प्रस्तावना:
मौर्य साम्राज्य (322 ईसा पूर्व – 185 ईसा पूर्व) भारतीय उपमहाद्वीप का पहला विशाल और संगठित साम्राज्य था। इसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने की और अशोक महान के समय यह अपनी चरम सीमा पर पहुँचा। परंतु अशोक के बाद यह साम्राज्य धीरे-धीरे दुर्बल होता गया और अंततः 185 ईसा पूर्व में ग्रीक मूल के सेनानायक पुष्यमित्र शुंग ने अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या कर सत्ता प्राप्त की। विशाल साम्राज्य का पतन आंतरिक कारणों और बाहरी आक्रमणों, दोनों का परिणाम था।
अशोक के उत्तराधिकारी शासकों की कमजोरी
- अशोक की मृत्यु (232 ईसा पूर्व) के बाद उसके उत्तराधिकारी कमजोर और अनुभवहीन सिद्ध हुए।
- दशरथ, सम्राट संप्रति और अन्य शासक विशाल साम्राज्य की चुनौतियों का सामना नहीं कर पाए।
- केंद्रीय सत्ता की कमजोरी ने प्रांतीय शासकों को स्वतंत्रता का अवसर दिया।
अत्यधिक केंद्रीकरण और कठोर प्रशासन
- मौर्य शासन की मुख्य विशेषता केंद्रीकृत सत्ता थी।
- यह प्रणाली इतने विशाल भूभाग पर नियंत्रण रखने में व्यवहारिक रूप से असफल रही।
- कठोर केंद्रीकरण ने प्रांतीय प्रशासकों में असंतोष और विद्रोही प्रवृत्तियों को जन्म दिया।
आर्थिक और वित्तीय समस्याएँ
- साम्राज्य की विशाल स्थायी सेना और अशोक के समय अपनाए गए लोककल्याणकारी उपाय (अस्पताल, सड़कों, धर्मशालाओं का निर्माण आदि) ने राजकोष पर भारी बोझ डाला।
- व्यापार और कृषि से राजस्व घटता गया, जिससे वित्तीय संकट गहराने लगा।
- करों का बोझ बढ़ने से जनता में असंतोष फैलने लगा।
बाहरी आक्रमण और आंतरिक असुरक्षा
- अशोक के बाद साम्राज्य की सीमाएँ सुरक्षित नहीं रहीं।
- उत्तर-पश्चिम से यूनानी (इंडो-ग्रीक), शकों और बाद में कुषाणों के आक्रमण शुरू हुए।
- कमजोर शासन इन आक्रमणों का सामना करने में सक्षम नहीं था।
प्रांतों और सीमांत क्षेत्रों की स्वतंत्रता
- अशोक के बाद केंद्रीय सत्ता की पकड़ ढीली हो गई।
- प्रांतों और सीमांत क्षेत्रों के राज्यपाल स्वतंत्र बनने लगे।
- कर्नाटक, आंध्र और उत्तर-पश्चिम के क्षेत्रों में स्थानीय शक्तियों ने अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया, जिससे साम्राज्य विघटित होने लगा।
व्यापार और कृषि में गिरावट
- व्यापार मार्गों की सुरक्षा घटने और विदेशी आक्रमणों से व्यापारिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
- कृषि उत्पादन भी प्रशासनिक कमजोरी और शोषणकारी कर प्रणाली के कारण गिरने लगा।
- राजकोषीय आय में कमी ने साम्राज्य की रीढ़ कमजोर कर दी।
निष्कर्ष:
मौर्य साम्राज्य का पतन केवल एक घटना नहीं, बल्कि धीरे-धीरे घटने वाली प्रक्रिया थी। अशोक के कमजोर उत्तराधिकारी, केंद्रीकरण की जटिलता, वित्तीय संकट, बाहरी आक्रमण और प्रांतीय विद्रोह इसके मुख्य कारण बने। यद्यपि मौर्य साम्राज्य का अंत हो गया, लेकिन इसकी प्रशासनिक और सांस्कृतिक विरासत ने भारतीय इतिहास को गहराई से प्रभावित किया। मौर्य साम्राज्य का उत्थान और पतन भारतीय इतिहास में शक्ति और संगठन के संतुलन का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQS) और उत्तर
प्रश्न 1. मौर्य साम्राज्य का अंतिम शासक कौन था, जिसकी हत्या के बाद साम्राज्य का अंत हुआ?
