प्रस्तावना:
मुग़ल साम्राज्य के महानतम सम्राट अकबर (1556–1605 ई.) ने भारत में एक सुदृढ़ और केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की। उसकी सबसे महत्वपूर्ण संस्था मनसबदारी प्रणाली थी, जिसने न केवल सेना का संगठन किया, बल्कि शाही प्रशासन को भी व्यवस्थित स्वरूप प्रदान किया। इस व्यवस्था ने साम्राज्य के विस्तार और साम्राज्य की दीर्घकालीन स्थिरता सुनिश्चित की।
केंद्रीकृत प्रशासन और सम्राट की सर्वोच्चता
- अकबर की प्रशासनिक व्यवस्था का केंद्र स्वयं सम्राट था।
- राज्य की सभी शक्तियाँ – कार्यपालिका, न्यायपालिका, सैन्य और प्रशासन – सम्राट में निहित थीं।
- हालांकि शासन चलाने में उसे विभिन्न विभागों और कुशल अमलों की सहायता मिलती थी, परंतु अंतिम सत्ता सम्राट के हाथों में ही रहती थी।
मनसबदारी प्रणाली का परिचय
- अकबर ने मनसबदारी प्रणाली की शुरुआत की, जो मुग़ल प्रशासन की रीढ़ बनी। “मनसब” का अर्थ है “पद” या “रैंक”।
- यह प्रणाली अधिकारियों के पद (status), वेतन और कर्तव्यों को निर्धारित करती थी।
- इसने साम्राज्य को एकीकृत सैन्य और प्रशासनिक ढाँचा दिया।
मनसबदारों की श्रेणियाँ – जात और सवार
- प्रत्येक मनसबदार को दो प्रकार की संख्याएँ दी जाती थीं:
जात (Zat): यह अधिकारी की व्यक्तिगत रैंक, वेतन और शाही दरबार में उसकी प्रतिष्ठा दर्शाती थी।
सवार (Sawar): यह बताता था कि मनसबदार को कितने घुड़सवार सैनिक रखने होंगे।
उदाहरण के लिए, यदि किसी की जात 5000 और सवार 3000 थी, तो वह उच्च हैसियत और बड़ी सैन्य क्षमता वाला मनसबदार माना जाता था।
जागीर प्रथा और वेतन व्यवस्था
- मनसबदारों को नकद वेतन के स्थान पर भूमि से राजस्व प्राप्त करने के लिए जागीरें प्रदान की जाती थीं।
- वे उन जागीरों से कर वसूलकर अपना और अपनी सेना का खर्च चलाते थे।
- इससे राज्य के लिए स्थायी नकद खर्च कम हो गया और आर्थिक व्यवस्था संतुलित रही।
निष्ठा सुनिश्चित करने की नीति
- अकबर ने मनसबदारों की जागीरों का समय-समय पर परिवर्तन (rotation) किया।
- इससे वे किसी क्षेत्र में स्थायी रूप से जड़ें नहीं जमा सकते थे।
- इससे सम्राट के प्रति उनकी निष्ठा बनी रही और विद्रोह की संभावना कम हो गई।
सैन्य और प्रशासनिक क्षमता में वृद्धि
- इस प्रणाली ने विशाल साम्राज्य में सैन्य अनुशासन और प्रशासनिक कार्यकुशलता स्थापित की।
- न केवल सेना संगठित हुई, बल्कि दरबार और प्रांतीय प्रशासन भी अधिक सुदृढ़ हुआ।
- मनसबदार प्रणाली ने साम्राज्य के हर स्तर पर केंद्रीकरण और कार्यकुशलता सुनिश्चित की।
निष्कर्ष:
अकबर का प्रशासन भारतीय इतिहास में सुव्यवस्थित केंद्रीकृत शासन का आदर्श उदाहरण है। मनसबदारी प्रणाली ने उसकी सत्ता को मजबूत बनाया और साम्राज्य को स्थिरता प्रदान की। यह प्रणाली संगठन, निष्ठा और कार्यकुशलता का उत्कृष्ट मिश्रण थी, जिसने मुग़ल साम्राज्य के विकास और दीर्घायु शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अकबर की प्रशासनिक नीति ने उसे इतिहास में एक महान शासक के रूप में प्रतिष्ठित किया।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQS) और उत्तर
प्रश्न 1. अकबर की प्रशासनिक व्यवस्था का केंद्र कौन था?
