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उत्तराखंड में ग्रामीण विकास और रोजगार कार्यक्रम

परिचय

भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। भारतीय समाज का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में निवास करता है, जो आर्थिक विकास एवं सामाजिक संरचना में महत्वपूर्ण योगदान देता है। उत्तराखंड, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, वहाँ के ग्रामीण विकास और रोजगार सृजन की योजनाओं का एक विशेष स्थान है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के सहयोग से कई योजनाओं और कार्यक्रमों का आयोजन किया है, जो गरीबी उन्मूलन, स्व-रोजगार, और सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता देते हैं।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्व

भारत की व्यापक जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है। इन क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति शहरों की तुलना में कमज़ोर होती है, और विकास के लिए एक मजबूत नीति की आवश्यकता होती है। ग्रामीण विकास में निवेश न केवल देश की सामाजिक स्थिति को सुधारता है, बल्कि आर्थिक विकास को भी आगे बढ़ाता है।

ग्रामीण विकास के लक्ष्य

ग्रामीण विकास का मुख्य लक्ष्य गरीब परिवारों की जीवन स्थिति में सुधार करना और उन्हें स्वावलंबी बनाना होता है। यह सामाजिक और आर्थिक समावेशन को बढ़ाने पर केंद्रित है।

उत्तराखंड की ग्रामीण विकास योजनाएँ

पंचायती राज संस्थाएँ : उत्तराखंड में तीन-स्तरीय पंचायत प्रणाली (ग्राम पंचायत, ज़िला पंचायत और क्षेत्र पंचायत) का गठन किया गया है। पंचायतों की भूमिका विभिन्न विकास योजनाओं के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण होती है। पंचायतों को विभिन्न योजनाओं के चयन, योजना, कार्यान्वयन, और निगरानी में शामिल किया गया है।

दीनदयाल उत्तराखंड ग्रामीण आवास योजना : 25 सितंबर 2007 को लॉन्च की गई इस योजना का उद्देश्य गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों को स्थायी आवास प्रदान करना है।

योजना की विशेषताएँ:

वित्तीय सहायता : योजना के अंतर्गत, पक्के घरों के निर्माण हेतु एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

लाभार्थी चयन की प्राथमिकताएँ :

   – स्वतंत्र बंधुआ श्रमिक

   – अनुसूचित जातियों और जनजातियों के परिवार

   – प्राकृतिक आपदा से प्रभावित परिवार

राज्य ऋण सह-ग्रांट ग्रामीण आवास योजना

यह योजना उन ग्रामीण घरों के लिए है, जो गरीबी रेखा के ऊपर लेकिन 32,000 रुपये की आय सीमा तक हैं। इसमें प्रति परिवार 50,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

रोजगार सृजन की योजनाएँ

स्वर्णजयंती ग्राम स्वराजगार योजना (SGSY)

यह योजना ग्रामीण गरीबों को स्थायी आय प्रदान करने के लिए बनाई गई है। इसके तहत स्व सहायता समूहों (Self Help Groups – SHGs) का गठन किया जाता है, जो लाभार्थियों को ऋण और सब्सिडी के माध्यम से आय उत्पन्न करने वाले संपत्तियों का निर्माण करने में सहायता करते हैं।

ग्रामीण आत्म रोजगार प्रशिक्षण संस्थान (RSETI)

RSETI का उद्देश्य बेरोजगार ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देकर उन्हें स्व-रोजगार के लिए तैयार करना है। इस संस्थान में प्रशिक्षित युवा छोटे व्यवसायों की स्थापना कर सकते हैं।

प्रशिक्षण के प्रमुख पहलू

मांग-आधारित ट्रेनिंग : प्रशिक्षण कार्यक्रम का स्वरूप बाजार की मांग के अनुसार होता है।

बैंक लिंकेज : विभिन्न बैंकों के माध्यम से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है।

MNREGA (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम)

यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी प्रदान करती है। इस योजना के अंतर्गत, प्रत्येक परिवार को वर्ष में 100 दिनों का काम देने का प्रावधान है।

वित्तीय सहायता और संसाधन

विधायक निधि

उत्तराखंड राज्य सरकार प्रतिवर्ष स्थानीय विकास कार्यों के लिए MLA निधि प्रदान करती है, जिसका उपयोग विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं के लिए किया जाता है।

अन्य वित्तीय योजनाएँ

सरकार ग्रामीण विकास के लिए कई अन्य वित्तीय योजनाएँ भी पेश करती है, जैसे कि किसान क्रेडिट कार्ड, शिक्षा ऋण, और लघु व्यवसाय ऋण, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं।

सामाजिक ऑडिट

USAATA (उत्तराखंड सामाजिक ऑडिट एवं उत्तरदायित्व एजेंसी)

सामाजिक ऑडिट से यह सुनिश्चित किया जाता है कि योजनाओं का कार्यान्वयन पारदर्शिता के साथ हो। USAATA का उद्देश्य सरकारी योजनाओं की यथार्थता और प्रभावकारिता का आकलन करना है।

नागरिक जागरूकता

सामाजिक ऑडिट से नागरिकों को जानकारी प्रदान की जाती है ताकि वे योजनाओं का सही लाभ उठा सकें और उन योजनाओं की निगरानी कर सकें जो उनके विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।

ग्रामीण उद्यम तेजी लाने वाली परियोजना (REAP)

उद्देश्य

REAP का उद्देश्य rural households की आय को दोगुना करना और उनके संगठनात्मक क्षमता को बढ़ाना है।

परियोजना की विशेषताएँ

सहयोगात्मक दृष्टिकोण : यह परियोजना गाँव स्तर पर समुदाय आधारित संगठन बनाने पर जोर देती है।

आजीविका विविधीकरण : विविध प्रकार की आय का स्रोत बनाने की कोशिश की जाती है, जिससे ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधरे।

कार्यान्वयन क्षेत्र

REAP उत्तराखंड के 13 जिलों और 95 विकास ब्लॉकों में कार्यरत है। यह परियोजना किसान समूहों को प्रेरित कर कृषि आधारित और गैर-कृषि आधारित उद्यमों का विकास करती है।

निष्कर्ष

उत्तराखंड में ग्रामीण विकास और रोजगार कार्यक्रमों ने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर के सुधार के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। दीनदयाल उत्तराखंड ग्रामीण आवास योजना, MNREGA, RSETI, और REAP जैसी योजनाएँ न केवल सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देती हैं, बल्कि इनसे रोजगार के नए अवसरों का निर्माण भी होता है।

इन योजनाओं के माध्यम से, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की धारा निरंतर बहती रहे। अंततः, यह कार्यक्रम समाज के गरीब और वंचित वर्गों की सहायता करते हैं, जिससे उनकी जीवन स्थिति में सुधार होता है और वे आर्थिक दृष्टि से स्वावलंबी बनते हैं।

ग्रामीण विकास के लिए इन विशेष पहलों और कार्यक्रमों के संयोग ने उत्तराखंड को एक प्रगतिशील राज्य के रूप में उभारा है, जहां विकास की गति जारी है और हर ग्रामीण नागरिक को बेहतर जीवन जीने का अधिकार प्राप्त है।

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