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उत्‍तराखंड : आपदा प्रबंधन रणनीतियाँ

परिचय

उत्‍तराखंड, भारत का एक पर्वतीय राज्य, अपने प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। लेकिन यहाँ की भौगोलिक स्थिति इसे विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए भी संवेदनशील बनाती है। भूस्खलन, भूकंप, बाढ़, और बादल फटने जैसी घटनाएँ यहाँ सामान्य हैं। इसलिए, उत्‍तराखंड ने आपदा प्रबंधन को एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता के रूप में अपनाया है। इस दिशा में राज्य ने कई नीतियाँ और रणनीतियाँ विकसित की हैं, जिनका उद्देश्य आपदाओं के प्रभाव को कम करना और समाज की सुरक्षा को बढ़ाना है।

उत्‍तराखंड राज्‍य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA)

उत्‍तराखंड राज्‍य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) राज्य सरकार द्वारा स्थापित एक प्रमुख संस्थान है, जो आपदा प्रबंधन गतिविधियों की योजना बनाने, समन्वय करने और निगरानी करने के लिए जिम्मेदार है। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य एक समर्पित निकाय की सहायता से आपदाओं के प्रति एकीकृत दृष्टिकोण से तैयारी और प्रतिक्रिया करना है।

नीतियों का निर्धारण

USDMA आपदा प्रबंधन के लिए नीतियों को निर्धारित करता है और आपदा प्रबंधन योजनाओं को मंजूरी देता है। यह न केवल वर्तमान आपदाओं के लिए बल्कि भविष्य की संभावित आपदाओं के लिए भी एक रूपरेखा तैयार करता है।

राज्‍य आपदा प्रबंधन कार्य योजना

उत्‍तराखंड ने एक राज्‍य आपदा प्रबंधन कार्य योजना विकसित की है, जो राज्य के आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से निर्धारित करती है। इसमें आपदा से संबंधित स्थिति का अनुमान, ध्यान देने योग्य क्षेत्रों की पहचान, और जिम्मेदारियों का आवंटन शामिल है।

पूर्व-योजना क्रियाएँ: स्थिति के अनुसार, विभिन्न विभागों और एजेंसियों को आपदा से निपटने के लिए उनकी जिम्मेदारियों के बारे में जानकारी दी जाती है।

संसाधनों का प्रबंधन: संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन के लिए सभी स्तरों पर समन्वय की आवश्यकता होती है।

प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली

प्रौद्योगिकी का उपयोग: उत्‍तराखंड में सरकार ने भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रति निवारक प्रणाली विकसित करने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली में निवेश किया है। यह प्रणाली संभावित खतरों का पूर्वानुमान लगाने में उपयोगी है, जिससे समय पर चेतावनी दी जा सके और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा सके।

विकसित प्रणाली: ये प्रणाली विज्ञान और तकनीकी तरीकों का उपयोग करती हैं, जिससे लोगों को समय रहते सूचित किया जा सके। इससे आपातकालीन सेवाओं के लिए अधिक समय मिलता है।

क्षमता निर्माण और जागरूकता

समुदाय में जागरूकता: आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में क्षमता निर्माण और जन जागरूकता महत्वपूर्ण है। राज्य ने स्थानीय समुदायों और आपदा प्रबंधन कर्मियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए हैं।

प्रशिक्षण कार्यक्रम: स्थानीय समुदायों को आपदाओं से निपटने, प्राथमिक चिकित्सा और बचाव कार्यों के बारे में प्रशिक्षित किया जाता है।

सार्वजनिक जागरूकता अभियान: इन अभियानों का उद्देश्य स्थानीय लोगों को आपदा के प्रति संवेदनशील बनाना और उन्हें खुद की सुरक्षा के लिए तैयार करना है।

निगरानी और जोखिम आकलन

नियमित निगरानी: उच्च ऊंचाई वाले झीलों, हिमस्खलन संभावित क्षेत्रों, और अन्य संभावित खतरनाक स्थलों की निगरानी नियमित रूप से की जाती है।

जोखिम आकलन: विस्तृत रिसर्च और आकलन विधियों के माध्यम से, राज्य आपदाओं के संभावित प्रभावों का आकलन करता है और इसके अनुसार तैयारी करता है।