(a) वज़ीर
(b) सम्राट
(c) जागीरदार
(d) सेनापति
उत्तर: (b) सम्राट
व्याख्या: अकबर की प्रशासनिक प्रणाली पूरी तरह केंद्रीकृत थी और केंद्र में स्वयं सम्राट होता था। कार्यपालिका, न्यायपालिका, सैन्य और प्रशासनिक सभी शक्तियाँ सम्राट के हाथ में केंद्रित थीं। यद्यपि शासन में विभिन्न विभागों और अधिकारियों की सहायता ली जाती थी, फिर भी अंतिम निर्णय और सर्वोच्च सत्ता सम्राट के ही अधीन रहती थी। इसने साम्राज्य में केंद्रीकृत सत्ता को सुनिश्चित किया।
प्रश्न 2. अकबर द्वारा स्थापित मनसबदारी प्रणाली में “मनसब” शब्द का क्या अर्थ है?
(a) सेना
(b) जागीर
(c) पद या रैंक
(d) कर व्यवस्था
उत्तर: (c) पद या रैंक
व्याख्या: “मनसब” का अर्थ पद या रैंक होता है। अकबर द्वारा स्थापित मनसबदारी प्रणाली ने अधिकारी का वेतन, पद और कर्तव्यों को निश्चित किया। यह व्यवस्था शाही प्रशासन और सेना, दोनों को संगठित करती थी। मनसबदारी प्रणाली के माध्यम से अधिकारियों की स्थिति, दरबार में प्रतिष्ठा और उनकी जिम्मेदारियाँ स्पष्ट रूप से निर्धारित की जाती थीं, जो मुग़ल साम्राज्य की रीढ़ बनी।
प्रश्न 3. मनसबदारों की “सवार” संख्या किसे दर्शाती थी?
(a) उनका व्यक्तिगत वेतन
(b) उनकी दरबारी प्रतिष्ठा
(c) रखने योग्य घुड़सवार सैनिकों की संख्या
(d) उनकी जागीर की आय
उत्तर: (c) रखने योग्य घुड़सवार सैनिकों की संख्या
व्याख्या: मनसबदार की श्रेणी दो भागों में बँटी थी—जात और सवार। ‘सवार’ यह दर्शाता था कि मनसबदार को कितने घुड़सवार सैनिक रखने होंगे। यह उनकी सैन्य क्षमता और योगदान की पहचान थी। उदाहरण के लिए, यदि किसी मनसबदार की जात 5000 और सवार 3000 थी, तो वह उच्च वेतन और बड़ी सैन्य शक्ति वाला अधिकारी माना जाता था।
प्रश्न 4. मनसबदारों को वेतन किस व्यवस्था के अंतर्गत मिलता था?
(a) केवल नकद वेतन
(b) इनाम और उपहार
(c) जागीर से राजस्व प्राप्त करने की व्यवस्था
(d) केवल कर में छूट
उत्तर: (c) जागीर से राजस्व प्राप्त करने की व्यवस्था
व्याख्या: मनसबदारों को नकद वेतन की बजाय भूमि से राजस्व प्राप्त करने हेतु जागीरें दी जाती थीं। वे इन जागीरों से कर वसूलकर अपना व अपनी सेना का खर्च चलाते थे। इस व्यवस्था से शाही खजाने पर बोझ कम हुआ, साथ ही मनसबदार को पर्याप्त आय का स्रोत मिला। जागीर प्रथा अकबर की आर्थिक और प्रशासनिक व्यवस्था का अहम अंग थी।
प्रश्न 5. मनसबदारों के बीच विद्रोह की संभावना कम करने के लिए अकबर ने कौन-सी नीति अपनाई?
(a) सैनिकों को मुफ्त भूमि दी
(b) जागीरों का समय-समय पर परिवर्तन
(c) मनसबदारों को भारी उपाधियाँ दी
(d) कर में छूट दी
उत्तर: (b) जागीरों का समय-समय पर परिवर्तन
व्याख्या: अकबर ने मनसबदारों को किसी क्षेत्र विशेष में स्थायी सत्ता स्थापित करने से रोकने के लिए उनकी जागीरों का समय-समय पर परिवर्तन (rotation) किया। इस कारण वे किसी क्षेत्र में गहरी जड़ें नहीं जमा सके और उनकी निष्ठा सम्राट के प्रति बनी रही। इस नीति ने साम्राज्य में एकता, स्थिरता और विद्रोह की संभावना को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।