परिचय
उत्तराखंड एक सुरम्य पर्वतीय राज्य है जो अपनी अद्वितीय जलवायु, सांस्कृतिक विविधता और समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र की भौगोलिक संरचना और जलवायु की विविधता राज्य की कृषि गतिविधियों और जलवायु-आधारित विकास योजनाओं के लिए उपयुक्त अवसर प्रदान करती है।
भूगोल और जलवायु
उत्तराखंड, पश्चिमी हिमालय में स्थित, लगभग 53,485 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करता है। इसकी भौगोलिक स्थितियों में पहाड़, घाटियाँ, और तटीय क्षेत्र शामिल हैं। राज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्र 5.35 मिलियन हेक्टेयर है, जिसमें से 86% पर्वतीय क्षेत्र और 14% मैदान है। यहाँ की जलवायु में गर्म और ठंडी दोनों तरह के मौसम शामिल हैं, जो नदियों, झीलों और वनस्पतियों के अस्तित्व के लिए अनुकूल होते हैं।
भूमि उपयोग
उत्तराखंड में भूमि उपयोग की संरचना विशेष रूप से इसकी भौगोलिक विशेषताओं के कारण प्रभावित होती है।
कृषि योग्य भूमि : केवल 14% भूमि कृषि योग्य है, जो राज्य की पहाड़ी और वनों से ढकी क्षेत्रों के कारण है।
वन क्षेत्र : राज्य का लगभग 61.1% हिस्सा वन क्षेत्र है, जो जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है।
कृषि और बागवानी : यहाँ की विभिन्न जलवायु परिस्थितियाँ फल-सब्जी, औषधीय पौधों और अन्य कृषि उत्पादों की खेती के लिए अनुकूल हैं।
कृषि का आर्थिक योगदान
कृषि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाती है। यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 23.4% का योगदान करता है। राज्य में औसत भूमि होल्डिंग 0.95 हेक्टेयर है, जो भारतीय औसत 1.57 हेक्टेयर से कम है। यहाँ छोटे और सीमांत खेती का अनुपात अधिक है, जो यह दर्शाता है कि कृषि मुख्य रूप से पारिवारिक जीवन का हिस्सा है।
जलवायु स्थिति
उत्तराखंड की जलवायु स्थिति उसके चार प्रमुख कृषि-जलवायु क्षेत्रों द्वारा निर्धारित की जाती है। ये क्षेत्र विभिन्न ऊँचाई, तापमान और वर्षा पैटर्न के अनुसार वर्गीकृत किए गए हैं:
ज़ोन A (0-1000 मीटर)
तराई क्षेत्र : यहाँ की मिट्टी मुख्यतः अल्युवियल है और वर्षा का औसत 1400 मिमी है। प्रमुख उत्पाद चावल, गेहूँ, गन्ना, और फल (जैसे आम, लिची) हैं। यहाँ की जलवायु कृषि के लिए बहुत अनुकूल है क्योंकि यहाँ चारों मौसमों का अनुभव होता है।
भाबर क्षेत्र : यह क्षेत्र अल्युवियल मिट्टी से भरा हुआ है, जिसमें पत्थरों का मिश्रण होता है। प्रमुख फसलें चावल, गेहूँ, और आलू हैं।
ज़ोन B (1000-1500 मीटर)
यह क्षेत्र मध्यवर्ती पहाड़ियों का है, जहाँ की मिट्टी में बालू-पत्थर होते हैं। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 1200-1300 मिमी होती है। यहाँ की जलवायु में ठंडी एवं सुखद हवा का प्रभाव पड़ता है जो कृषि के लिए अनुकूल है। इस क्षेत्र में प्रमुख फसलें चावल, आलू, टमाटर और फल (जैसे आडू, खुबानी) हैं।
ज़ोन C (1500-2400 मीटर)
यह उच्च पहाड़ी क्षेत्र है जहाँ की मिट्टी लाल से काली होती है। सालभर में यहाँ 1200-2500 मिमी वर्षा होती है। यहाँ की जलवायु फलदार पेड़ों के विकास के लिए बहुत अनुकूल है। उच्च ऊँचाई पर फसलें जैसे अमरंथस (चौलाई), फलियाँ, और सेब की खेती होती है।
ज़ोन D (2400 मीटर से ऊपर)
यह अत्यधिक ऊँचाई वाला क्षेत्र है जिसमें मिट्टी ज्यादातर लाल से काली चिकनी मिट्टी है। यहाँ की जलवायु की औसत वर्षा 1300 मिमी है। प्रमुख फसलें अमरंथस (चौलाई), बार्ली, और सेब हैं। यहाँ पर पशुपालन की गतिविधियाँ भी प्रचलित हैं, खासकर भेड़ और बकरियों का।
कृषि उत्पादन और संस्कृति
उत्तराखंड की विभिन्न जलवायु क्षेत्रों के अनुसार, यहाँ की कृषि उत्पादन भी भिन्नता लिए हुए है।
फल उत्पादन : आम, सेब, आड़ू, और गिरी फल (जैसे अखरोट, चुलू) यहाँ के प्रमुख उत्पाद हैं।
सब्जियों का उत्पादन : आलू, मटर, टमाटर, और हरी सब्जियाँ यहाँ की महत्वपूर्ण फसलें हैं।
औषधीय और सुगंधित पौधे : विभिन्न जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों की खेती के लिए भी यह क्षेत्र बहुत उपयुक्त है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन ने उत्तराखंड की कृषि प्रणाली को प्रभावित किया है। अधिक बर्फबारी और अनियमित बारिश के कारण फसल उत्पादन में कमी आई है। पानी की उपलब्धता भी प्रभावित हुई है, जिससे भूमि की सिंचाई की आवश्यकता में वृद्धि हो रही है।
विकास के संभावनाएँ
उत्तराखंड की कृषि प्रणाली को हरित / जैविक क्रांति के माध्यम से विकसित करने की आवश्यकता है।
आर्थिकी का समावेशी विकास : छोटे किसानों को सहकारी समितियों में संगठित करना, जिससे वे अपनी उपज को बेहतर दाम पर बेच सकें।
प्रौद्योगिकी का उपयोग : उन्नत कृषि तकनीकों का उपयोग कर उत्पादन बढ़ाना, जैसे ड्रिप इरिगेशन, प्रगतिशील खेती प्रणाली आदि।
बागवानी और औषधीय उत्पादन : राज्य की विविधतापूर्ण जलवायु का सही उपयोग करते हुए बागवानी और औषधीय पौधों के उत्पादन को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष
उत्तराखंड की जलवायु क्षेत्र और कृषि-जलवायु क्षेत्र इसकी जटिलता और विविधता को दर्शाते हैं। यहाँ की भौगोलिक और जलवायु विशेषताएँ कृषि, बागवानी, और औषधीय पौधों के विकास में अद्वितीय अवसर प्रदान करती हैं। यदि इन अवसरों का सही ढंग से उपयोग किया जाए, तो उत्तराखंड की कृषि और अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया जा सकता है। यह राज्य न केवल आहार सुरक्षा में योगदान कर सकता है, बल्कि यह देश की समग्र कृषि विकास योजना का भी महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है।