परिचय
उत्तराखण्ड, भारतीय हिमालय का एक प्रमुख हिस्सा है। यहाँ की पर्वत श्रृंखलाएँ न केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे सांस्कृतिक और धार्मिक पक्षों से भी अनन्य हैं। उत्तराखण्ड में प्रमुख रूप से चार पर्वत श्रेणियाँ हैं: शिवालिक, मध्य हिमालय, महाहिमालय, और जंस्कर।
शिवालिक या बाह्य हिमालय
शिवालिक पर्वत श्रेणी उत्तराखण्ड की सबसे निचली पर्वत श्रृंखला है, जिसकी औसत ऊँचाई 750 से 1200 मीटर (लगभग 2460 से 3937 फीट) है। यह श्रेणी उत्तर में मध्य हिमालय से सीमांकित है और दक्षिण की ओर दून घाटियों की ओर लम्बी ढलानें बनाती है। इस क्षेत्र में लगभग 100 सेमी वर्षा होती है, जो इसे खेती के लिए उपयुक्त बनाती है।
भौगोलिक विशेषताएँ
शिवालिक की चट्टानी संरचना अन्य पर्वतीय श्रेणियों से अलग है। यहाँ की प्रमुख नदियों में गंगा, यमुना, और काली शामिल हैं। इस क्षेत्र में कई छोटे-छोटे नदियों और नालों का जाल है। शिवालिक क्षेत्र में जंगली वनस्पति और जीव-जंतु प्रचुर मात्रा में हैं। देहरादून जैसी चौरस सतहवाली घाटियाँ यहाँ की प्रमुख विशेसता हैं, जहाँ जनसंख्या घनत्व अधिक है।
मध्य हिमालय श्रेणियाँ
मध्य हिमालय की पर्वत श्रेणियाँ 1500 से 2700 मीटर (लगभग 4921 से 8858 फीट) की ऊँचाई में फैली हुई हैं। इसका भूगोल उत्तराखण्ड के भौगोलिक दृष्टिकोन से रीढ़ की हड्डी के समान है, जिसमें कई नदियों और घाटियों का जाल बिछा हुआ है। यहाँ की औसत चौड़ाई लगभग 75 किमी है।
भौगोलिक विशेषताएँ
मध्य हिमालय की श्रेणियाँ विभिन्न डांडों और छोटे-छोटे पठारों में विभाजित हैं। यहाँ के प्रमुख शिखर जैसे देववन और नागटिब्वा हैं जो 2000 मीटर के आसपास की ऊँचाई पर स्थित हैं।
इस क्षेत्र की विशेषता यह है कि यहाँ बर्फबारी होती है, और तापमान अधिकतर ठंडा रहता है। यहाँ प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरणीय विविधता मौजूद है।
हिमाद्रि या महाहिमालय श्रेणियाँ
महाहिमालय (हिमाद्रि) पर्वत श्रेणी की ऊँचाई 4800 से 9000 मीटर (लगभग 15748 से 29527 फीट) के बीच होती है। यह श्रेणी उत्तर में तिब्बत के सीमांत पर फैली हुई है। यहाँ के प्रमुख पर्वत शिखर, जैसे नन्दा देवी (7816 मीटर), कामेट (7756 मीटर), और चौखम्भा (7138 मीटर) विश्व प्रसिद्ध हैं।
भौगोलिक विशेषताएँ
महाहिमालय पर्वत श्रेणी रवेदार चट्टानों से निर्मित है, और यहाँ के शिखर हमेशा बर्फ से ढके रहते हैं। महाहिमालय के नीचे बर्फीले जल और ग्लेशियर्स बहते हैं, जो बड़े नदी प्रणालियों का भाग हैं।
इस क्षेत्र का जलवायु अत्यधिक ठंडा है, और यहाँ सर्दी में बर्फबारी होती है। यहाँ की खूबसूरती मानवीय प्रवृत्तियों को आकर्षित करती है और पर्वतारोहियों के लिए आदर्श स्थान है।
मुख्य चोटियाँ
नन्दा देवी: इसकी ऊँचाई 7816 मीटर है, यह भारत की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है और कई पर्वतारोहियों का मुख्य लक्ष्य रही है। नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान यहाँ की जैव विविधता को संरक्षित करने का कार्य करता है।
कामेट: इसकी ऊँचाई 7756 मीटर है और यह भारत की प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है। यहाँ की ट्रैकिंग साहसिक है और यह एवलांच के लिए भी जानी जाती है।
गंगोत्री: इसकी ऊँचाई लगभग 6614 मीटर है और यह प्रमुख ग्लेशियर क्षेत्रों में से एक है। यहाँ का क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्त्व दोनों के लिए जाना जाता है।
जंस्कर श्रेणियाँ
जंस्कर श्रेणी महाहिमालय की उत्तरी ढलानों से आगे बढ़ती है और इसकी ऊँचाई 5000 मीटर या 18000 फीट से अधिक है। यह श्रेणी भारत और तिब्बत के बीच प्राकृतिक सीमा बनाती है। जंस्कर क्षेत्र का भूगोल बहुत कठिनाई से भरा हुआ है और यहाँ के लोग अपनी सांस्कृतिक परंपराओं के साथ रहते हैं।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
जंस्कर क्षेत्र में कई प्राचीन व्यापार मार्ग रहे हैं, और यह क्षेत्र तिब्बती संस्कृति का गवाह है। यहाँ के कुछ प्रसिद्ध रास्ते जैसे माणा, नीति, और लिपुलेख, भारतीय और तिब्बती सभ्यता के बीच पुरानी संचार प्रणाली को दर्शाते हैं।
यहां के निवासियों की जीवनशैली, परंपराएँ और त्योहार इसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को साबित करते हैं। इसके अलावा, यहाँ का क्षेत्र बौद्ध मठों और धार्मिक स्थलों से भरा हुआ है।
मुख्य चोटियाँ
नागा चोटी: इसकी ऊँचाई 5800 मीटर से अधिक है। यह चोटी जंस्कर पर्वत श्रृंखला के भीतर स्थित है और साहसी पर्वतारोहियों के लिए आदर्श है। ट्रैकिंग के दौरान यहाँ अत्यधिक सुंदर दृश्य देखने को मिलते हैं।
चांगला: इसकी ऊँचाई लगभग 5300 मीटर है और यह क्षेत्र तिब्बती संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। यहाँ की ट्रैकिंग और दूरी इसे विशेष बनाती है।
लिपुलेख: इसकी ऊँचाई 5400 मीटर से अधिक है, यह मार्ग भारत और तिब्बत के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग माना जाता है।
निष्कर्ष
उत्तराखण्ड की पर्वत श्रेणियाँ केवल भौगोलिक संरचना का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि ये संस्कृति, जलवायु, जैव विविधता और पर्यटन के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। शिवालिक से जंस्कर तक, हर श्रेणी में अद्वितीय विशेषताएँ और महत्व है। यहाँ की चोटियाँ पर्वतारोहियों के लिए चुनौती और साहसिकता को संज्ञा देती हैं, वहीं प्राकृतिक सौंदर्यता पर्यटकों को आकर्षित करती है।
इन पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित नदियाँ और झरने न केवल जीवन का स्रोत हैं, बल्कि सांस्कृतिक गतिविधियों का भी हिस्सा हैं। उत्तराखण्ड का यह पर्वतीय क्षेत्र प्राकृतिक, आर्थिक, और सामाजिक दृष्टि से अनन्य है, जो इसे भारत की समृद्धि और संस्कृति का प्रमुख प्रतीक बनाता है।