प्रस्तावना:
भारत में अंग्रेजी शासन के प्रारम्भिक दौर में वॉरेन हेस्टिंग्स (1772-1785) को एक दूरदर्शी शासक और प्रशासनिक सुधारक के रूप में याद किया जाता है। गवर्नर-जनरल बनने के बाद हेस्टिंग्स ने ऐसे सुधार किए, जिन्होंने ब्रिटिश सत्ता को मजबूत किया और भारतीय प्रशासन को एक नए ढांचे में ढालने का प्रयत्न किया।
प्रमुख प्रशासनिक सुधार
द्वैध शासन की समाप्ति और नई व्यवस्था
- 1765 में बंगाल में दीवानी अधिकार कंपनी को मिले, जिसके परिणामस्वरूप द्वैध शासन की स्थिति बनी रही।
- हेस्टिंग्स ने 1772 में इस द्वैध शासन को समाप्त कर दिया और अब कंपनी प्रत्यक्ष रूप से प्रशासन करने लगी।
- इस व्यवस्था के अंतर्गत अंग्रेज अधिकारी प्रशासनिक कार्य संभालते, परंतु भारतीय कानून अधिकारियों (पंडितों और क़ाजियों) की सहायता से न्याय दिया जाता।
न्याय व्यवस्था में सुधार
- 1772 की योजना के अंतर्गत प्रत्येक जिला में दो प्रकार की अदालतें बनाई गईं– दीवानी अदालतें (सिविल मामलों के लिए) और फ़ौजदारी अदालतें (आपराधिक मामलों के लिए) ।
- दीवानी अदालत का अध्यक्ष कंपनी का एक अंग्रेज अधिकारी होता, जबकि हिंदू-मुस्लिम कानूनों के अनुपालन हेतु पंडित और क़ाजी नियुक्त किए गए।
- फ़ौजदारी मामलों की सर्वोच्च अपील अदालत कलकत्ता में नज़ारेत अदालत बनाई गई, जिसकी देखरेख गवर्नर-जनरल करते थे।
धर्म और कानून का संहिताकरण
- हिंदू धर्मशास्त्रों के आधार पर विधानों को संकलित करने के लिए संस्कृत पंडित नियुक्त किए गए।
- इस्लामी कानूनों का संहिताकरण करने हेतु क़ाजियों की सहायता ली गई।
- इन प्रयासों का उद्देश्य भारतीय कानूनों को अंग्रेज अधिकारियों के लिए समझने योग्य बनाना था ताकि न्याय प्रक्रिया पारदर्शी हो।
राजस्व सुधार
- हेस्टिंग्स ने 1772 से ही बंगाल में नई राजस्व व्यवस्था प्रारम्भ की।
- शुरुआत में किसानों से कर वसूलने के लिए पांच वर्षी पट्टा प्रणाली लागू की गई।
- इसके अंतर्गत कंपनी ने स्वयं लगान वसूली का कार्य अपने हाथों में लेकर बिचौलियों की भूमिका कम करने की कोशिश की।
शिक्षा और सांस्कृतिक प्रयास
- 1781 ई. में कलकत्ता मदरसा की स्थापना की गई, ताकि इस्लामी शिक्षा एवं पूर्वीय अध्ययन को प्रोत्साहन मिल सके।
- इससे पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को संरक्षण मिला और प्रशासन में काम आने वाले अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया।
भ्रष्टाचार-नियंत्रण के उपाय
- कंपनी अधिकारियों की गतिविधियों पर नियंत्रण लगाने के लिए नियम बनाए गए।
- ईस्ट इंडिया कंपनी की सेवा में भ्रष्टाचार की शिकायतों को कम करने हेतु हेस्टिंग्स ने कठोर अनुशासन लागू किया।
निष्कर्ष:
वॉरेन हेस्टिंग्स के सुधार भारतीय प्रशासनिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण चरण थे। उन्होंने न्याय प्रणाली को संस्थागत रूप दिया, राजस्व सुधारों से कंपनी की आय को स्थिर किया और धर्माधारित कानूनों का संहिताकरण कर प्रशासन को सुदृढ़ किया। हालांकि उनके राजस्व प्रयोग किसानों के लिए कठोर सिद्ध हुए, लेकिन इन सुधारों ने भारत में ब्रिटिश प्रशासन की नींव को मजबूत किया और अंग्रेज शासन को स्थायित्व प्रदान किया।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQS) और उत्तर
प्रश्न 1. वॉरेन हेस्टिंग्स ने 1772 में किस व्यवस्था को समाप्त किया?
