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उत्तराखंड की नदियाँ: एक विस्तृत अध्ययन

परिचय

उत्तराखंड, जिसे “देवभूमि” के नाम से जाना जाता है, हिमालय की गोद में बसा एक महत्वपूर्ण राज्य है। यह क्षेत्र कई महत्वपूर्ण नदियों का उद्गम स्थल है, जिनमें गंगा, यमुना, भागीरथी, अलकनंदा, काली, सरयू, और रामगंगा जैसी नदियाँ शामिल हैं। ये नदियाँ न केवल राज्य के पर्यावरण और जलवायु को प्रभावित करती हैं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

उत्तराखंड की प्रमुख नदियाँ

उत्तराखंड की नदियाँ विभिन्न स्रोतों से निकलती हैं और राज्य के विभिन्न हिस्सों से होकर प्रवाहित होती हैं। इन नदियों को उनके स्रोत, लंबाई, जल निकासी क्षेत्र और महत्व के आधार पर वर्णित किया जा सकता है।

भागीरथी नदी

  • स्रोत: गंगोत्री ग्लेशियर, गौमुख
  • लंबाई: लगभग 205 किमी
  • सहायक नदियाँ: भिलंगना, जाड़गंगा, केदारगंगा, असी गंगा
  • महत्व: यह गंगा की प्रमुख स्रोतधारा है और धार्मिक रूप से अत्यंत पवित्र मानी जाती है।

अलकनंदा नदी

  • स्रोत: सतोपंथ ग्लेशियर और भागीरथी खड़क ग्लेशियर
  • लंबाई: लगभग 190 किमी
  • सहायक नदियाँ: धौलीगंगा, मंदाकिनी, नंदाकिनी, पिंडर
  • महत्व: यह गंगा की दूसरी प्रमुख स्रोतधारा है और चारधाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

यमुना नदी

  • स्रोत: यमुनोत्री ग्लेशियर (6,315 मीटर ऊँचाई)
  • लंबाई: लगभग 1,376 किमी
  • सहायक नदियाँ: टोंस, कमल, हनोल
  • महत्व: यह हिंदू धर्म में पवित्र मानी जाती है और लाखों श्रद्धालु इसके दर्शन के लिए आते हैं।

गंगा नदी

  • स्रोत: देवप्रयाग (जहाँ भागीरथी और अलकनंदा मिलती हैं)
  • लंबाई: लगभग 2,510 किमी
  • महत्व: यह भारत की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र नदी है, जिसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अतुलनीय है।

मंदाकिनी नदी

  • स्रोत: केदारनाथ के पास चोराबारी ग्लेशियर
  • लंबाई: लगभग 72 किमी
  • महत्व: यह केदारनाथ धाम के समीप बहती है और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

काली नदी

  • स्रोत: पिथौरागढ़ जिले में कालापानी क्षेत्र
  • लंबाई: लगभग 507 किमी
  • महत्व: यह भारत और नेपाल के बीच प्राकृतिक सीमा बनाती है और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

सरयू नदी

  • स्रोत: सरमूल, कुमाऊँ क्षेत्र
  • लंबाई: लगभग 145 किमी
  • महत्व: यह सिंचाई और कृषि के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

रामगंगा नदी

  • स्रोत: दूनागिरि पहाड़ियाँ, अल्मोड़ा
  • लंबाई: लगभग 596 किमी
  • महत्व: यह उत्तर प्रदेश में बहकर गंगा से मिलती है और कृषि तथा जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है।

उत्तराखंड की नदियों का पारिस्थितिक महत्व

उत्तराखंड की नदियाँ पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे कृषि, जल विद्युत उत्पादन और जैव विविधता को संजोए रखने में सहायक होती हैं। नदियों के किनारे विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ और जीव-जंतु पाए जाते हैं, जो इस क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता को दर्शाते हैं।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

उत्तराखंड की नदियाँ भारतीय संस्कृति और धर्म में गहरा जुड़ाव रखती हैं। गंगा, यमुना, मंदाकिनी और अलकनंदा जैसी नदियाँ हिंदू धर्म में पूजनीय मानी जाती हैं। हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे तीर्थस्थल इन नदियों के किनारे स्थित हैं, जहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं।

जलविद्युत परियोजनाएँ और आर्थिक महत्व

उत्तराखंड में नदियों पर कई जलविद्युत परियोजनाएँ स्थापित की गई हैं, जिनसे न केवल राज्य बल्कि देश के अन्य हिस्सों को भी बिजली आपूर्ति होती है। टिहरी बांध, विष्णुप्रयाग जलविद्युत परियोजना और पंचेश्वर बांध जैसी योजनाएँ इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

उत्तराखंड की नदियों से जुड़े पर्यावरणीय संकट

बढ़ता प्रदूषण, जलविद्युत परियोजनाओं का अनियंत्रित विकास और जलवायु परिवर्तन उत्तराखंड की नदियों के लिए गंभीर संकट पैदा कर रहे हैं। ग्लेशियरों के पिघलने की दर में वृद्धि और अतिक्रमण के कारण कई नदियों का प्रवाह प्रभावित हो रहा है। प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं:

  • ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना – ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालयी ग्लेशियरों की मात्रा घट रही है और क्षेत्र कम हो रहे हैं।
  • जल प्रदूषण – शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले अपशिष्ट नदियों को दूषित कर रहे हैं।
  • बाँधों और जलविद्युत परियोजनाओं का प्रभाव – अनियंत्रित निर्माण से नदी पारिस्थितिकी प्रभावित हो रही है।
  • अवैध खनन – नदियों के किनारों से बालू, पत्थर और अन्य खनिजों का अतिक्रमण जल प्रवाह को प्रभावित कर रहा है।

नदियों के संरक्षण के प्रयास

सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा नदियों के संरक्षण हेतु कई प्रयास किए जा रहे हैं। गंगा स्वच्छता अभियान, जल संरक्षण योजनाएँ, और स्थानीय समुदायों की सहभागिता इन प्रयासों को मजबूती प्रदान कर रही हैं।

  • नमामि गंगे परियोजना – गंगा को स्वच्छ करने के लिए केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना।
  • उत्तराखंड जल संरक्षण अभियान – राज्य सरकार द्वारा जल स्रोतों के संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयास।
  • स्थानीय पहलें – ग्राम स्तर पर जल संरक्षण और पुनर्भरण की योजनाएँ चलाई जा रही हैं।

निष्कर्ष

उत्तराखंड की नदियाँ इस राज्य की जीवनरेखा हैं। वे न केवल जल संसाधन उपलब्ध कराती हैं, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी और आध्यात्मिकता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। नदियों के संरक्षण और सतत उपयोग की दिशा में प्रभावी कदम उठाना आवश्यक है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इन प्राकृतिक धरोहरों का लाभ उठा सकें।

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