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उत्तराखंड का भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक महत्व

परिचय

उत्तराखंड, भारत का एक महत्वपूर्ण पर्वतीय राज्य है, जो अपने भौगोलिक विशिष्ट तत्वों, भू-राजनीतिक विद्वानों और भू-रणनीति के लिए महत्वपूर्ण रूप से जाना जाता है। यह राज्य मध्य में स्थित है, हिमालय की अपनी ऊँची चोटियाँ, पवित्र नदियाँ और विविध स्थलाकृति के साथ भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। भूमिका केवल एक राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की सुरक्षा, पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत का भी सिद्धांत है, सिद्धांत अपनी विघटन स्थिति का कारण है।

चीन और नेपाल अपनी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं, महत्वपूर्ण नदियों के उद्गम स्थलों और धार्मिक पर्यटन का केंद्र होने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक अन्वेषण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भू-राजनीतिक महत्व (भू-राजनीतिक महत्व)

अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर स्थितियाँ: उत्तराखंड में उत्तर चीन (तिब्बत स्वामिनी क्षेत्र) और पूर्व में नेपाल के साथ लंबी अपनी अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ साझा की जाती हैं। चीन के साथ लगभग 345 किलोमीटर और नेपाल के साथ लगभग 275 किलोमीटर की सीमा होने के कारण यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रेखा बन गया है। यह स्थिति इसे पड़ोसी देशों के साथ सशक्त और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए प्रेरक बनाती है। सीमा, ऑटोमोबाइल प्रबंधन की रोकथाम और सीमा पार व्यापार जैसे मुद्दे इसकी भू-राजनीतिक स्थिति को प्रभावित करते हैं।

चीन के साथ वैष्णव प्रतिष्ठान: चीन (तिब्बत) के साथ उत्तराखंड की सीमा भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के लिए अत्यंत आकर्षक है। चीन की तिब्बती मिलिटरी उपस्थिति और रेस्तरां का विकास भारत के लिए निरंतर चिंता का विषय बना हुआ है। उत्तराखंड के पुरातात्विक जिले जैसे उत्तरकाशी, चंपारण और सचिवालय सीधे तौर पर जियोपॉलिटिकल दिशा-निर्देशों (भू-राजनीतिक सलाहकार) से प्रभावित होते हैं। सीमा, नियंत्रण और रेखा (एलएसी) पर निगरानी का महत्व यहां और बढ़ता है। यह स्थिति भारत को अपने सैन्य बल और उपस्थिति नागरिक को मजबूत करने के लिए प्रेरित करती है।

नेपाल के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध: नेपाल के साथ उत्तराखंड की पूर्वी सीमा न केवल भौगोलिक है, बल्कि विशाल ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जुड़ाव भी जुड़ा हुआ है। दोनों क्षेत्र के लोगों के बीच रोटी-बेटी का संबंध बना हुआ है। हालाँकि, हाल के वर्षों में कुछ सीमाएँ और नेपाल के स्थानीय राजनीतिक रुझान ने इस सीमा के भू-राजनीतिक महत्व को बढ़ा दिया है। उद्योग, चंपावत और उधम सिंह नगर जैसे जिले नेपाल के साथ व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक जुड़ाव-केंद्र हैं, लेकिन साथ ही सीमा पार अपराध और सुरक्षा का भी सामना करते हैं।

पहाड़ी और दुर्गम भू-भाग: उत्तराखंड का अधिकांश भू-भाग पहाड़ी और दुर्गम है, जिसमें ऊंची हिमालयी चोटियाँ और गहरी घाटियाँ शामिल हैं। यह भू-भाग न केवल मार्गदर्शन को कठिन निर्माण है बल्कि सुरक्षा बलों के लिए भी एक चुनौती पेश करता है। हालाँकि, यह प्राकृतिक बाधा एक हद तक अतिक्रमण को रोकने में भी सहायक है। इस भू-भाग की समझ भू-राजनीतिक कंक्रीट के निर्माण में महत्वपूर्ण है, इंजीनियरी अवशेष अध्ययन के विकास और सैन्य माइकल के संदर्भ में।

हिमालयी नक्षत्र और जलवायु परिवर्तन का होना: हिमालयी नक्षत्र तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, जैसे कि ज्वालामुखी का पिघलना, बादल फटना और द्वीप, न केवल स्थानीय आबादी प्रभावित होती है बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। भारत में अपनी मोटरसाइकिल कंपनियों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में उत्तराखंड के अनुभव का लाभ उठा सकते हैं।

