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कत्यूरी शासन काल में आय के साधन

प्रस्तावना:

कत्यूरी शासकों के लिए आर्थिक संसाधन राज्य संचालन की रीढ़ थे। उनके राजस्व का मुख्य स्रोत कृषि, वन और खनिज थे। भूमि की नाप-जोख, पट्टों का रख-रखाव और उद्योगों की व्यवस्था के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त किए गए थे।

कृषि से आय: कृषि कत्यूरी राज्य का प्रमुख आय स्रोत था। क्षेत्रपाल कृषि की उन्नति का ध्यान रखता और प्रभातार नामक अधिकारी भूमि की नाप करता था।

भूमि अभिलेख संरक्षण: उपचारिक या पट्टकोष चारिक नामक अधिकारी भूमि से संबंधित रिकॉर्ड रखते थे, जिससे करारूप आय आसानी से संकलित हो सके।

खनिज और वन सम्पदा: खण्डपति और खण्डरक्षास्थानाधिपति अधिकारी खनिज वनों की रक्षा एवं संबंधित उद्योगों का प्रबंधन करते थे। यहाँ से प्रचुर मात्रा में राजस्व प्राप्त होता था।

पशुपालन से आय: कत्यूरी अभिलेखों से पता चलता है कि राज परिवार की निजी संपत्ति में गाय, भैंस, घोड़े और खच्चर रखे जाते थे। उनकी देखरेख के अधिकारी किशोर-बडचा-गो-मजिहष्यधिकृत कहलाते थे।

दुग्ध उत्पादक समुदाय: आभीर नामक वर्ग दूध और दुग्ध उत्पादों की आपूर्ति करता था, जो राज्य की आर्थिक गतिविधियों में विशेष स्थान रखता था।

आय की विविधता: खेती, खनिज, वन, पशुपालन और दुग्ध उत्पादन जैसे अनेक स्रोत यह स्पष्ट करते हैं कि कत्यूरी शासकों का राजस्व ढांचा व्यापक व संगठित था।

निष्कर्ष:

कत्यूरी शासन काल में आय के साधन विविध और सुदृढ़ थे। इसने न केवल प्रशासन व सेना को शक्ति दी, बल्कि सांस्कृतिक और स्थापत्य विकास को भी आधार प्रदान किया।

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