अवसंरचना और प्रौद्योगिकी

आधुनिक तकनीक: राज्य ने आपदा प्रबंधन में प्रगति के लिए उच्च गुणवत्ता वाली अवसंरचना और तकनीक में निवेश किया है। इसमें राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) की स्थापना शामिल है।

ड्रोन तकनीक: ड्रोन तकनीक का उपयोग आपदा स्थलों की निगरानी और आंकलन के लिए किया जाता है।

भूस्खलन निवारण और प्रबंधन केंद्र

विशेष केंद्र की स्थापना: भूस्खलनों के खतरे को देखते हुए, राज्य ने भूस्खलन निवारण और प्रबंधन केंद्र की स्थापना की है। यह केंद्र भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान करता है और सुरक्षित समाधानों का विकास करता है।

अंतर-एजेंसी समन्वय

समन्वय का महत्व: आपदा प्रबंधन में विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय महत्वपूर्ण है। राज्य विभिन्न सरकारी विभागों, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs), और अन्य हितधारकों के मध्य आपसी सहयोग को प्राथमिकता देता है।

समन्वित प्रतिक्रिया: विभिन्न विभागों और संगठनों का समन्वय सुनिश्चित करता है कि आपातकालीन सेवाएँ प्रभावी और त्वरित रूप से उपलब्ध हों।

पुनर्वास योजनाएँ

समुदाय की देखभाल: प्रभावित समुदायों के पुनर्वास और पुनर्निर्माण योजनाएँ प्रशासन की आपदा प्रबंधन रणनीति का महत्वपूर्ण पहलू हैं।

पुनर्वास की प्रक्रियाएँ: गंभीर रूप से प्रभावित व्यक्तियों और परिवारों के लिए सहायता और संसाधन उपलब्ध कराना, उन्हें पुनः स्थापित करने के लिए आवश्यक है।

पहाड़ी क्षेत्र पर ध्यान

उत्‍तराखंड में आपदा प्रबंधन की रणनीतियाँ पहाड़ी इलाकों की विशिष्टताओं को ध्यान में रखती हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की नाजुकता और स्थानीय समुदायों की संवेदनशीलता को समझना आवश्यक है।

पारंपरिक ज्ञान का समावेश

विशेष ज्ञान का उपयोग: राज्य पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं का उपयोग करता है।

ग्रामीण समुदायों की प्रथाएँ: स्थानीय तरीकों और परंपराओं को एकीकृत करके, राज्य फायदेमंद समाधान विकसित कर सकता है।

अवसंरचना को मजबूत करना

सड़क और पुलों का विकास: राज्य सड़कें, पुल, और अन्य अवसंरचना को मजबूत करने का कार्य कर रहा है। यह प्राकृतिक आपदाओं से बचाव और पुनरावृत्ति में सहायता करता है।

भविष्य के लिए तैयारियाँ: आने वाले खतरों की आवृत्ति को देखते हुए, राज्य यह सुनिश्चित करता है कि इसमें उचित शमन और नियोजन शामिल हो।

जलविद्युत और अवसंरचना परियोजनाएँ

जलविद्युत और अन्य अवसंरचना परियोजनाओं का पुनर्मूल्यांकन किया जा रहा है, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे स्थानीय पारिस्थितिकी और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव न डालें।

सतत पर्यटन

राज्य ने पर्यावरण की सुरक्षा करने के लिए सतत पर्यटन की नीतियाँ लागू की हैं। इनमें स्थल संरक्षण के उपाय, पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियाँ आदि शामिल हैं।

निष्कर्ष

उत्‍तराखंड में आपदा प्रबंधन रणनीतियाँ न केवल आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए बनाई गई हैं, बल्कि समाज के विकास और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक हैं। इन नीतियों को लागू करके, राज्य ने खुद को प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ बेहतर सुरक्षा की दिशा में अग्रसर किया है। उपयुक्त प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, क्षमता निर्माण, अवसंरचना में सुधार, और समुदायों की भूमिकाएँ इन सभी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। इन उपायों के माध्यम से, उत्‍तराखंड न केवल आपदाओं का प्रभाव कम कर सकता है, बल्कि चरम घटनाओं के प्रति संवेदनशीलता भी कम कर सकता है, जिससे यह एक सुरक्षित और सुरक्षित राज्य बन सके।

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