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भारत की पुरापाषाण संस्कृतियां

प्रस्तावना:

भारतीय इतिहास का प्रारंभिक चरण पुरापाषाण संस्कृति (paleolithic culture) से जुड़ा हुआ है। यह काल लगभग 20 लाख वर्ष पूर्व से लेकर ईसा पूर्व 10,000 तक फैला माना जाता है। इस समय मानव जीवन अत्यंत प्रारंभिक अवस्था में था। लोग पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर रहते थे और पत्थर के औजारों का उपयोग करके शिकार और भोजन संग्रह करते थे। पुरापाषाण संस्कृति मानव सभ्यता के विकास का आधारभूत और प्रारंभिक स्वरूप प्रस्तुत करती है।

प्रमुख विशेषताएँ

आजीविका का साधन – शिकारी और संग्रहकर्ता जीवन

  • पुरापाषाण काल के लोग अभी कृषि और पशुपालन से अनजान थे।
  • उनका जीवन शिकार करने, मछली पकड़ने और जंगली फल, कंद-मूल, बीज आदि एकत्र करने पर आधारित था।
  • यह जीवन-पद्धति पूरी तरह प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर थी।

पत्थर के औजारों का प्रयोग

  • इस काल की प्रमुख विशेषता पत्थर के औजारों का निर्माण और उपयोग था।
  • हाथ-कुल्हाड़ी (hand axe), choppers, cleavers, खुरचनी (scraper), और फ्लेक्स (flakes) प्रमुख उपकरण थे।
  • औजारों को कठोर पत्थर जैसे क्वार्टजाइट या बेसाल्ट का टुकड़ा तोड़कर बनाया जाता था।
  • ये औजार शिकार, पेड़ों को काटने, पशुओं की खाल निकालने और भोजन तैयार करने में प्रयुक्त होते थे।

अज्ञानता – कृषि और पशुपालन का अभाव

  • पुरापाषाण कालीन मनुष्य को न तो खेती करना आता था और न ही पशुओं का पालन।
  • वे पूरी तरह घुमक्कड़ जीवन बिताते और भोजन का संग्रह करने के लिए जगह-जगह घूमते थे।
  • स्थाई बस्तियों और संगठित उत्पादन का कोई रूप नहीं था।

निवास और जीवन-शैली

  • लोग स्थायी मकानों में नहीं रहते थे।
  • गुफाओं, शैलाश्रयों और प्राकृतिक आश्रयों का उपयोग किया जाता था, जैसे भीमबेटका गुफाएँ।
  • वहाँ कभी-कभी शैलचित्र भी मिले हैं, जो उनके सांस्कृतिक जीवन और शिकार से संबंधित गतिविधियों की झलक देते हैं।

पुरातात्विक स्थल

  • भारत में पुरापाषाण संस्कृति के अवशेष व्यापक रूप से मिले हैं।
  • सिंधु और पाकिस्तान का सोहन घाटी क्षेत्र, मध्य प्रदेश में नर्मदा घाटी तथा भोपाल के निकट भीमबेटका शैलाश्रय, प्रमुख पुरास्थल हैं।
  • दक्षिण भारत (कुम्बा, बिल्लुपुरम आदि) और कश्मीर घाटी से भी महत्वपूर्ण अवशेष प्राप्त हुए हैं।

भ्रमणशील और सामूहिक जीवन

  • पुरापाषाण काल के लोग घुमंतु (nomadic) जीवन व्यतीत करते थे।
  • छोटे समूहों में रहते और शिकार अथवा संग्रह के लिए सामूहिक प्रयास करते।
  • यह जीवन-पद्धति असुरक्षा और अस्थिरता से भरी थी परंतु समूह-भावना और आपसी सहयोग के संकेत मिलते हैं।

निष्कर्ष:

भारत की पुरापाषाण संस्कृति मानव सभ्यता के प्रारंभिक अध्याय का चित्र प्रस्तुत करती है। इस काल का मानव आदिम अवस्था में होते हुए भी पत्थर के औजारों का निर्माण करता था, गुफाओं में रहता था और शिकार-संग्रह पर निर्भर था। स्थायी बस्तियाँ, कृषि और पशुपालन का ज्ञान अभी दूर था, किंतु इसी चरण ने मानव के विकास की नींव रखी। भारतीय पुरातत्व स्थलों से प्राप्त अवशेष यह प्रमाणित करते हैं कि प्रागैतिहासिक युग में भारत भी वैश्विक मानव विकास की यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQS) और उत्तर