भू-रणनीतिक महत्व

राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा रक्षा: चीन और नेपाल के साथ उत्तराखंड की खाड़ी और आकर्षक अंतर्राष्ट्रीय सीमा इसे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण भू-रणनीति राज्य बनाती है। यह सीमा सुरक्षा और राष्ट्रीय रक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतीय सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और सशस्त्र सीमा पुलिस (एसएसबी) जैसे सुरक्षा बल क्षेत्र में भारी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं।

जल सुरक्षा और नदी प्रणाली: उत्तराखंड गंगा और यमुना भारत की कई महत्वपूर्ण नदियों का उद्गम स्थल है। ये नदियाँ भारत के विशाल मैदानी इलाकों के लिए जीवन रेखा हैं, जो कृषि, कृषि और औद्योगिक उपकरणों को पूरा करती हैं। इसलिए, उत्तराखंड की जल सुरक्षा का प्रबंधन और पर्यावरण स्थिरता भारत की समग्र जल सुरक्षा के लिए प्रतिष्ठा के रूप में महत्वपूर्ण है। इन नदियों पर बनने वाली जलविद्युत परियोजनाएं भी देश की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देती हैं।

नमूने और नमूने का विकास: पैमाने राज्य होने के कारण, भारत सरकार ने उत्तराखंड में नमूने और नमूने ढके के विकास में भारी निवेश किया है। इनमें ऑल-वेदर रोड परियोजनाएं, रेलवे वैगन का विस्तार (जैसे कि ऋषि-कर्ण प्रयाग रेल लाइन) और हवाई किले का तटबंध (जैसे पंतनगर और जॉलीग्रांट हवाई अड्डे) शामिल हैं। ये निवेश न केवल स्थानीय विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि स्वदेशीकरण और सुरक्षा बलों की तत्काल वापसी के लिए भी आवश्यक हैं। चीन के साथ तनाव बढ़ने की स्थिति में ये भव्य ढाँचे सैन्य अवकाश में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

पर्यटन और तीर्थस्थलों के प्रमुख आयाम: उत्तराखंड को “देवभूमि” के नाम से जाना जाता है और इसमें चार धाम (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) सहित कई महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थस्थलों का क्षेत्र है। यह भारत और विदेश से बड़ी संख्या में ज्वालामुखी और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है, जिससे इसकी सांस्कृतिक और आर्थिक भूमिका बढ़ जाती है। पर्यटन न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है, बल्कि इस क्षेत्र में भारतीय उपस्थिति और सांस्कृतिक प्रभाव को भी शामिल करता है। यह एक प्रकार की “सॉफ्ट पावर” का भी प्रतिनिधित्व करता है।

आपदा प्रबंधन और प्रतिरोधक्षमता (रेसिलियंस): राज्य की भू-राजनीति स्थिति में भूकंप, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, ज्वालामुखी विस्फोट जैसी प्राकृतिक आपदाएँ भी शामिल हैं। हिमालयी क्षेत्र में ये आपदाएँ अक्सर आती रहती हैं, जिससे जान-माल की भारी क्षति होती है। इन आपदाओं का प्रभावशाली प्रबंधन न केवल स्थानीय आबादी के लिए बल्कि समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। डिजास्टर रिस्पॉन्स सिस्टम (आपदा प्रतिक्रिया तंत्र) का विकास और दृष्टिकोण का प्रतिरोधक्षमता (रेसिलियन)भू-रणनीति योजना का एक सिद्धांत है।

निष्कर्ष

निष्कर्षतः, उत्तराखंड की भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक स्थिति भारत के लिए एक अप्रामाणिक राज्य संरचना है। यह केवल अपनी सीमा की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, बल्कि देश की जल, ऊर्जा और पर्यावरणीय सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता पर्यटन के माध्यम से नरम शक्ति को बढ़ावा देती है, जबकि आपदा प्रबंधन इसकी क्षमता को राष्ट्रीय प्रतिरोधक्षमता, या समुत्थानशक्ति (रेसिलियंस) को मजबूत करता है। उत्तराखंड में भी, भारत के राष्ट्रीय हितों का एक महत्वपूर्ण केंद्र भविष्य बना रहेगा।

प्रश्नोत्तरी

वस्तुनिष्ठ प्रश्न और उत्तर

निम्नलिखित ऑब्जेक्ट में दिए गए अंतिम विकल्प में से गलत विकल्प का चयन करें (3 विकल्प, 1 विकल्प गलत)।