(a) अशोक
(b) बिंदुसार
(c) दशरथ
(d) बृहद्रथ
सही उत्तर: (d) बृहद्रथ
व्याख्या: 185 ईसा पूर्व में ग्रीक मूल के सेनानायक पुष्यमित्र शुंग ने अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या कर सत्ता प्राप्त की। इस घटना से मौर्य साम्राज्य का औपचारिक अंत हो गया। बृहद्रथ अपने पूर्वजों जैसी क्षमता नहीं रखता था और साम्राज्य पहले से ही आंतरिक कमजोरियों, वित्तीय संकट और बाहरी आक्रमणों का शिकार हो चुका था। उसकी मृत्यु केवल अंत की औपचारिक मुहर थी।
प्रश्न 2. अशोक के बाद मौर्य साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण क्या था?
(a) सक्षम उत्तराधिकारी
(b) कमजोर उत्तराधिकारी शासक
(c) विदेशी मित्रता
(d) बौद्ध धर्म का विस्तार
सही उत्तर: (b) कमजोर उत्तराधिकारी शासक
व्याख्या: अशोक की मृत्यु 232 ईसा पूर्व के बाद उसके उत्तराधिकारी दशरथ और संप्रति जैसे शासक साम्राज्य की जटिल समस्याओं से निपटने में अक्षम रहे। उनकी अनुभवहीनता और नेतृत्वहीनता से केंद्रीय सत्ता कमजोर हो गई। प्रांतीय अधिकारी स्वतंत्र होने लगे और विद्रोही गतिविधियाँ तेज हो गईं। इस प्रकार, साम्राज्य की मजबूत नींव कमजोर शासकों की अक्षमता के कारण धीरे-धीरे ढहने लगी।
प्रश्न 3. मौर्य साम्राज्य के पतन में कठोर केंद्रीकरण की क्या भूमिका थी?
(a) साम्राज्य को अधिक संगठित बनाया
(b) बाहरी आक्रमणों को रोका
(c) प्रांतों में असंतोष और विद्रोह पैदा किया
(d) वित्तीय संकट हल किया
सही उत्तर: (c) प्रांतों में असंतोष और विद्रोह पैदा किया
व्याख्या: मौर्य शासन की मुख्य विशेषता अत्यधिक केंद्रीकृत सत्ता थी, जो इतने विशाल भूभाग पर नियंत्रण रखने में असफल रही। यह कठोरता प्रांतीय प्रशासकों में असंतोष का कारण बनी। स्थानीय शासक विद्रोही प्रवृत्ति अपनाने लगे और धीरे-धीरे स्वतंत्र होते गए। इससे साम्राज्य के भीतर संगठन टूटने लगा। केंद्रीकरण ने शुरुआती दौर में स्थिरता दी, परंतु अशोक के बाद यही एक गंभीर कमजोरी बन गया।
प्रश्न 4. मौर्य साम्राज्य के वित्तीय संकट का एक प्रमुख कारण क्या था?
(a) सेना का विघटन
(b) कर में छूट
(c) विशाल सेना और लोककल्याणकारी योजनाएँ
(d) व्यापार मार्गों का विस्तार
सही उत्तर: (c) विशाल सेना और लोककल्याणकारी योजनाएँ
व्याख्या: मौर्य साम्राज्य की विशाल स्थायी सेना और अशोक द्वारा अपनाए गए जनकल्याणकारी कार्यों (अस्पताल, धर्मशालाएँ, सड़कें व तालाब निर्माण) ने राजकोष पर भारी बोझ डाला। साथ ही कृषि और व्यापार से होने वाली आय घटने लगी। करों की अधिकता से जनता असंतुष्ट हो गई। वित्तीय संकट का यह दबाव साम्राज्य की स्थिरता को गंभीर रूप से कमजोर करता गया और साम्राज्य के पतन को तेज किया।
प्रश्न 5. मौर्य साम्राज्य के पतन में बाहरी आक्रमणों की क्या भूमिका रही?
(a) साम्राज्य की शक्ति बढ़ी
(b) प्रशासन मजबूत हुआ
(c) सीमाएँ असुरक्षित हुईं और सिंहासन कमजोर पड़ा
(d) राज्यों का एकीकरण हुआ
सही उत्तर: (c) सीमाएँ असुरक्षित हुईं और सिंहासन कमजोर पड़ा
व्याख्या: अशोक के बाद साम्राज्य की सीमाएँ बाहरी आक्रमणों के प्रति संवेदनशील हो गईं। उत्तर-पश्चिम से यूनानी (इंडो-ग्रीक), शकों और बाद में कुषाणों ने आक्रमण शुरू किए। कमजोर केंद्रीय सत्ता और वित्तीय संकट के कारण यह आक्रमण रोकना संभव नहीं रहा। सीमांत प्रदेश स्वतंत्र होते गए, जिससे साम्राज्य की पकड़ ढीली हो गई। इन आक्रमणों ने साम्राज्य के विघटन को और तेज कर दिया।