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चंद्रगुप्त मौर्य और मौर्य प्रशासन

प्रस्तावना:

मौर्य साम्राज्य (322 ईसा पूर्व – 185 ईसा पूर्व) भारतीय इतिहास का पहला व्यापक और संगठित साम्राज्य था। इसके संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य ने एक केंद्रीकृत और सुदृढ़ प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की। यूनानी आक्रमणों से भारत की रक्षा और विशाल भूभाग का प्रबंधन करने के लिए जिस संगठित ढाँचे की आवश्यकता थी, वह चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में विकसित हुआ। उनके प्रशासन की संरचना इतना सुदृढ़ थी कि आगे चलकर अशोक जैसे शासक ने भी उसी आधार को अपनाया।

केंद्रीकृत शासन व्यवस्था

  • चंद्रगुप्त मौर्य साम्राज्य का सर्वोच्च शासक और सभी शक्तियों का केंद्र था।
  • राजा न्याय, प्रशासन और सैन्य अधिकारों का अंतिम स्रोत था।
  • उसकी इच्छा ही राज्य की नीतियों का निर्धारण करती थी।
  • इसने भारत में पहली बार एक केंद्रीकृत साम्राज्य की नींव डाली।

मंत्रिपरिषद (Mantri Parishad)

  • चंद्रगुप्त को शासन में मंत्रिपरिषद का सहयोग प्राप्त था।
  • कौटिल्य (चाणक्य) इसका सबसे प्रभावशाली सदस्य थे।
  • यह परिषद राजा को नीति, कानून, न्याय, वित्त और विदेशी संबंधों पर परामर्श देती थी।
  • इससे शासन में स्थिरता और संगठित निर्णय लेने की क्षमता बनी।

प्रशासनिक विभाजन

  • विस्तृत साम्राज्य को प्रांतों, जिलों और गाँवों में बाँटा गया।
  • प्रत्येक प्रांत का शासन कुमार (राजकुमार) या विश्वसनीय अधिकारी द्वारा किया जाता था।
  • जिला स्तर पर स्थानीय अधिकारी न्याय और कर-संग्रह संभालते थे।
  • गाँव प्रशासन की सबसे छोटी इकाई था, जिसे ग्रामपालिका और ग्रामिणों द्वारा संचालित किया जाता था।

कर और राजस्व प्रणाली

  • चंद्रगुप्त ने सुदृढ़ कर प्रणाली लागू की।
  • कृषि सबसे बड़ा राजस्व स्रोत था; किसानों से उपज का लगभग छठा हिस्सा कर के रूप में लिया जाता था।
  • व्यापार, शिल्प और खनिज संपत्ति से भी कर वसूले जाते थे।
  • इस सुव्यवस्थित कर व्यवस्था ने साम्राज्य की आय को स्थिर और पर्याप्त बनाए रखा।

सैन्य संगठन

  • व्यापक साम्राज्य की सुरक्षा हेतु चंद्रगुप्त के पास विशाल स्थायी सेना थी।
  • ग्रीक यात्री मेगस्थनीज़ के अनुसार मौर्य सेना में 6 लाख पैदल, 30,000 अश्वारोही, 9,000 हाथी और बड़ी संख्या में रथ शामिल थे।
  • सेना को युद्ध विभाग द्वारा नियंत्रित किया जाता था और यह प्रशासन के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक थी।

अर्थशास्त्र और शासन दर्शन

  • चंद्रगुप्त का शासन कौटिल्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र के सिद्धांतों पर आधारित था।
  • इसमें राज्य को धर्म, अर्थ और दंडनीति पर संचालित करने की व्याख्या की गई थी।
  • यह प्रशासन, राजनीति, न्याय और अर्थनीति का मार्गदर्शक ग्रंथ माना जाता है।

निष्कर्ष:

चंद्रगुप्त मौर्य के अधीन स्थापित प्रशासनिक ढांचा अत्यंत संगठित, केंद्रीकृत और शक्तिशाली था। सुव्यवस्थित कर-प्रणाली, मज़बूत सैन्य बल, मंत्रिपरिषद और प्रांतों की प्रशासनिक संरचना ने साम्राज्य की स्थिरता को बनाए रखा। अर्थशास्त्र की नीतियाँ शासन को वैज्ञानिक दिशा देती थीं। इस प्रकार, चंद्रगुप्त मौर्य का प्रशासन न केवल मौर्य साम्राज्य की सफलता का आधार था, बल्कि भारतीय इतिहास में राजनीतिक संगठन की एक अनुकरणीय विरासत बन गया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQS) और उत्तर

प्रश्न 1. मौर्य साम्राज्य का संस्थापक कौन था?

