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मौर्य साम्राज्य का इतिहास

प्रस्तावना:

मौर्य साम्राज्य प्राचीन भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा और प्रभावशाली साम्राज्य था, जिसकी स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य ने 322 ई.पू. में नंद वंश के अंत के बाद की। राजधानी पाटलिपुत्र से शासित यह साम्राज्य उत्तर-पश्चिमी काबुल से लेकर दक्षिण भारत तक विस्तृत था। सुव्यवस्थित प्रशासन, विशाल सेना और सांस्कृतिक योगदानों के साथ यह साम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप की एकता और शक्ति का प्रतीक बना।

स्थापना और कालखंड:

  • मौर्य साम्राज्य की स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य ने 322 ईसा पूर्व में की थी।
  • यह साम्राज्य लगभग 137 वर्षों तक चला और 185 ईसा पूर्व में समाप्त हुआ।

राजधानी और क्षेत्र:

  • राजधानी पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) थी।
  • साम्राज्य का विस्तार गंगा घाटी से लेकर कावेरी डेल्टा तक था।
  • इसका क्षेत्र केवल भारत के उत्तरी और मध्य भाग तक ही नहीं, बल्कि पश्चिम में काबुल, हेरात और बलूचिस्तान से लेकर दक्षिण में कर्नाटक तक फैला था।

संस्थापक:

  • चन्द्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश के अंतिम शासक धनानंद को पराजित कर मौर्य वंश की स्थापना की।

प्रमुख शासक और उनके कार्य:

चन्द्रगुप्त मौर्य (322-298 ई.पू.):

  • नंद वंश का अंत कर साम्राज्य की स्थापना।
  • केंद्रीयकृत शासन व्यवस्था और मजबूत प्रशासन स्थापित किया।
  • जैन धर्म का समर्थन किया।
  • दक्षिण भारत तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया।

बिन्दुसार (298-273 ई.पू.):

  • साम्राज्य को दक्षिण भारत ओर विस्तारित किया।
  • धार्मिक सहिष्णुता बढ़ाई।
  • विदेशी राजाओं के साथ राजनयिक संबंध बनाए।

अशोक महान (273-232 ई.पू.):

  • कलिंग युद्ध में विजय प्राप्त की, पर युद्ध की भयावहता देख बौद्ध धर्म अपना लिया।
  • धर्म (धम्म) नीति का प्रचार किया।
  • स्तूप, स्तंभ और मठ का निर्माण करवाया।
  • विदेशों में बौद्ध धर्म के प्रचार में बड़ा योगदान दिया।

बाद के शासकों में दशरथ, सम्प्रति, सलीशुका, देववर्मन और बृहद्रथ शामिल थे, जिनके शासनकाल में साम्राज्य कमजोर पड़ने लगा।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे बड़े और एकीकृत साम्राज्यों में से एक बनना।
  • सुव्यवस्थित प्रशासनिक तंत्र और मजबूत सैन्य शक्ति का विकास।
  • कला, संस्कृति, धर्म और वास्तुकला में महत्वपूर्ण योगदान।
  • अशोक का धम्म नीति और बौद्ध धर्म के प्रचार के कारण साम्राज्य का विश्वव्यापी प्रभाव।

पतन के कारण:

  • अशोक के बाद के शासन में आंतरिक कमजोरियाँ और प्रशासनिक विफलताएँ।
  • प्रांतीय विद्रोह और सेनापति पुष्यमित्र शुंग के द्वारा बृहद्रथ मौर्य की हत्या।
  • शुंग वंश का उदय और मौर्य साम्राज्य का अंत।

महत्व:

  • भारत में पहला व्यापक एकीकृत साम्राज्य स्थापित किया।
  • भारतीय इतिहास में राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास का महान अध्याय।
  • प्रशासन, अर्थव्यवस्था और धर्म के क्षेत्रों में गहरा प्रभाव छोड़ा।

सारांश:

मौर्य साम्राज्य (322-185 ई.पू.) भारतीय उपमहाद्वीप का प्रथम व्यापक साम्राज्य था। चन्द्रगुप्त मौर्य ने इसकी नींव रखी, बिन्दुसार ने दक्षिण में विस्तार किया और अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म को अपनाकर धम्म नीति का प्रसार किया। कला, वास्तुकला और धर्म के क्षेत्र में यह विशेष योगदानकारी रहा। आंतरिक कमजोरियों और विद्रोहों के कारण अंततः 185 ई.पू. में इसका पतन हुआ।

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