प्रस्तावना:
पंवार शासकों ने युद्ध और प्रशासन के साथ-साथ धर्म और कला को भी समान महत्व दिया। उन्होंने अपनी राजधानियों – देवलगढ़ और श्रीनगर – में कई भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया, जो उस समय की स्थापत्य कला और धार्मिक भक्ति का प्रतीक हैं। इन मंदिरों का निर्माण न केवल पूजा के लिए किया गया था, बल्कि ये सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र भी थे।
राज राजेश्वरी मंदिर, देवलगढ़: राज राजेश्वरी मंदिर पंवार राजवंश की पहली राजधानी देवलगढ़ में स्थित एक प्रमुख मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण राजा अजय पाल ने करवाया था। यह मंदिर राज राजेश्वरी देवी को समर्पित है, जिन्हें पंवार राजवंश की कुलदेवी माना जाता है।
- धार्मिक महत्व: यह मंदिर राजवंश के शासकों की गहरी धार्मिक आस्था को दर्शाता है। राज राजेश्वरी को शक्ति और विजय की देवी माना जाता था, और राजा युद्धों में जीत के लिए उनकी पूजा करते थे। इस मंदिर का निर्माण यह दिखाता है कि राजाओं ने अपनी शक्ति और समृद्धि को देवी के आशीर्वाद से जोड़ा।
- स्थापत्य योगदान: मंदिर की स्थापत्य शैली गढ़वाल के पहाड़ी मंदिरों की विशेषता को दर्शाती है। मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी और मूर्तियां उस समय की उत्कृष्ट शिल्पकला का प्रमाण हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक स्थल था, बल्कि एक स्थापत्य उपलब्धि भी थी जो सदियों से खड़ी है।
कमलेश्वर मंदिर, श्रीनगर: कमलेश्वर मंदिर श्रीनगर में स्थित है और यह भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण भी पंवार शासकों द्वारा करवाया गया था और यह गढ़वाल के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है।
- धार्मिक महत्व: कमलेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, और इसे केदारखंड में वर्णित पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। यहाँ कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर संतान प्राप्ति के लिए विशेष पूजा (पुत्रकामेष्टि यज्ञ) का आयोजन होता है, जिसमें हजारों भक्त भाग लेते हैं। यह मंदिर दर्शाता है कि पंवार शासकों ने न केवल अपनी कुलदेवी की पूजा की, बल्कि व्यापक हिंदू धर्म के प्रति भी उनकी गहरी आस्था थी।
- स्थापत्य योगदान: इस मंदिर की वास्तुकला भी बहुत आकर्षक है। हालांकि समय के साथ इसके स्वरूप में कुछ बदलाव हुए हैं, लेकिन मूल संरचना पंवार काल की स्थापत्य शैली को दर्शाती है। मंदिर की बनावट और उसका स्थान श्रीनगर को एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण थे।
निष्कर्ष:
राज राजेश्वरी मंदिर और कमलेश्वर मंदिर दोनों ही पंवार शासकों के धार्मिक और स्थापत्य योगदान के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। राज राजेश्वरी मंदिर उनकी कुलदेवी के प्रति भक्ति और राजनीतिक शक्ति का प्रतीक है, जबकि कमलेश्वर मंदिर उनकी व्यापक धार्मिक आस्था को दर्शाता है। इन मंदिरों ने गढ़वाल की संस्कृति को आकार देने और धार्मिक परंपराओं को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।