प्रस्तावना:
मौर्य सम्राट अशोक (273–232 ईसा पूर्व) भारतीय इतिहास में अपनी धम्म नीति के कारण विशेष स्थान रखते हैं। कलिंग युद्ध (261 ईसा पूर्व) के बाद अशोक ने हिंसा का परित्याग कर शांति, करुणा और लोककल्याण पर आधारित एक शासन नीति अपनाई जिसे धम्म कहा गया। यह किसी विशेष धर्म तक सीमित न होकर सभी के लिए नैतिक-सामाजिक मार्गदर्शन था। अशोक की धम्म नीति ने भारतीय समाज को नैतिक मूल्यों और सामाजिक सद्भाव की मजबूत नींव प्रदान की।
धर्म से भिन्न नैतिक सिद्धांत
- अशोक की धम्म नीति किसी एक धर्म पर आधारित नहीं थी।
- यह नैतिक जीवनचर्या और आचार-संहिता थी जिसमें सत्य, अहिंसा, करुणा, सहिष्णुता और दया जैसे मूल्य शामिल थे।
- धम्म का उद्देश्य समाज में शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और नैतिकता स्थापित करना था।
सहिष्णुता और अहिंसा का प्रचार
- धम्म नीति का मूल तत्व अहिंसा था।
- अशोक ने सभी संप्रदायों और धार्मिक समुदायों के प्रति सहिष्णु व्यवहार की नीति अपनाई।
- उन्होंने सभी संप्रदायों का सम्मान करने पर बल दिया और धार्मिक संघर्षों को कम करने की कोशिश की।
लोककल्याणकारी उपाय
- अशोक की धम्म नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू जनकल्याण था।
- सड़कों के किनारे पेड़ लगाना, कुएँ और तालाब खुदवाना, यात्रियों के लिए धर्मशालाएँ बनवाना इत्यादि कार्य किए गए।
- मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी अस्पतालों की स्थापना की गई।
- इससे समाज में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा स्थापित हुई।
धम्म महामात्रों की नियुक्ति
- अशोक ने धम्म महामात्र नामक अधिकारियों को नियुक्त किया।
- इनका कार्य जनता में धम्म के सिद्धांतों का प्रचार करना और समाज में धार्मिक-सामाजिक विवादों को सुलझाना था।
- इससे राज्य और प्रजा के बीच प्रत्यक्ष संवाद बना।
शिलालेख और अभिलेखों के माध्यम से प्रचार
- अशोक ने अपने धम्म संदेशों को शिलालेखों और स्तंभलेखों के माध्यम से पूरे साम्राज्य में अंकित करवाया।
- इन पर नैतिक उपदेश, प्रजा-कल्याण की घोषणाएँ और सहिष्णुता के संदेश अंकित थे।
- ब्राह्मी, खरोष्ठी और यूनानी जैसी लिपियों में लिखे गए ये अभिलेख जनता तक संदेश पहुँचाने के प्रभावी साधन बने।
सामाजिक सामंजस्य और प्रासंगिकता
- धम्म नीति ने समाज में सद्भाव, नैतिकता और एकता को प्रोत्साहित किया।
- यह नीति केवल प्राचीन काल तक सीमित नहीं रही, बल्कि आज के लोकतांत्रिक समाज में भी सहिष्णुता, शांति, समानता और जनकल्याण जैसे मूल्य उतने ही प्रासंगिक हैं।
- अशोक की धम्म नीति आदर्श मोरल गवर्नेंस का उदाहरण प्रस्तुत करती है।
निष्कर्ष:
अशोक की धम्म नीति भारतीय इतिहास में एक अद्वितीय प्रयोग था, जिसने धर्म से ऊपर उठकर नैतिकता और लोक कल्याण को शासन का आधार बनाया। अहिंसा, सहिष्णुता और करुणा पर आधारित यह नीति न केवल मौर्य साम्राज्य में सामाजिक एकता और शांति लाने में सफल रही, बल्कि आज भी नैतिक शासन का आदर्श प्रस्तुत करती है। अशोक की धम्म नीति भारतीय संस्कृति और वैश्विक मानवता के लिए अमूल्य धरोहर है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQS) और उत्तर
प्रश्न 1. अशोक ने किस घटना के बाद धम्म नीति अपनाई?
