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मुहम्मद-बिन-तुगलक के सुधार और उनका प्रभाव

प्रस्तावना:

दिल्ली सल्तनत का शासक मुहम्मद-बिन-तुगलक (1325–1351 ईस्वी) अपनी महत्वाकांक्षी नीतियों और असाधारण सुधारों के लिए जाना जाता है। उसे ‘विचित्र शासक’ भी कहा जाता है क्योंकि उसकी नीतियाँ दूरदर्शी तो थीं, किंतु उनके क्रियान्वयन में गंभीर खामियाँ रहीं। उसके शासनकाल में प्रशासनिक, आर्थिक और सैन्य सुधारों का प्रयोग हुआ, लेकिन इनमें से अधिकांश योजनाएँ असफल होकर विद्रोह और अस्थिरता का कारण बनीं।

राजधानी परिवर्तन (Capital Transfer)

  • मुहम्मद-बिन-तुगलक ने 1327 ईस्वी में राजधानी दिल्ली से दौलताबाद स्थानांतरित करने का आदेश दिया।
  • उसका उद्देश्य दक्खन और दक्षिण भारत पर नियंत्रण बढ़ाना और साम्राज्य के मध्य से शासन करना था।
  • किंतु लंबी दूरी, कठिन परिस्थितियों और प्रशासनिक अव्यवस्था के कारण यह प्रयोग असफल रहा।
  • जनता को अत्यधिक कष्ट झेलना पड़ा और अंततः राजधानी पुनः दिल्ली वापस लाई गई।

टोकन मुद्रा का प्रचलन

  • उसने कीमती धातुओं की बचत के लिए ताँबे और पीतल की टोकन मुद्रा (1329 ईस्वी) जारी की।
  • विचार अत्यंत दूरदर्शी था, लेकिन मुद्रा निर्माण पर कड़ा नियंत्रण न होने के कारण नकली सिक्कों की बाढ़ आ गई।
  • व्यापार और अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई और राज्य को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।

कृषि सुधार और तक़ावी कर्ज

  • किसानों की सहायता के लिए उसने तक़ावी ऋण (Taccavi loans) देने का प्रावधान किया।
  • इसका उद्देश्य खराब फसल या अकाल के समय कृषकों को राहत देना और उपज बढ़ाना था।
  • लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्ट अधिकारियों के कारण यह योजना सफल न हो सकी। कई किसानों पर ऋण का बोझ बढ़ गया।

दोआब क्षेत्र में कर वृद्धि

  • गंगायमुना दोआब क्षेत्र उपजाऊ भूमि वाला था।
  • मुहम्मद-बिन-तुगलक ने यहाँ अत्यधिक कर वसूला, वह भी अकाल की स्थिति में।
  • किसानों में असंतोष फैला और बड़े पैमाने पर विद्रोह हुए।
  • अंततः सेना द्वारा इन्हें दबाया गया, लेकिन इससे किसानों का शासक पर से विश्वास उठ गया।

विस्तारवादी नीति और सैन्य अभियान

  • मुहम्मद-बिन-तुगलक ने अपने साम्राज्य को अरब और चीन तक विस्तारित करने की महत्वाकांक्षा की।
  • उसने खुरासान और इराक की ओर अभियान की योजना बनाई और लाखों सैनिकों के लिए तैयारी की, लेकिन अभियान अधूरा ही रह गया।
  • दक्खन में भी युद्ध अभियान असफल रहा और साम्राज्य आर्थिक संकट में फँस गया।

सुधारों का दूरदर्शी लेकिन असफल स्वरूप

  • मुहम्मद-बिन-तुगलक के सुधार उसके बड़े दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।
  • राजधानी परिवर्तन, टोकन मुद्रा, कृषि सुधार और सैन्य योजनाएँ दूरदर्शिता से प्रेरित थीं।
  • किंतु समय, परिस्थितियों और सुदृढ़ प्रशासनिक क्रियान्वयन के अभाव में ये असफल हो गईं।
  • उसके शासनकाल को “महत्वाकांक्षा और अनुप्रयोग में असफलता” का प्रतीक माना जाता है।

निष्कर्ष:

मुहम्मद-बिन-तुगलक एक विद्वान और दूरदर्शी शासक था, जिसने अनेक नवोन्मेषी सुधार किए। लेकिन व्यावहारिकता की कमी, अत्यधिक महत्वाकांक्षा और प्रशासनिक कठोरता के कारण उसकी योजनाएँ टिक नहीं सकीं। उससे प्रजा त्रस्त हो गई और सल्तनत कमजोर होने लगी। यह स्पष्ट करता है कि केवल दृष्टिकोण पर्याप्त नहीं होता, बल्कि उचित क्रियान्वयन और यथार्थपरक नीति किसी शासक की सफलता की कुंजी होती है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQS) और उत्तर

प्रश्न 1. 1327 ईस्वी में मुहम्मद-बिन-तुगलक ने राजधानी दिल्ली से किस स्थान पर स्थानांतरित करने का आदेश दिया था?