(a) बिन्दुसार
(b) अशोक
(c) चंद्रगुप्त मौर्य
(d) कौटिल्य

सही उत्तर: (c) चंद्रगुप्त मौर्य

व्याख्या :  चंद्रगुप्त मौर्य ने 322 ईसा पूर्व मौर्य साम्राज्य की स्थापना की, जो भारतीय इतिहास का पहला व्यापक और संगठित साम्राज्य था। उन्होंने नंद वंश को समाप्त कर सत्ता स्थापित की। यूनानी आक्रमणों से रक्षा, विशाल भूभाग का प्रबंधन और केंद्रीकृत व्यवस्था का निर्माण उनकी मुख्य उपलब्धियाँ थीं। यही संगठित प्रशासन आगे चलकर अशोक जैसे शासक के शासन का आधार बना।

प्रश्न 2. चंद्रगुप्त मौर्य को शासन संचालन में किसकी महत्वपूर्ण भूमिका प्राप्त थी?

(a) ग्रामपालिका
(b) कौटिल्य (चाणक्य)
(c) कुमार
(d) मेगस्थनीज़

सही उत्तर: (b) कौटिल्य (चाणक्य)

व्याख्या: चंद्रगुप्त मौर्य की मंत्रिपरिषद में कौटिल्य (चाणक्य) सबसे प्रभावशाली और प्रभावी सदस्य थे। वे न केवल चंद्रगुप्त के परामर्शदाता थे, बल्कि उन्होंने “अर्थशास्त्र” जैसा प्रसिद्ध ग्रंथ भी रचा। यह राजनीतिक, आर्थिक और प्रशासनिक दिशा देने वाला ग्रंथ था। उनकी नीतियों ने साम्राज्य को संगठित और स्थिर आधार प्रदान किया जिसमें विधि, न्याय और वित्त जैसे पहलू सम्मिलित थे।

प्रश्न 3. मौर्य प्रशासन में सबसे छोटी प्रशासनिक इकाई कौन-सी थी?

(a) जिला
(b) प्रांत
(c) ग्राम
(d) राजधानी

सही उत्तर: (c) ग्राम

व्याख्या: मौर्य साम्राज्य का प्रशासनिक ढांचा प्रांत, जिला और ग्राम में विभाजित था। इनमें ग्राम सबसे छोटी इकाई थी। इसे ग्रामपालिका और स्थानीय ग्रामिणों द्वारा संचालित किया जाता था। ग्राम स्तर से कर-संग्रह, न्याय और स्थानीय प्रशासनिक कार्य संचालित होते थे। इस व्यवस्था ने प्रशासन को जमीनी स्तर तक मजबूत और प्रभावी बनाया, जिससे व्यापक साम्राज्य में नियंत्रण और स्थिरता आसान हुई।

प्रश्न 4. मेगस्थनीज़ के अनुसार, मौर्य साम्राज्य की सेना में लगभग कितने सैनिक थे?

(a) 3 लाख
(b) 6 लाख
(c) 9 लाख
(d) 12 लाख

सही उत्तर: (b) 6 लाख

व्याख्या : ग्रीक दूत मेगस्थनीज़ के अनुसार, चंद्रगुप्त मौर्य के अधीन मौर्य साम्राज्य की स्थायी सेना में लगभग 6 लाख पैदल सैनिक थे। इसके अतिरिक्त 30,000 अश्वारोही, 9,000 हाथी और अनेक रथ शामिल थे। इतनी विशाल सेना उस समय की सबसे शक्तिशाली सैन्य शक्ति थी। इस मजबूती ने न केवल साम्राज्य की रक्षा की, बल्कि भारतीय राजनीति में केंद्रीकरण को स्थायित्व प्रदान किया।

प्रश्न 5. चंद्रगुप्त मौर्य का शासन किस ग्रंथ के सिद्धांतों पर आधारित था?

(a) मनुस्मृति
(b) महाभारत
(c) अर्थशास्त्र
(d) रामायण

सही उत्तर: (c) अर्थशास्त्र

व्याख्या : चंद्रगुप्त मौर्य का शासन कौटिल्य (चाणक्य) द्वारा रचित “अर्थशास्त्र” के सिद्धांतों पर आधारित था। यह ग्रंथ राजनीति, प्रशासन, अर्थव्यवस्था, न्याय और दंडनीति पर विस्तृत निर्देश देता है। “अर्थशास्त्र” ने शासन को वैज्ञानिक और व्यावहारिक दिशा प्रदान की, जिससे एक सुदृढ़ केंद्रीय सत्ता का विकास हुआ। इस कारण मौर्य प्रशासन भारतीय इतिहास की सबसे संगठित व्यवस्थाओं में गिना जाता है।

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