(a) इलाहाबाद संधि
(b) द्वैध शासन
(c) जमींदारी प्रथा
(d) रैयतवारी व्यवस्था
उत्तर: (b) द्वैध शासन
व्याख्या: 1765 में दीवानी अधिकार मिलने के बाद बंगाल में द्वैध शासन प्रणाली लागू हुई थी, जिसमें प्रशासनिक और राजस्व कार्य अलग-अलग संस्था के हाथों में थे। इससे भ्रष्टाचार और अव्यवस्था फैली। 1772 में वॉरेन हेस्टिंग्स ने इस व्यवस्था को समाप्त कर कंपनी को प्रत्यक्ष शासन का अधिकार सौंपा। इससे प्रशासनिक नियंत्रण बढ़ा और ब्रिटिश सत्ता अधिक संगठित रूप में स्थापित हुई।
प्रश्न 2. वॉरेन हेस्टिंग्स की 1772 योजना के अंतर्गत किस प्रकार की न्यायालय व्यवस्था लागू की गई?
(a) केवल दीवानी अदालत
(b) केवल फ़ौजदारी अदालत
(c) दीवानी और फ़ौजदारी दोनों अदालतें
(d) केवल पंचायती अदालत
उत्तर: (c) दीवानी और फ़ौजदारी दोनों अदालतें
व्याख्या: वॉरेन हेस्टिंग्स ने न्यायिक सुधारों की शुरुआत करते हुए प्रत्येक जिले में दीवानी (सिविल मामलों के लिए) और फ़ौजदारी (आपराधिक मामलों के लिए) अदालतों की स्थापना की। अंग्रेज अधिकारी अदालत की अध्यक्षता करते थे, जबकि हिंदू मामलों में पंडित और मुस्लिम मामलों में क़ाज़ी की सहायता ली जाती थी। इस सुधार ने भारतीय कानूनों को एक संस्थागत ढांचे में लाकर न्याय प्रक्रिया को अधिक नियमित और व्यवस्थित बनाया।
प्रश्न 3. नज़ारेत अदालत किस क्षेत्र की सर्वोच्च अपील की अदालत थी?
(a) दीवानी मामले
(b) फ़ौजदारी मामले
(c) कर वसूली मामले
(d) भूमि विवाद मामले
उत्तर: (b) फ़ौजदारी मामले
व्याख्या: वॉरेन हेस्टिंग्स ने कलकत्ता में फ़ौजदारी मामलों की अपील हेतु नज़ारेत अदालत की स्थापना की, जिसकी देखरेख गवर्नर-जनरल स्वयं करते थे। इसका उद्देश्य आपराधिक न्याय व्यवस्था को केंद्रीकृत और अधिक पारदर्शी बनाना था। इस उच्च अपीलीय संस्था से ब्रिटिश अधिकारियों को बेहतर नियंत्रण मिला तथा अपराध संबंधी मामलों में शक्ति का केंद्रीकरण हुआ। यह ब्रिटिश प्रशासन की न्याय प्रणाली का महत्वपूर्ण भाग सिद्ध हुआ।
प्रश्न 4. वॉरेन हेस्टिंग्स द्वारा 1781 में किस शैक्षणिक संस्था की स्थापना की गई?
(a) फोर्ट विलियम कॉलेज
(b) कलकत्ता मदरसा
(c) बनारस संस्कृत कॉलेज
(d) कलकत्ता विश्वविद्यालय
उत्तर: (b) कलकत्ता मदरसा
व्याख्या: 1781 में वॉरेन हेस्टिंग्स ने कलकत्ता मदरसा की स्थापना की, जिसका उद्देश्य इस्लामी शिक्षा और पूर्वीय अध्ययन को प्रोत्साहित करना था। इस संस्था से पारंपरिक शिक्षा के संरक्षण के साथ-साथ ऐसे लोग तैयार हुए जो प्रशासन और न्याय व्यवस्था में अंग्रेज अधिकारियों की सहायता कर सकें। यह कदम एक ओर सांस्कृतिक संरक्षण था, तो दूसरी ओर ब्रिटिश प्रशासन के व्यावहारिक उद्देश्यों की पूर्ति भी।
प्रश्न 5. हेस्टिंग्स द्वारा शुरू की गई पाँच वर्षी पट्टा प्रणाली का उद्देश्य क्या था?
(a) किसानों के बोझ को कम करना
(b) भूमि का स्थायी बंदोबस्त करना
(c) राजस्व वसूली को सीधे कंपनी के हाथ में लेना
(d) पंचायतों की आय बढ़ाना
उत्तर: (c) राजस्व वसूली को सीधे कंपनी के हाथ में लेना
व्याख्या: वॉरेन हेस्टिंग्स ने 1772 से बंगाल में पाँच वर्षी पट्टा प्रणाली लागू की। इसके अंतर्गत कंपनी ने स्वयं किसानों से कर वसूलने का कार्य अपने हाथों में ले लिया और बिचौलियों की भूमिका को न्यूनतम करने का प्रयास किया। हालांकि इस प्रणाली से किसानों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा, लेकिन कंपनी की आय स्थिर होने लगी। यह व्यवस्था ब्रिटिश राजस्व नीति का आधार बनी।