(a) लाहौर
(b) दौलताबाद
(c) मुल्तान
(d) गुलबर्गा

उत्तर: (b) दौलताबाद

व्याख्या: मुहम्मद-बिन-तुगलक ने साम्राज्य के केंद्र से शासन और दक्षिण भारत पर बेहतर नियंत्रण हेतु राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद स्थानांतरित किया। लेकिन लंबी दूरी, कठिन परिस्थितियों और प्रशासनिक अव्यवस्था के कारण यह योजना विफल हो गई। इससे प्रजा को भारी कष्ट उठाने पड़े और अंततः राजधानी को पुनः दिल्ली वापस लाना पड़ा। यह उसके सुधारों की विफलता का प्रमुख उदाहरण है।

प्रश्न 2. मुहम्मद-बिन-तुगलक द्वारा जारी की गई टोकन मुद्रा किस धातु की बनाई गई थी?

(a) चाँदी और सोना
(b) ताँबा और पीतल
(c) लोहा और टिन
(d) मिश्र धातु और सोना

उत्तर: (b) ताँबा और पीतल

व्याख्या: 1329 ईस्वी में कीमती धातुओं की बचत हेतु तुगलक ने ताँबे और पीतल की टोकन मुद्रा चलाई। यह विचार अत्यंत अभिनव था, किंतु सिक्का-निर्माण पर कठोर नियंत्रण न होने से नकली सिक्कों की बाढ़ आ गई। परिणामस्वरूप व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ और अर्थव्यवस्था संकट में पड़ गई। अंततः यह प्रयोग असफल हो गया और राज्य को भारी नुकसान उठाना पड़ा।

प्रश्न 3. गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र में कर वृद्धि का क्या परिणाम हुआ?

(a) कृषकों का समृद्ध होना
(b) व्यापक विद्रोह और असंतोष
(c) कृषि उत्पादन में वृद्धि
(d) राज्य की आय में स्थिरता

उत्तर: (b) व्यापक विद्रोह और असंतोष

व्याख्या: गंगा-यमुना दोआब भारत का सबसे उपजाऊ क्षेत्र था। तुगलक ने यहाँ अकाल के समय भी अत्यधिक कर वसूला। इससे कृषकों में गहरा असंतोष फैला और बड़े पैमाने पर विद्रोह भड़क उठे। इन विद्रोहों को सेना द्वारा दबाया गया, लेकिन किसानों का शासक पर से विश्वास उठ गया। यह नीति उसकी असफल और अव्यावहारिक महत्त्वाकांक्षा को दर्शाती है।

प्रश्न 4. मुहम्मद-बिन-तुगलक ने किसानों की सहायता हेतु कौन-सी योजना लागू की थी?

(a) जागीर अनुदान
(b) कृषि भूमि वितरण
(c) तक़ावी ऋण (taccavi loans)
(d) नि:शुल्क बीज योजना

उत्तर: (c) तक़ावी ऋण (taccavi loans)

व्याख्या: किसानों को राहत देने के लिए तुगलक ने तक़ावी ऋण प्रदान करने की व्यवस्था की, जिससे अकाल या खराब फसल होने पर किसान पुनः उत्पादन कर सकें। परन्तु भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही ने इस योजना को विफल बना दिया। ऋण का बोझ बढ़ने से किसान और अधिक परेशान हुए। यह सुधार दूरदर्शी था किंतु क्रियान्वयन की कमजोरी के कारण सफल नहीं हो सका।

प्रश्न 5. मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासनकाल को इतिहासकार किस रूप में वर्णित करते हैं?

(a) सफलता और सौभाग्य का प्रतीक
(b) महत्वाकांक्षा और अनुप्रयोग में असफलता का प्रतीक
(c) धार्मिक सहिष्णुता का युग
(d) केवल विस्तारवादी नीति का काल

उत्तर: (b) महत्वाकांक्षा और अनुप्रयोग में असफलता का प्रतीक

व्याख्या: मुहम्मद-बिन-तुगलक की नीतियाँ अत्यंत महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी थीं—चाहे वह राजधानी परिवर्तन हो, टोकन मुद्रा, कृषि सुधार या सैन्य अभियान। लेकिन व्यावहारिकता की कमी और प्रशासनिक क्रियान्वयन की कमजोरियों के कारण इनमें से अधिकांश असफल रहीं। परिणामस्वरूप प्रजा असंतुष्ट हुई और दिल्ली सल्तनत कमजोर पड़ गई। इसी कारण उसके शासन को “महत्वाकांक्षा और असफलता” का प्रतीक माना जाता है।

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