(a) मगध विजय
(b) कलिंग युद्ध
c) नंद वंश का अंत
d) बौद्ध संघ की स्थापना
सही उत्तर: (b) कलिंग युद्ध
व्याख्या: अशोक ने 261 ईसा पूर्व कलिंग युद्ध के बाद धम्म नीति अपनाई। इस युद्ध में भारी जनहानि देखकर उन्होंने हिंसा का त्याग कर शांति और करुणा पर आधारित शासनधर्म स्वीकार किया। धम्म किसी विशेष धर्म पर आधारित नहीं था, बल्कि नैतिकता और सह-अस्तित्व की नीति थी। इसने साम्राज्य में सामाजिक एकता और जनकल्याण की नई दिशा प्रदान की।
प्रश्न 2. अशोक की धम्म नीति का मुख्य तत्व क्या था?
(a) सैन्य विस्तार
(b) सहिष्णुता और अहिंसा
c) कर वृद्धि
d) धर्म विशेष का प्रचार
सही उत्तर: (b) सहिष्णुता और अहिंसा
व्याख्या: अशोक की धम्म नीति का मूल सिद्धांत अहिंसा और सहिष्णुता था। उन्होंने सभी धार्मिक सम्प्रदायों का सम्मान करने और आपसी मतभेदों से बचने की शिक्षा दी। उनका मत था कि समाज में शांति और स्थिरता केवल सहिष्णु और करुणामय दृष्टिकोण से संभव है। यही कारण है कि धम्म नीति बहुधार्मिक समाज में सामंजस्य और सामाजिक सद्भाव का आधार बनी।
प्रश्न 3. अशोक की धम्म नीति के अंतर्गत लोककल्याण हेतु कौन-सा उपाय किया गया?
(a) कृषि भूमि का विभाजन
(b) विद्युत संयंत्र की स्थापना
c) कुएँ खुदवाना व वृक्षारोपण
d) सेनाओं का विस्तार
सही उत्तर: c) कुएँ खुदवाना व वृक्षारोपण
व्याख्या: अशोक ने धम्म नीति के अंतर्गत लोककल्याण को प्राथमिकता दी। उन्होंने सड़कों के किनारे पेड़ लगवाए, कुएँ और तालाब खुदवाए, धर्मशालाएँ बनवाईं और मनुष्यों ही नहीं पशुओं के लिए भी चिकित्सालय स्थापित किए। यह कार्य समाज को कल्याणकारी राज्य की अवधारणा से जोड़ते हैं। इससे जनता का जीवन स्तर सुधरा और शासन केवल राजनीति तक सीमित न रहकर मानवीय कल्याण का साधन बना।
प्रश्न 4. धम्म के प्रचार हेतु अशोक ने कौन से विशेष अधिकारी नियुक्त किए?
(a) ग्रामपालिका
(b) कुमार
(c) धम्म महामात्र
(d) नगराध्यक्ष
सही उत्तर: (c) धम्म महामात्र
व्याख्या: अशोक ने “धम्म महामात्रों” की नियुक्ति की, जिनका कार्य जनता में धम्म के नैतिक आदर्शों का प्रचार करना था। वे सामाजिक व धार्मिक विवादों को सुलझाने में भी सक्रिय रहे। इन अधिकारियों ने प्रजा और शासक के बीच संवाद को आसान बनाया तथा नैतिक दायित्वों को जीवन का हिस्सा बनाने में सहयोग किया। इस व्यवस्था से शासन अधिक मानवीय और संवादात्मक हुआ।
प्रश्न 5. अशोक ने अपने धम्म संदेशों का प्रचार किस माध्यम से किया?
(a) वेद और उपनिषद
(b) बौद्ध संघ
(c) शिलालेख और स्तंभलेख
(d) महाकाव्य
सही उत्तर: (c) शिलालेख और स्तंभलेख
व्याख्या: अशोक ने अपने धम्म संदेश शिलालेखों और स्तंभलेखों पर अंकित कर पूरे साम्राज्य में प्रसारित किए। इन्हें ब्राह्मी, खरोष्ठी और यूनानी जैसी लिपियों में लिखा गया, जिससे विभिन्न भाषाई समूह इसे समझ सकें। इन अभिलेखों में सहिष्णुता, नैतिकता और लोककल्याण के विचार व्यक्त हुए। यह उपाय धम्म नीति के दार्शनिक आदर्शों को जनता तक पहुँचाने का प्रभावी माध्यम बना।