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मुगल साम्राज्य का पतन

प्रस्तावना:

मुगल साम्राज्य, जिसने अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगज़ेब के काल में अपनी चरम सीमा प्राप्त की थी, 18वीं शताब्दी तक आते-आते पतन की ओर अग्रसर हो गया। औरंगज़ेब की मृत्यु (1707 ई.) के बाद साम्राज्य राजनीतिक, आर्थिक और प्रशासनिक संकट में फँस गया। कमजोर उत्तराधिकारी, निरंतर युद्ध, प्रांतीय शक्तियों का उदय तथा विदेशी आक्रमण इस पतन के मुख्य कारण बने।

औरंगज़ेब के बाद कमजोर उत्तराधिकारी

  • औरंगज़ेब के बाद मुगल शासकों में वह नेतृत्व और दूरदर्शिता नहीं रही जो साम्राज्य को एकजुट रख सके।
  • बहादुरशाह-I, जहाँदर शाह, फर्रुखसियर, मुहम्मद शाह आदि शासक आपसी षड्यंत्र और राजमहल की राजनीति में उलझे रहे।
  • इससे मुग़ल सत्ता की प्रतिष्ठा कमजोर हुई और प्रांतीय शासकों ने स्वतंत्रता प्राप्त करना शुरू कर दिया।

दक्कन के युद्ध और संसाधनों की हानि

  • औरंगज़ेब के दक्कन अभियानों के लंबे ने पहले ही साम्राज्य की शक्ति और संसाधनों को थका दिया था।
  • 25 वर्षों तक चले निरंतर युद्धों ने खजाना खाली कर दिया और सेना थक गई।
  • दक्षिण में मराठों के लगातार संघर्ष ने मुगल शासन को और अस्थिर बना दिया।

प्रांतीय शक्तियों का उदय

  • मुगल साम्राज्य के पतन के साथ-साथ मराठे, सिख, जाट, राजपूत और बंगाल, अवध, हैदराबाद के नवाबों जैसी प्रादेशिक शक्तियाँ उभर आईं।
  • इन शक्तियों ने धीरे-धीरे अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतंत्रता स्थापित कर ली।
  • इस कारण मुगल सम्राट का अधिकार केवल दिल्ली और उसके आसपास तक सीमित रह गया।

प्रशासनिक अक्षमता और भ्रष्टाचार

  • मुगल प्रशासन में मनसबदारी प्रणाली ढीली पड़ गई।
  • जागीरदारी प्रथा में भ्रष्टाचार फैल गया और कर वसूली की व्यवस्था अस्थिर हो गई।
  • अधिकारी अपने निजी हित साधने लगे, जिससे जनता में असंतोष व्यापक रूप से बढ़ा।

विदेशी आक्रमण

  • 1739 ई. में नादिरशाह ने भारत पर आक्रमण कर दिल्ली को लूटा और कोहिनूर तथा मयूर सिंहासन जैसे बहुमूल्य ख़जाने ले गया।
  • उसके बाद अहमद शाह अब्दाली ने भारत पर कई बार आक्रमण कर राजनीतिक अराजकता को बढ़ाया।
  • इन आक्रमणों ने मुगल साम्राज्य की सैन्य और आर्थिक शक्ति को गहरी चोट दी।

व्यापार और राजस्व का संकट

  • निरंतर युद्ध और विदेशी आक्रमणों से व्यापार और वाणिज्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
  • राजस्व के प्रमुख स्रोत – भूमि उपज और व्यापार – घटते चले गए।
  • मुग़ल कोष खाली हो गया और आर्थिक संकट ने साम्राज्य की नींव हिला दी।

निष्कर्ष:

18वीं शताब्दी का मुग़ल साम्राज्य राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और प्रांतीय विद्रोहों से जूझता रहा। कमजोर शासकों और भ्रष्ट प्रशासन ने साम्राज्य को अंदर से कमजोर किया, जबकि विदेशी आक्रमणों ने इसकी शक्ति को बाहर से तोड़ दिया। मराठों और अन्य प्रादेशिक शक्तियों के उदय ने केंद्रीय सत्ता को अप्रासंगिक बना दिया। परिणामस्वरूप, कभी भारत का सबसे बड़ा साम्राज्य रहा मुग़ल साम्राज्य विखंडित होकर नाम मात्र की ताकत बन गया और भारत राजनीतिक विखंडन की ओर अग्रसर हुआ।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQS) और उत्तर

प्रश्न 1. औरंगज़ेब की मृत्यु कब हुई थी, जिसके बाद मुग़ल साम्राज्य पतन की ओर अग्रसर हुआ?

