प्रस्तावना:
जागर उत्तराखंड की एक अनूठी धार्मिक परंपरा है जो देव आह्वान और परामनोविज्ञान पर आधारित है। यह केवल एक लोकगीत नहीं, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक अनुष्ठान है जो लोगों को अलौकिक शक्तियों से जोड़ता है। इस परंपरा के अनुसार, लोग यह मानते हैं कि उनके जीवन की समस्याओं का समाधान दिव्य और आध्यात्मिक शक्तियों के पास है। यह विश्वास उनके जीवन और मृत्यु के प्रति दृष्टिकोण को दर्शाता है, जहाँ भौतिक दुनिया और आध्यात्मिक दुनिया के बीच एक सीधा संबंध है।
देव आवाहन की मान्यता: जागर का सबसे महत्वपूर्ण भाग देवता आवाहन है। यह वह अवस्था है जब एक देवता या आत्मा एक मानव माध्यम, जिसे डांगर या पश्वा कहते हैं, के शरीर में प्रवेश करती है। यह घटना जागर के गायन और ढोल-दमाऊ की लयबद्ध थाप के क्रम में होता है। जब डांगर पर देवता का आवाहन होता है, तो वह लोगों के सवालों के जवाब देता है, भविष्यवाणियाँ करता है और समस्याओं के समाधान बताता है। यह मान्यता लोगों के इस विश्वास को दर्शाती है कि उनके देवता उनकी समस्याओं को सुन सकते हैं और उनका समाधान कर सकते हैं।
मानवीय समस्याओं का समाधान: गाँव के लोग देवता के आवेश को अपनी समस्याओं का हल मानते हैं। वे बीमारी, निसंतानता, आर्थिक हानि या फसल की बर्बादी जैसी समस्याओं के समाधान के लिए जागर का आयोजन करते हैं। वे मानते हैं कि देवता अपनी अलौकिक शक्तियों के माध्यम से इन समस्याओं का मूल कारण बताते हैं और उनसे छुटकारा पाने का तरीका भी सुझाते हैं।
भूत-प्रेत का शमन: जागर परंपरा में भूत-प्रेत (मृत व्यक्तियों की अतृप्त आत्माएं) को भी शांत करने का अनुष्ठान होता है। यह माना जाता है कि ये आत्माएं जीवित लोगों को परेशान कर सकती हैं। जागर के माध्यम से, इन आत्माओं को निमंत्रित किया जाता है, उनकी इच्छाओं को सुनकर उन्हें संतुष्ट किया जाता है, ताकि वे शांति से रहें और लोगों को परेशान न करें। यह प्रथा लोगों की इस गहरी मान्यता को दर्शाती है कि मृत्यु के बाद भी आत्माओं का अस्तित्व होता है।
अलौकिक शक्तियों में अटूट विश्वास: ये सभी मान्यताएं अलौकिक शक्तियों में लोगों के अटूट विश्वास को दर्शाती हैं। पहाड़ी जीवन की कठोर परिस्थितियों और आधुनिक चिकित्सा की कमी के कारण, लोग अक्सर अपने दुख और समस्याओं का समाधान आध्यात्मिक रूप से ढूंढते हैं। यह विश्वास उन्हें असुरक्षा और अनिश्चितता से निपटने की शक्ति देता है और उन्हें आशा प्रदान करता है।
आध्यात्मिक और रहस्यमय विश्वदृष्टि: जागर परंपरा और उसमें निहित ये मान्यताएं लोगों की गहन आध्यात्मिक और रहस्यमय विश्वदृष्टि को उजागर करती हैं। उनके लिए, दुनिया केवल वही नहीं है जो आंखों से दिखाई देती है। उनका मानना है कि एक अदृश्य दुनिया भी है जो उनके जीवन को प्रभावित करती है। जागर के माध्यम से वे उस अदृश्य दुनिया के साथ संवाद स्थापित करते हैं, जिससे उनकी संस्कृति और पहचान को एक अनूठी गहराई मिलती है।
निष्कर्ष:
जागर परंपरा में देवता-आवेश और भूत-प्रेत की मान्यताएं उत्तराखंड के लोगों की गहरी आध्यात्मिक आस्था का प्रतिबिंब हैं। ये प्रथाएं न केवल उनके धार्मिक जीवन का हिस्सा हैं, बल्कि ये उनके सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक जीवन को भी आकार देती हैं। यह परंपरा दिखाती है कि कैसे लोग अपनी परेशानियों को आध्यात्मिक माध्यम से दूर करने का प्रयास करते हैं और अपनी संस्कृति को एक रहस्यमय और पवित्र पहचान देते हैं।