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कत्यूरी शासकों की आर्थिक नीतियाँ और उनका प्रभाव

प्रस्तावना:

उत्तराखंड का मध्यकालीन इतिहास कत्यूरी शासकों (7वीं से 11वीं शताब्दी) के गौरवशाली शासन से जुड़ा हुआ है। यह वंश कुमाऊँ क्षेत्र से लेकर गढ़वाल और नेपाल तक अपना प्रभाव स्थापित करने में सफल रहा। राजनीतिक दृष्टि से कत्यूरी शासन जितना मजबूत था, उतना ही आर्थिक दृष्टि से भी यह काल महत्वपूर्ण रहा। उनकी नीतियों ने व्यापार, कृषि तथा सांस्कृतिक जीवन को नई दिशा दी।

कृषि व्यवस्था का विकास: कत्यूरी शासकों ने कृषि को राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना। उन्होंने सिंचाई व्यवस्थाओं, तालाबों और नहरों के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया। पर्वतीय ढलानों पर सीढ़ीनुमा खेतों (टैरेस फार्मिंग) को बढ़ावा मिला, जिससे अनाज उत्पादन में वृद्धि हुई। धान, जौ, कोदा, मडुआ आदि फसलें मुख्य रूप से उगाई जाती थीं। इस कृषि समृद्धि ने राज्य की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की।

कर एवं राजस्व नीति: कत्यूरी शासक संगठित राजस्व प्रणाली लागू करने में सफल रहे। भूमि पर लगान मुख्य आय का स्रोत था। इसके अतिरिक्त व्यापार से भी कर लिया जाता था। इस कर व्यवस्था ने राज्य को आर्थिक स्थिरता प्रदान की, जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी संरक्षण संभव हो सका।

व्यापार का विस्तार: कत्यूरी शासकों के समय व्यापार ने उल्लेखनीय प्रगति की। भौगोलिक स्थिति के कारण यह राज्य तिब्बत और नेपाल से जुड़ता था, जिसके चलते ऊन, नमक, जड़ी-बूटियों तथा अनाज का आदान-प्रदान होता था। अल्मोड़ा, बागेश्वर और कत्यूरी नगरी जैसे नगर व्यापारिक केंद्र बन गए। इस अंतर्राज्यीय व्यापार से राज्य की आय में वृद्धि हुई और सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी सुदृढ़ हुआ।

शिल्प और मुद्रा प्रणाली: कत्यूरी शासक कला और शिल्प को प्रोत्साहन देने वाले थे। मंदिर निर्माण, धातु शिल्पकला और मूर्तिकला उनके आर्थिक संरक्षण का परिणाम था। उन्होंने ताम्रपत्र और मुद्राओं का भी प्रचलन किया, जो व्यापार को सुचारु रूप से संचालित करने में सहायक रहा।

आर्थिक नीतियों का दीर्घकालिक प्रभाव: कत्यूरी शासनकाल में विकसित कृषि और व्यापारिक संरचना ने न केवल तत्कालीन समाज को समृद्ध किया, बल्कि आने वाले समय में चंद शासकों और अन्य वंशों को भी आर्थिक आधार प्रदान किया। स्थानीय उत्पादों का प्रसार और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक संबंध उत्तराखंड की सांस्कृतिक विविधता के विस्तार में सहायक बने।

निष्कर्ष:

कत्यूरी शासकों की आर्थिक नीतियाँ कृषि और व्यापार को केंद्र में रखकर बनाई गई थीं। उन्होंने सिंचाई, व्यापारिक मार्ग, कर व्यवस्था और शिल्पकला को बढ़ावा दिया, जिससे उत्तराखंड एक आर्थिक रूप से सशक्त और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र बन सका। यह स्पष्ट है कि कत्यूरी काल न केवल राजनीतिक दृष्टि से, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी उत्तराखंड के स्वर्णिम युग के रूप में याद किया जाता है।

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