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कुषाण वंश का इतिहास

प्रस्तावना:

कुषाण वंश की स्थापना कुजुल कडफिसेस या कडफिसेस प्रथम ने लगभग 30 ईस्वी में की और यह 375 ईस्वी तक भारत व मध्य एशिया के बड़े हिस्से पर शासन करता रहा। इसकी राजधानी पुरुषपुर (काबुल) और मथुरा थी। कनिष्क के शासन में साम्राज्य अपने चरम पर पहुँचा, जहाँ बौद्ध धर्म, कला, संस्कृति और सिल्क रूट (रोड) व्यापार को विशेष प्रोत्साहन मिला, जिससे यह एक प्रभावशाली साम्राज्य बना।

स्थापना और कालखंड:

  • कुषाण वंश की स्थापना लगभग 30 ईसवी में कुजुल कडफिसेस या कडफिसेस प्रथम ने की थी।
  • यह वंश लगभग 30 से 375 ईस्वी तक उत्तर-पश्चिम भारत और आसपास के क्षेत्रों में शासन करता रहा।

राजधानी और क्षेत्र:

  • प्रमुख राजधानी पुरुषपुर (पेशावर, आज का काबुल) थी, साथ ही मथुरा भी मुख्य केंद्र था।
  • साम्राज्य का क्षेत्र मध्य एशिया के खुरासान से लेकर उत्तर भारत के वाराणसी तक फैला था।
  • इसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान एवं भारत के उत्तरी हिस्से शामिल थे।

संस्थापक:

  • कुजुल कडफिसेस, जिन्होंने पांच अन्य यूएझी जनजातियों को एकत्रित कर अफगानिस्तान और भारत के हिस्सों में प्रशासन स्थापित किया।

प्रमुख शासक और उनकी उपलब्धियाँ:

कुजुल कडफिसेस (लगभग 30-80 ई.): कुषाण साम्राज्य की नींव रखीं, सिक्के जारी किए।

विम कडफिसेस: साम्राज्य का विस्तार पंजाब, कश्मीर, मथुरा, तक्षशिला तक किया।

कनिष्क महान (लगभग 78-144 ई.): कुषाण साम्राज्य के सबसे प्रभावशाली शासक;

  • गंगा बेसिन और मगध सहित बड़े क्षेत्र पर शासन किया।
  • बौद्ध धर्म के संरक्षणकर्ता और प्रचारक।
  • पेशावर को राजधानी बनाया।
  • पुरुषपुर (पेशावर) में स्तूप और विहार बनवाए।
  • आयुर्वेद के प्रसिद्ध आचार्य चरक इनके दरबार में थे।
  • सिल्क रोड व्यापार को प्रोत्साहित किया।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • भारतीय उपमहाद्वीप में एक बड़ा और सामंजस्यपूर्ण साम्राज्य।
  • कला, धर्म और संस्कृति का संरक्षण।
  • बौद्ध धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका।
  • सिल्क रोड के माध्यम से भारत और विश्व के अन्य हिस्सों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संपर्क।

पतन के कारण:

  • 3री शताब्दी में कमजोर पड़ते शासकों द्वारा सत्ता के केंद्रीकरण में कमी।
  • प्रांतीय शासकों का स्वायत्त हो जाना।
  • क्षेत्रीय विद्रोह और बाहरी आक्रमणों का दबाव।
  • अंततः साम्राज्य का विघटन हो गया।

महत्व:

  • मध्य एशिया और भारत के बीच व्यापार, संस्कृति और कला का पुल।
  • बौद्ध धर्म और आयुर्वेद का संरक्षण।
  • भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण साम्राज्य जिसने सांस्कृतिक एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया।

सारांश:

कुषाण साम्राज्य (30–375 ईस्वी) भारत और मध्य एशिया के बीच व्यापार व संस्कृति का केंद्र था। कुजुल कडफिसेस ने इसकी नींव रखी और कनिष्क महान ने बौद्ध धर्म, कला और शिक्षा को संरक्षण देकर साम्राज्य को ऊँचाइयों पर पहुँचाया। चरक जैसे विद्वान इसके दरबार में थे। सिल्क रोड पर व्यापार की उन्नति हुई। 3री शताब्दी के बाद कमजोर शासकों और आक्रमणों से साम्राज्य का पतन हुआ।

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