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उत्त्तराखंड : जैव विविधिता हॉटस्पॉट और संरक्षण प्रयास

परिचय

हिमालय की उभरती हुई पहाड़ों की श्रृंखला में उत्त्तराखंड का स्थान अद्वितीय है। यहाँ की जैव विविधता, जिसमें वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की विशाल प्रजातियाँ शामिल हैं, इस प्रदेश की विशेषता है। उत्त्तराखंड, भारतीय उपमहाद्वीप का एक महत्वपूर्ण भाग है, और इसकी पारिस्थितिकी आज भी कई प्रकार के जैविक संसाधनों से परिपूर्ण है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, मानव गतिविधियों और प्राकृतिक कारणों के चालते यह जैव विविधता तेजी से घटती जा रही

जैव विविधता की परिभाषा

जैव विविधता या “बायोडायवर्सिटी” का अर्थ जीव-जंतुओं की विभिन्नता को दर्शाता है, जिसमें प्रजातियों, आनुवंशिक विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की विविधता शामिल है। जैव विविधता का मतलब केवल प्रजातियों की संख्या से नहीं है, बल्कि यह एक पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर जीव-जंतुओं के बीच के संबंधों, उनकी संरचना और कार्यप्रणाली से भी है। उत्त्तराखंड की जैव विविधता न केवल इसके जीव-वैज्ञानिक महत्व के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के जीवन के लिए भी आवश्यक है।

उत्त्तराखंड का भौगोलिक अवलोकन

उत्त्तराखंड, जो भारतीय हिमालय का एक भाग है, भौगोलिक दृष्टिकोण से विविधता से भरा हुआ है। यह राज्य 53,483 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और यहां की भूआकृतियां और जलवायु निश्चित रूप से जैव विविधता के लिए अनुकूल हैं। उत्त्तराखंड का क्षेत्र पेड़ों, पहाड़ों, नदियों, और जंगली जीवों का अद्भुत मिश्रण है। यहाँ का पर्यावरण हरी भरी वनस्पतियों, फूलों, और जलीय जीवों से भरा हुआ है।

उत्त्तराखंड में विभिन्न ऊंचाइयों पर विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिकीय क्षेत्र पाए जाते हैं। यहाँ के ऊँचे पहाड़ी क्षेत्रों में अल्पाइन पारिस्थितिक तंत्र के अद्वितीय जीव पाए जाते हैं, जबकि तराई क्षेत्रों में गीले और घास के मैदान हैं जो जंगली सूअर और अन्य जंगली जीवों का आवास बनाते हैं।

वनस्पति की विविधता

उत्त्तराखंड की वनस्पति की विविधता अद्वितीय है। यहाँ की कुल वनस्पतियों में लगभग 2035 जलवायु को ध्यान में रखते हुए विभिन्न प्रकार के पेड़, झाड़ियाँ और जड़ी-बूटियाँ शामिल हैं। इन वनस्पतियों में न केवल विविधता है, बल्कि इनमें कई औषधीय गुण भी हैं।

उत्त्तराखंड की वनस्पति में प्रमुख पेड़ प्रजातियाँ शामिल हैं, जैसे कि साल, चीर, देवदार, और बान्ज ओक। यहाँ औषधीय और सुगंधित पौधों की भी बड़ी संख्या है, जैसे कि आंवला, तुलसी, हल्दी, और अश्वगंधा। ये पौधे न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जीव जन्तु की विविधता

उत्त्तराखंड का जीव-जंतु जीवन भी उतना ही समृद्ध है। यहाँ जीवों की लगभग 5000 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिसमें एशियाई हाथी, बाघ, हिमालयन पैंथर, भालू, और विभिन्न प्रकार के प्रजाती के पक्षी शामिल हैं। ये प्रजातियाँ उत्त्तराखंड के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जैसे भोजन श्रृंखला में और पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में।

उत्त्तराखंड में पाए जाने वाले कुछ प्रमुख जीव-जंतु हैं:

एशियाई हाथी : यह उत्तराखंड के तराई और भावर क्षेत्रों में पाया जाता है और जलवायु परिवर्तन के कारण इसकी संख्या में कमी आई है।

बाघ : उत्तराखंड में इनकी संख्या बढ़ाने के लिए ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ जैसे कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं।

हिमालयन मोनाल : यह राज्य का राज्य पक्षी है और इसकी खूबसूरती की वजह से इसे संरक्षित किया जाता है।

जैव विविधता के लिए खतरे

उत्त्तराखंड की जैव विविधता को कई प्रकार के खतरों का सामना करना पड़ रहा है। यहाँ कुछ मुख्य खतरे हैं:

आबादी में वृद्धि : मानव जनसंख्या का बढ़ना प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव डालता है, जिससे जैव विविधता प्रभावित होती है।

वन कटाई : लकड़ी की आवश्यकता और कृषि भूमि में विस्तार के लिए वन क्षेत्रों को काटा जा रहा है।

जलवायु परिवर्तन : जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में बढ़ोतरी, बर्फबारी में कमी और बारिश के पैटर्न में परिवर्तन जैव विविधता को प्रभावित कर रहे हैं।

पर्यटन का दबाव : बढ़ता हुआ पर्यटन, विशेषकर उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में, पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है।

संरक्षण की रणनीतियाँ

उत्त्तराखंड की जैव विविधता को बचाने के लिए कई संरक्षण उपायों की आवश्यकता है। इनमें शामिल हैं:

इन-सीटू संरक्षण : यह एक प्रकार का संरक्षण है जिसमें प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास में ही संरक्षित किया जाता है। उत्त्तराखंड में कई नेशनल पार्क और बायोस्फेयर रिजर्व जैसे जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क और नंदा देवी नेशनल पार्क जैव विविधता को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण हैं।

एक्स-सीटू संरक्षण : इसमें प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास के बाहर सहायक स्थानों पर संरक्षित किया जाता है, जैसे चिड़ियाघर और बोटैनिकल गार्डन।

स्थानीय समुदायों का सहयोग : स्थानीय समुदायों को संरक्षण उपायों में शामिल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे पारंपरिक ज्ञान और संसाधनों के प्रबंधन में योगदान दे सकते हैं।

सरकारी योजनाएँ : जैसे ‘प्रोजेक्ट टाइगर’, ‘प्रोजेक्ट एलीफेंट’, और ‘प्रोजेक्ट स्नो लियोपार्ड’ जैसे सरकारी पहल जैव विविधता की रक्षा में सहायक हैं।

इस तरह, उत्त्तराखंड के जैव विविधता हॉटस्पॉट की महत्व और संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता को न केवल समझना, बल्कि समग्र पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। केवल इस प्रकार के सामूहिक प्रयासों से हम अपने प्राकृतिक संसाधनों, वनस्पतियों और जीवों को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित कर सकते हैं।।

निष्कर्ष

उत्त्तराखंड की जैव विविधता को बचाना अत्यंत आवश्यक हो गया है। यहाँ की जैव विविधता न केवल पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह लाखों लोगों की आजीविका से भी जुड़ी हुई है।

संरक्षण प्रयासों में सुधार और नए उपायों का अनिवार्य रूप से कार्यान्वयन करने की आवश्यकता है। इसके लिए स्थानीय जनसंख्या, सरकारी एजेंसियों और पर्यावरणीय संगठनों के बीच सहयोग की आवश्यकता है।

उत्त्तराखंड की जैव विविधता का संरक्षण न केवल प्रदेश के लिए, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए आवश्यक है। आने वाली पीढ़ियों के लिए इस अनमोल धरोहर को सुरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।

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