प्रस्तावना:
चंद राजवंश, जिसने कुमाऊँ पर शासन किया, एक जटिल और सुव्यवस्थित कर प्रणाली के लिए जाना जाता था। इस प्रणाली में विभिन्न प्रकार के कर शामिल थे, जिन्हें ’36 रकम’ और ’32 कलम’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था, हालांकि कुछ ही करों का विस्तृत वर्णन मिलता है। यह प्रणाली राज्य के राजस्व का मुख्य स्रोत थी और प्रशासन, सेना और शाही परिवार के खर्चों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। यह कर प्रणाली उस समय के समाज और अर्थव्यवस्था की गहरी समझ को दर्शाती है।
कर प्रणाली का वर्गीकरण और भूमि माप: चंद राजवंश की कर प्रणाली में कुल 68 प्रकार के कर (36 रकम और 32 कलम) शामिल थे, हालांकि सभी का विवरण उपलब्ध नहीं है। भूमि माप के लिए विभिन्न इकाइयों का उपयोग किया जाता था, जैसे कि नाली, ज्यूला, और विशा। 20 नाली जमीन को लगभग एक एकड़ के बराबर माना जाता था। उपज का छठा हिस्सा कर के रूप में लिया जाता था, जिसे गल्ला छहाड़ा कहा जाता था। यह कर अनाज या नकद दोनों के रूप में लिया जा सकता था।
विभिन्न प्रकार के कर: चंद राजाओं ने विभिन्न उद्देश्यों के लिए कई कर लगाए। कटक कर सेना के रखरखाव के लिए था, जबकि स्थूक कर राज सेवकों के लिए लिया जाता था। न्यौंवाली कर न्याय प्राप्त करने के लिए और ज्यूलिया या सांगा नदी के पुलों पर लगाया जाता था। सिरती कर भाबर क्षेत्र और भोटिया व्यापारियों से नकद में लिया जाता था। ये कर राज्य की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए लगाए गए थे।
व्यापार और व्यवसाय पर कर: इस काल में व्यापारियों और कारीगरों से भी कर वसूले जाते थे। तान या टांड कर सूती और ऊनी वस्त्रों के बुनकरों पर लगाया जाता था, जबकि मिझारी कर कामगारों पर लगाया जाता था। कनक कर शौका व्यापारियों से सोने के रूप में लिया जाता था। ये कर राज्य की अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से राजस्व प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किए गए थे।
विशिष्ट और सामाजिक कर: कुछ कर बहुत विशिष्ट उद्देश्यों के लिए थे। राखिया कर सावन के महीने में रक्षाबंधन के समय लिया जाता था। बजनिया कर नर्तकों और नर्तकियों के लिए, घोडालों कर घोड़ों के लिए, और कुकुरयालो कर कुत्तों के लिए था। रोल्या-देवल्या कर राजपरिवार के देवी-देवताओं की पूजा के लिए था, जिसमें बकरे भी लिए जाते थे। ये कर समाज के हर वर्ग और हर गतिविधि को राजस्व के दायरे में लाते थे।
निष्कर्ष:
चंद राजवंश की यह कर प्रणाली उनकी प्रशासनिक दक्षता और वित्तीय प्रबंधन की एक उत्कृष्ट मिसाल है। यह प्रणाली केवल राजस्व संग्रह का साधन नहीं थी, बल्कि यह उस समय के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक ढांचे को भी दर्शाती थी। इन करों ने न केवल राज्य की आय सुनिश्चित की, बल्कि विभिन्न समुदायों और व्यवसायों को राज्य की वित्तीय व्यवस्था से जोड़ा। आज भी ये कर कुमाऊँ के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।