प्रश्न 1. भारत में पुरापाषाण संस्कृति का प्रारंभिक काल किस समय तक माना जाता है?
(a) लगभग 5000 वर्ष पूर्व
(b) लगभग 20 लाख वर्ष पूर्व
(c) लगभग 2000 ईसा पूर्व
(d) लगभग 8000 ईसा पूर्व

उत्तर: (b) लगभग 20 लाख वर्ष पूर्व

व्याख्या: भारत में पुरापाषाण संस्कृति का उद्भव लगभग 20 लाख वर्ष पूर्व माना जाता है। यह चरण मानव इतिहास की सबसे प्रारंभिक अवस्था है जब लोग शिकार और संग्रह पर निर्भर थे और पत्थर के औजारों का उपयोग करते थे। कृषि-पशुपालन का ज्ञान न होने के कारण वे घुमंतु जीवन जीते थे। यह काल लगभग ईसा पूर्व 10,000 तक चलता है, जिसने मानव सभ्यता की नींव रखी।

प्रश्न 2. पुरापाषाण काल के लोग जीविका के लिए क्या करते थे?
(a) कृषि और पशुपालन
(b) शिकार और भोजन संग्रह
(c) धातु के औजार बनाना
(d) वस्त्र निर्माण व व्यापार

उत्तर: (b) शिकार और भोजन संग्रह

व्याख्या: पुरापाषाण कालीन लोग अभी कृषि और पशुपालन से अनजान थे। वे प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहते थे और जीविका हेतु शिकार, मछली पकड़ना तथा जंगली फल, बीज, कंद-मूल का संग्रह करते थे। उनका जीवन पूरी तरह अस्थिर, घुमंतु और असुरक्षाओं से युक्त था। यह जीवन-पद्धति सामूहिक प्रयासों और समूह भावना पर आधारित थी।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन-सा औजार पुरापाषाण काल में प्रयुक्त नहीं था?
(a) हाथ-कुल्हाड़ी (hand axe)
(b) चॉपर (chopper)
(c) हल (plough)
(d) खुरचनी (scraper)

उत्तर: (c) हल (plough)

व्याख्या: पुरापाषाण काल के लोग केवल पत्थर के औजारों का उपयोग करते थे। हाथ-कुल्हाड़ी, चॉपर, खुरचनी, क्लीवर और फ्लेक्स जैसे औजार शिकार और भोजन की तैयारी के लिए बनाए जाते थे। हल का प्रयोग कृषि में होता है, जबकि पुरापाषाण काल में कृषि और पशुपालन का ज्ञान नहीं था। इसलिए हल बाद के नवपाषाण काल की देन था, पुरापाषाण काल की नहीं।

प्रश्न 4. भीमबेटका किस कारण से प्रसिद्ध है?
(a) धातु के औजारों की खोज
(b) गुफाओं और शैलचित्रों के लिए
(c) कृषि उपकरणों की उपस्थिति
(d) नगर योजना के अवशेष

उत्तर: (b) गुफाओं और शैलचित्रों के लिए

व्याख्या: भीमबेटका (भोपाल के निकट, मध्य प्रदेश) पुरापाषाण काल का प्रमुख स्थल है। यहाँ गुफाएँ और शैलचित्र मिले हैं, जो मानव के सांस्कृतिक जीवन, शिकार और सामूहिक गतिविधियों की झलक प्रस्तुत करते हैं। यहाँ के चित्र यह दर्शाते हैं कि उस समय का मनुष्य केवल शिकारी-संग्रहकर्ता ही नहीं था, बल्कि उसने प्रतीकात्मक और कलात्मक अभिव्यक्तियाँ भी विकसित की थीं।

प्रश्न 5. भारत में पुरापाषाण संस्कृति से संबंधित अवशेष निम्न में से कहाँ पाए गए हैं?
(a) सोहन घाटी, नर्मदा घाटी, भीमबेटका
(b) हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल
(c) तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला
(d) पाटलिपुत्र, उज्जैन, वाराणसी

उत्तर: (a) सोहन घाटी, नर्मदा घाटी, भीमबेटका

व्याख्या: भारतीय पुरापाषाण संस्कृति के महत्वपूर्ण स्थल सोहन घाटी (पाकिस्तान), नर्मदा घाटी (मध्य प्रदेश) और भीमबेटका (मध्य प्रदेश) हैं। इन स्थलों से पत्थर के औजार, गुफाएँ और शैलचित्र प्राप्त हुए हैं। दक्षिण भारत (कुम्बा, बिल्लुपुरम) और कश्मीर घाटी से भी अवशेष मिले हैं। ये प्रमाण दर्शाते हैं कि भारत प्रागैतिहासिक मानव सभ्यता की यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।

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