प्रश्न 1: निम्न में से कौन-से उत्तराखंड के भू-राजनीतिक महत्व से संबंधित कारक हैं? (गलत विकल्प का चयन करें)
a.   चीन और नेपाल के साथ सीमाएँ साझा करना
b.   उच्च हिमालयी पर्वतों की उपस्थिति
c.   भारत के सभी राज्यों से सटी सीमा
d.   सीमावर्ती जिलों की संवेदनशीलता

उत्तर: c. भारत के सभी राज्यों से सटी सीमा
स्पष्टीकरण: उत्तराखंड केवल हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, नेपाल और चीन (तिब्बत) से सटा है। यह भारत के सभी राज्यों से सीमा साझा नहीं करता। जबकि चीन और नेपाल से सीमाएँ, सीमावर्ती संवेदनशील जिले और हिमालयी क्षेत्र इसकी भू-राजनीतिक स्थिति को विशेष बनाते हैं।

प्रश्न 2 : उत्तराखंड की भू-रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने वाले कौन-से कारक हैं? (गलत विकल्प का चयन करें)
a.   ऑल वेदर रोड और रेल परियोजनाएँ
b.   सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य तैनाती
c.   वन संरक्षण हेतु प्रतिबंधित क्षेत्र
d.   हवाई अड्डों का उन्नयन

उत्तर: c. वन संरक्षण हेतु प्रतिबंधित क्षेत्र
स्पष्टीकरण: वन संरक्षण उत्तराखंड के पर्यावरणीय महत्व का हिस्सा है, परंतु भू-रणनीतिक दृष्टिकोण से इसका सीधा संबंध नहीं है। जबकि सड़क, रेलवे और हवाई अड्डों की रणनीतिक पहुँच और सैन्य बलों की उपस्थिति उत्तराखंड को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाते हैं।

प्रश्न 3: उत्तराखंड के सन्दर्भ में निम्न में से कौन-से तथ्य राष्ट्रीय सुरक्षा में भूमिका निभाते हैं? (गलत विकल्प का चयन करें)
a.   भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की तैनाती
b.   सीमा पर सुरंगों का निर्माण
c.   तटीय क्षेत्र की निगरानी
d.   रणनीतिक सड़क नेटवर्क का विस्तार

उत्तर: c. तटीय क्षेत्र की निगरानी
स्पष्टीकरण: उत्तराखंड एक पर्वतीय और स्थलीय राज्य है, इसका कोई तटीय क्षेत्र नहीं है। अतः तटीय निगरानी इससे संबंधित नहीं है। जबकि सीमा पुलिस, सुरंगों का निर्माण और सड़क नेटवर्क रणनीतिक सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।

अभिकथन और कारण पर आधारित वस्तुनिष्ठ प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1:

Assertion (A): उत्तराखंड की सीमाएँ चीन और नेपाल से मिलती हैं।
Reason (R): इस कारण उत्तराखंड भारत की सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण राज्य बन गया है।

a. A और R दोनों सही हैं, और R, A की सही व्याख्या करता है।
b. A और R दोनों सही हैं, लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं करता।
c. A सही है, लेकिन R गलत है।
d. A गलत है, लेकिन R सही है।

उत्तर: a.  A और R दोनों सही हैं, और R, A की सही व्याख्या करता है।

स्पष्टीकरण: उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय सीमाएँ लगभग 350 किलोमीटर से अधिक चीन (तिब्बत) और लगभग 275 किलोमीटर नेपाल से मिलती हैं। इस संवेदनशील सीमा क्षेत्र में भारतीय सेना की उपस्थिति और निगरानी आवश्यक है। इसलिए राज्य का भू-रणनीतिक महत्व बहुत अधिक है।

प्रश्न 2:

Assertion (A): उत्तराखंड का अधिकांश भाग हिमालयी क्षेत्र में स्थित है।
Reason (R): हिमालय क्षेत्र भारत की रक्षा के लिए प्राकृतिक दीवार का कार्य करता है।

a. A और R दोनों सही हैं, और R, A की सही व्याख्या करता है।
b. A और R दोनों सही हैं, लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं करता।
c. A सही है, लेकिन R गलत है।
d. A गलत है, लेकिन R सही है।

उत्तर: a. A और R दोनों सही हैं, और R, A की सही व्याख्या करता है।

स्पष्टीकरण: उत्तराखंड का 86% भाग पर्वतीय है, जो मुख्य रूप से हिमालयी श्रृंखलाओं में आता है। हिमालय एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है, जिससे यह भारत की सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण भू-रणनीतिक भूमिका निभाता है।

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