(a) 1699 ई.
(b) 1707 ई.
(c) 1715 ई.
(d) 1720 ई.

उत्तर: (b) 1707 ई.

व्याख्या: 1707 ईस्वी में औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य के लिए सबसे बड़ा संकट उत्पन्न हुआ। उसके बाद के शासक कमजोर और षड्यंत्रों में उलझे रहे। वे केंद्र को एकजुट रखने और साम्राज्य की ताकत बनाए रखने में विफल साबित हुए। इस कारण प्रांतीय शक्तियाँ स्वतंत्र होने लगीं और साम्राज्य की केंद्रीय सत्ता का प्रभाव धीरे-धीरे समाप्त हो गया।

प्रश्न 2. मुग़ल साम्राज्य के पतन का सबसे बड़ा बाहरी कारण कौन-सा था?

(a) विदेशी आक्रमण
(b) मनसबदारी प्रणाली
(c) धार्मिक नीतियाँ
(d) व्यापारिक गिरावट

उत्तर: (a) विदेशी आक्रमण

व्याख्या:
नादिरशाह (1739 ई.) और अहमद शाह अब्दाली जैसे आक्रमणकारियों ने मुग़ल साम्राज्य को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया। नादिरशाह दिल्ली को लूट कर कोहिनूर और मयूर सिंहासन ले गया। अब्दाली के लगातार आक्रमणों से राजनीतिक अराजकता और बढ़ी। इन आक्रमणों ने साम्राज्य की सैन्य, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक शक्ति को गहरी चोट पहुँचाई और पतन की गति तेज कर दी।

प्रश्न 3. औरंगज़ेब के लंबे दक्कन अभियानों का परिणाम क्या हुआ?

(a) मुग़ल साम्राज्य का नया विस्तार
(b) मराठों का अंत
(c) खजाना खाली और सेना कमजोर
(d) साम्राज्य की स्थिरता

उत्तर: (c) खजाना खाली और सेना कमजोर

व्याख्या: औरंगज़ेब ने अपने शासन के अंतिम 25 वर्ष दक्कन अभियानों में खर्च किए। इन निरंतर युद्धों ने खजाना खाली कर दिया और विशाल मुग़ल सेना को थका डाला। मराठों की गुरिल्ला रणनीति ने अभियान को और लम्बा व कठिन बना दिया। इससे प्रशासनिक कार्य कमजोर हुए और साम्राज्य की आर्थिक-सैन्य शक्ति धीरे-धीरे टूटने लगी, जो पतन का मुख्य कारण बनी।

प्रश्न 4. मुग़ल साम्राज्य के पतन के साथ-साथ किन क्षेत्रीय शक्तियों का उदय हुआ?

(a) पुर्तगाली और डच
(b) राजपूत, सिख, जाट और मराठे
(c) अंग्रेज और फ्रांसीसी
(d) केवल बंगाल और अवध के नवाब

उत्तर: (b) राजपूत, सिख, जाट और मराठे

व्याख्या: 18वीं शताब्दी में मुग़ल केंद्रीय सत्ता कमजोर हुई तो मराठे, सिख, जाट और राजपूत जैसी क्षेत्रीय शक्तियाँ उभर आईं। इसके अतिरिक्त बंगाल, अवध और हैदराबाद के नवाबों ने भी स्वतंत्र शासन स्थापित किया। इससे साम्राज्य का नियंत्रण केवल दिल्ली और आसपास तक सीमित रह गया। इस विखंडन ने भारतीय उपमहाद्वीप को राजनीतिक अस्थिरता और बिखराव की ओर धकेल दिया।

प्रश्न 5. मुगल प्रशासन की कौन-सी कमजोरी पतन का एक प्रमुख कारण बनी?

(a) सेना का अत्यधिक विस्तार
(b) मनसबदारी और जागीरदारी में भ्रष्टाचार
(c) न्यायपालिका का सशक्त होना
(d) धार्मिक एकता

उत्तर: (b) मनसबदारी और जागीरदारी में भ्रष्टाचार

व्याख्या: मुगल प्रशासन में मनसबदारी प्रणाली ढीली पड़ गई और जागीर प्रथा में भ्रष्टाचार फैल गया। अधिकारी प्रजा से कर वसूलते समय अपने निजी हित साधने लगे। राजस्व प्रणाली अस्थिर हो गई और जनता में असंतोष बढ़ने लगा। यह अव्यवस्था साम्राज्य की आंतरिक कमजोरी का प्रतीक थी, जिसने पतन की प्रक्रिया को और तेज कर दिया।

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