के आवास थे, जिनमें आँगन, कमरे और कभी-कभी कुएँ भी बने होते थे।
निष्कर्ष:
सिंधु घाटी सभ्यता की नगर संरचना और नगरीय योजना यह सिद्ध करती है कि यह सभ्यता अपने समय की सर्वाधिक उन्नत शहरी सभ्यताओं में से थी। सुव्यवस्थित सड़कें, मानकीकृत ईंटें, उन्नत जल निकासी प्रणाली और विशाल सार्वजनिक इमारतें उनकी तकनीकी क्षमता, प्रशासनिक संगठन और स्वच्छता के प्रति सजगता को दर्शाती हैं। इस प्रकार सिंधु सभ्यता मानव इतिहास में शहरी नियोजन और वास्तु-कला का एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत करती है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQS) और उत्तर
प्रश्न 1. सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि मानी जाती है –
(a) धातुकर्म का विकास
(b) जल निकासी प्रणाली
(c) लौह के औजार
(d) रथ का प्रयोग
उत्तर: (b) जल निकासी प्रणाली
व्याख्या: सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी उपलब्धि उनकी उन्नत जल निकासी व्यवस्था थी। हर घर से निकासी नालियाँ जुड़ी होती थीं, जो बड़े नालों से मिलती थीं। ये पक्की ईंटों की बनी और ऊपर से ढकी होतीं, जिससे नगर में गंदगी नहीं फैलती थी। यह तथ्य दर्शाता है कि उस समय लोग स्वच्छता और शहरी नियोजन के उच्च मानकों को समझते और लागू करते थे।
प्रश्न 2. मोहनजोदड़ो का “महास्नानगृह” किससे संबंधित माना जाता है?
(a) राजनीतिक शासन
(b) धार्मिक-सामाजिक जीवन
(c) वाणिज्य और व्यापार
(d) प्रशासनिक आदेश
उत्तर: (b) धार्मिक-सामाजिक जीवन
व्याख्या: मोहनजोदड़ो का महास्नानगृह (great bath) सिंधु सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक इमारत है। यह पक्की ईंटों से बना जलकुंड था, जिसका उपयोग सामूहिक स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए किया जाता था। इसके निर्माण से यह स्पष्ट होता है कि उस समय लोग धार्मिक-सामाजिक जीवन में पवित्रता और स्वच्छता को अत्यंत महत्त्व देते थे। यह इमारत संगठन और शहरी संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है।
प्रश्न 3. सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन की प्रमुख विशेषता क्या थी?
(a) वृत्ताकार नगर योजना
(b) जाल-जैसा मार्ग-पैटर्न
(c) अनियमित मकान
(d) लकड़ी की सड़कें
उत्तर: (b) जाल-जैसा मार्ग-पैटर्न
व्याख्या: सिंधु सभ्यता के नगरों को आयताकार ढंग से बसाया गया था। मुख्य सड़कें उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम दिशा में सीधी थीं और वे समकोण पर एक-दूसरे को काटती थीं। इस व्यवस्था से पूरा नगर जाल-जैसा (grid pattern) प्रतीत होता था। इस तरह की योजना दर्शाती है कि उस समय के लोग सुव्यवस्थित शहरी ढांचा, यातायात व्यवस्था और संतुलित नगर संरचना को महत्व देते थे।
प्रश्न 4. सिंधु घाटी सभ्यता की इमारतों के निर्माण में किस प्रकार की ईंटों का प्रयोग अधिक हुआ?
(a) कच्ची ईंटें
(b) लकड़ी की ईंटें
(c) पकी हुई मानकीकृत ईंटें
(d) पत्थर की गोटियाँ
उत्तर: (c) पकी हुई मानकीकृत ईंटें
व्याख्या: सिंधु घाटी सभ्यता के नगरों में मकान, नालियाँ और सार्वजनिक इमारतें पकी हुई मानकीकृत ईंटों से बनी थीं। प्रत्येक ईंट का माप लगभग समान होता था। यह दर्शाता है कि निर्माण कार्य तकनीकी रूप से उन्नत था और पूरे समाज में एकसमान मानकों का पालन किया जाता था। यह नगर निर्माण में संगठन, योजना और शासकीय नियंत्रण का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 5. सिंधु सभ्यता में नगर किस प्रकार विभाजित थे?
(a) मंदिर और बाजार
(b) दुर्ग (गढ़ी) और निचला नगर
(c) व्यापारी क्षेत्र और सैनिक क्षेत्र
(d) गुफाएँ और झोपड़ियाँ
उत्तर: (b) दुर्ग (गढ़ी) और निचला नगर
व्याख्या: सिंधु घाटी सभ्यता में नगरों को ऊँचे भाग (गढ़ी) और निचले भाग (निवासी क्षेत्र) में बाँटा गया था। गढ़ी में सार्वजनिक इमारतें, शासक वर्ग और प्रशासनिक केंद्र होते थे, जबकि निचले भाग में सामान्य जनता के मकान थे। यह विभाजन दर्शाता है कि समाज में प्रशासनिक संगठन, वर्ग विभाजन और शहरी नियोजन की समझ काफी विकसित थी।